क्लासरूम घोटाले में मनीष सिसोदिया से साढ़े तीन घंटे की पूछताछ, गवाहों की मौजूदगी में जवाब दर्ज
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (20 जून 2025): दिल्ली के सरकारी स्कूलों में क्लासरूम निर्माण से जुड़े कथित 2000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच में आज बड़ा घटनाक्रम सामने आया, जब पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ( Manish Sisodia) भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) के सामने पेश हुए। शुक्रवार सुबह 11 बजे वह ACB कार्यालय पहुंचे, जहां लगभग साढ़े तीन घंटे तक उनसे गहन पूछताछ की गई। दोपहर 2:30 बजे सिसोदिया ACB दफ्तर से बाहर निकले। पूछताछ के दौरान स्वतंत्र पंच गवाह की मौजूदगी में उनके बयान दर्ज किए गए। यह मामला दिल्ली सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में अत्यधिक लागत पर बनाए गए कक्षों से जुड़ी अनियमितताओं का है, जिस पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
ACB के अनुसार, सिसोदिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (विश्वास भंग कर संपत्ति का दुरुपयोग), धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) के तहत एफआईआर संख्या 31/2025 दर्ज है। इन धाराओं के तहत दिल्ली सरकार के स्कूलों में अवैध रूप से अत्यधिक लागत पर निर्माण कार्य कराने, नियमों की अनदेखी करने और राजनीतिक जुड़ाव वाले ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के गंभीर आरोप हैं। जांच एजेंसी ने यह भी स्पष्ट किया कि पूछताछ के दौरान सिसोदिया से परियोजना से जुड़े वित्तीय आंकड़ों, ठेका प्रक्रिया, गुणवत्ता मानकों और स्वीकृति प्रक्रियाओं से संबंधित कई तकनीकी सवाल पूछे गए।
इससे पहले 9 जून को ACB ने मनीष सिसोदिया को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन उन्होंने व्यस्त कार्यक्रम का हवाला देते हुए उस समय पेश होने में असमर्थता जताई थी। इसके बाद ACB ने दूसरा समन जारी कर उन्हें 20 जून को पेश होने का निर्देश दिया, जिस पर वह आज पूछताछ के लिए पहुंचे। इस मामले में ACB पूर्व PWD मंत्री सत्येंद्र जैन से भी 6 जून को पांच घंटे लंबी पूछताछ कर चुकी है। अब ACB के अधिकारी पूछताछ के आधार पर आगे की कार्रवाई की दिशा तय करेंगे।
इस कथित घोटाले की शिकायत सबसे पहले वर्ष 2018 में प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता और मौजूदा विधायक हरीश खुराना और पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने की थी। उन्होंने एक आरटीआई के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर आरोप लगाया कि 2,892 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए लगभग 12,748 कक्षा-कक्षों में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। आरोपों के मुताबिक एक कक्षा का निर्माण 24.86 लाख रुपये में दिखाया गया, जबकि दिल्ली में आमतौर पर एक कक्षा मात्र 5 लाख रुपये में बन जाती है। यही नहीं, परियोजना के तहत 34 ठेकेदारों को काम सौंपा गया, जिनमें से कई का कथित रूप से आम आदमी पार्टी से संबंध बताया गया है।
सतर्कता निदेशालय को 25 जुलाई 2019 को मिली शिकायत में कई गंभीर आरोप लगाए गए थे, जैसे कि टेंडर प्रक्रिया का पालन न करना, निर्माण लागत में बिना कारण 90% तक की बढ़ोतरी, और निर्माण की गुणवत्ता में भारी खामी। शिकायत में यह भी कहा गया कि दिल्ली सरकार ने टेंडर की प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि स्वीकृत कर दी, जिससे सरकारी नियमों जैसे जीएफआर और CPWD वर्क्स मैनुअल का खुला उल्लंघन हुआ। इसके साथ ही, कई स्कूलों में अधूरे निर्माण और खराब गुणवत्ता के मामले भी सामने आए हैं।
ACB की ओर से जारी बयान के अनुसार, आज की पूछताछ में सिसोदिया से पूछे गए सवालों का विवरण जांच का हिस्सा है और आगे की जांच के तहत अन्य संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों से भी पूछताछ की जा सकती है। यह मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत किया जाता रहा है। ऐसे में इस घोटाले के आरोप और सिसोदिया की भूमिका की जांच राजनीतिक रूप से भी बेहद संवेदनशील मानी जा रही है।
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