‘One Nation One Education’ की मांग के साथ ‘युवा शक्ति संगठन’ बना युवाओं की नई ताकत

टेन न्यूज़ नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (25 जून 2025): एक तरफ जब देश में युवा बेरोज़गारी, शिक्षा में असमानता और अवसरों की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ‘युवा शक्ति संगठन’ ने उत्तर प्रदेश से शुरू होकर पूरे देश में युवाओं की आवाज को नीतिगत आंदोलन में बदलने की दिशा में ठोस कदम उठाया है। इस मुहिम को एक नई ऊर्जा देने के लिए संगठन ने योगेश त्यागी‌ को राष्ट्रीय संयोजक, संजीव शर्मा को प्रधान राष्ट्रीय महासचिव और पी.के तिवारी को संगठन महासचिव बनाया। ‌

क्या है ‘युवा शक्ति संगठन

‘युवा शक्ति संगठन’ कोई पारंपरिक छात्र संघ या मंच नहीं, बल्कि यह एक समाज परिवर्तनकारी संगठन है, जिसका मकसद युवाओं को शिक्षा, रोजगार, खेल, स्वास्थ्य और सामाजिक नेतृत्व जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक और संरचनात्मक सहयोग देना है।

संगठन के मूल उद्देश्य

युवा भारत के भविष्य की आशा का केन्द्र बिन्दु है। भारत दुनिया का सर्वाधिक युवा आबादी वाला देश है किसी देश या समाज का भविष्य युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा देने से बनता है। इसलिए हमने युवाओं के बेहतर भविष्य हेतु उनकी योग्यता क्षमता को निखारने व उनके हितों को मंच प्रदान करने के लिए युवा शक्ति संगठन का गठन किया है। युवा शक्ति संगठन का उद्देश्य युवाओं को शैक्षिक, सामाजिक एवं राजनैतिक दिशा दिखाना है।

संगठन के प्रस्ताव

1. One Nation One Education इसके तहत समूचे देश में एक शिक्षा नीति तैयार की जाए। देश भर में एक ही पाठ्यक्रम हो उसके लिए एक भाषा नियत की जाए। सभी शिक्षा बोर्ड को खत्म करके Indian National Education Board (INEB) का गठन किया जाएत

फायदे-जब देश भर में एक शिक्षा बोर्ड एक पाठ्यक्रम और एक जैसी किताबें शहर से लेकर गांव तक होंगी तो ग्रामीण इलाकों से शहरों की ओर हो रहा पलायन रुकेगा और शिक्षा सस्ती होगी एवं किताबों को लेकर निजी स्कूल/कॉलेज संचालकों की मनमानी पर अंकुश भी लगेगा।

प्रभाव – CBSE समेत अन्य अंग्रेजी बोर्ड की तुलना में यूपी समेत अन्य प्रादेशिक बोर्ड के छात्र-छात्राएं सरकारी और प्राईवेट नौकरियों में लगातार पिछड़ रहे हैं। इसका आंकलन यूपीएससी, MBBS, IIT, IIM की परीक्षाओं के परिणाम से लगा सकते हैं, जहां यूपी बोर्ड से उत्तीर्ण होने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बहुत कम है। इसके अलावा प्राईवेट नौकरियों का भी यही हाल है जहां प्रथम वरीयता अन्य अंग्रेजी बोर्ड के छात्रों को दी जाती है। इसका मुख्य कारण व्यवस्था है जिसमें NCERT का पाठ्यक्रम और अंग्रेजी संवाद पूरी तरह घुल मिल चुका है।

इस व्यवस्था के कारण लोग अतिरिक्त आर्थिक दबाव झेल रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता शहरी इलाकों के मुकाबले बहुत कमजोर हो चुकी है। इसलिए किसान मजदूर अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा की तलाश में गांव से शहर की ओर लगातार पलायन कर रहे हैं।

अलग अलग बोर्ड और पाठ्यकम होने के चलते शिक्षा माफिया समाज में हावी होते जा रहे हैं। अलग-अलग पाठ्यकम के चलते ही शिक्षा आम आदमी किसान मजदू की पहुंच से दूर होती जा रही है। अगर एक देश एक शिक्षा नीति और एक पाठ्यक देश भर में लागू हुआ तो ग्रामीण क्षेत्र से पलायन रुकेगा और शिक्षा भी काफी हट तक सस्ती होगी।

2. प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले युवाओं के लिए उनके परीक्षा केंद्र नजदीक रात्रि प्रवास का प्रबंध किया जाए, ताकि कोई भी अभ्यर्थी रेलवे स्टेशन/बस स्टैण्ड पर रात गुजारने को मजबूर ना हो।

3.सरकारी वाहनों जैसे: बस टेन मैटो आदि में छात्र-छात्राओं एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले युवाओं के लिए निःशुल्क यात्रा का प्रावधान किया जाये।

4. प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर अत्याधुनिक स्टडी सेंटर्स का निर्माण कराया जाए जिसमें आधुनिक पुस्तकालय भी तैयार किए जाएं।

5. प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर मिनी स्टेडियम बनाए जाएं: लाखों युवा देश सेवा की भावना लेकर सेना और खोल के क्षेत्र में भर्ती होने की अभिलाषा रखते हैं लेकिन समुचित संसाधन ना होने की वजह से वे सड़कों पर दौड़ते हैं, जिसके चलते वे आए दिन दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर मिनी स्टेडियम बनाये जायें एवं इनमें समुचित मानव संसाधन कोच समेत अन्य स्टाफ भी उपलब्ध करायें जाएं।

6.गेजुएशन के दौरान बेरोजगार युवाओं को 8000/- रुपये प्रतिमाह सहायता राशि दी जाए।

7. ग्रेजुएशन के बाद बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार गारंटी योजना शुरु की जाये जहां मनरेगा की तर्ज पर बेरोजगार ग्रेजुएट युवाओं को उनकी स्किल के अनुसार न्यूनतम 500/- प्रतिदिन के भुगतान के हिसाब से साल में न्यूनतम 160 दिन का रोजगार मिल सके।।


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