सोनम – राजा रघुवंशी हत्याकांड पर दार्शनिक विश्लेषण | Dr Vandana Sharma ‘Diya
टेन न्यूज़ नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (17 जून 2025): राजा–सोनम रघुवंशी हत्याकांड ने सभी को यह सोचने पर विवश कर दिया है कि एक सामान्य प्रतीत होने वाली लड़की कैसे इतनी बड़ी साजिश को अंजाम दे सकती है। इस चर्चित मुद्दे पर टेन न्यूज़ नेटवर्क द्वारा प्रस्तुत विशेष कार्यक्रम”आप की राय: गजानन माली शो” में दार्शनिक और दिल्ली विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वंदना शर्मा ‘दिया’ ने गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया।

हत्या के पीछे की मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक जड़ें
डॉ. वंदना शर्मा ने कहा, जब मैंने इस घटना के बारे में सुना, तो मेरे भीतर गहरा आघात हुआ। राजा एक सरल, संवेदनशील और भावुक युवक था, जिसकी उम्र मात्र 28 वर्ष थी। उसके सामने पूरी ज़िंदगी पड़ी थी।
उन्होंने प्रश्न उठाया कि यदि सोनम को राजा से प्रेम नहीं था, यदि वह उसके साथ नहीं रहना चाहती थी, तो फिर विवाह जैसे पवित्र बंधन में बंधने का नाटक क्यों किया गया?
डॉ. शर्मा ने कहा, “Empowerment without realization of duty can be extremely violent and destructive in nature”, यानी जब किसी को अधिकार मिलते हैं लेकिन कर्तव्यों की समझ नहीं होती, तब वे अधिकार हिंसक और विनाशकारी रूप ले लेते हैं। उन्होंने कहा कि आज की अनेक युवा महिलाएं अपने “धर्म” और “कर्तव्यों” से विमुख होती जा रही हैं।
भोगवादी प्रवृत्ति और प्रेम की विकृति
डॉ. वंदना शर्मा ने राजा और सोनम के बीच के संबंध को भोग की प्रवृत्ति से जोड़ते हुए कहा, राज की तो अभी ठीक से दाढ़ी–मूंछ भी नहीं आई थी और सोनम 25 वर्ष की युवती थी। उन्होंने आगे कहा कि आज की पीढ़ी प्रेम को हिंसा, नियंत्रण और स्वामित्व से जोड़ने लगी है, जबकि वास्तविक प्रेम त्याग, करुणा और मैत्री पर आधारित होता है।
साजिश और युवकों की भूमिका
राजा की हत्या में तीन अन्य युवकों की भी भूमिका सामने आई है। इस पर डॉ. शर्मा ने कहा, जब कोई कर्म भोग की भावना से किया जाता है, तो उसमें दूरदृष्टि नहीं होती। यह सभी युवक भोगवादी मानसिकता से ग्रस्त थे। उन्होंने कहा कि भोग हमेशा अल्पदृष्टि उत्पन्न करता है और यही कारण है कि उन्होंने राजा की हत्या को अंजाम दिया।

सोनम का व्यवहार: विवेकहीनता या राक्षसी प्रवृत्ति?
सोनम हत्या के पश्चात भी सामान्य जीवन जीती रही। इस पर डॉ. वंदना शर्मा ने कहा, जो व्यक्ति भोग में लिप्त हो जाता है, वह किसी का भला नहीं सोच सकता। उन्होंने कहा कि यदि यह लड़की अपने प्रेमी के साथ इस हत्या के बाद बच भी जाती, तो भी यह संबंध अधिक समय तक नहीं टिकता।
साजिश में शामिल अन्य युवकों की मानसिकता और सामाजिक भूमिका
इस पर डॉ. शर्मा ने कहा कि इस तरह की मानसिकता अविद्या का परिणाम है—ज्ञान का अभाव, विवेक का अभाव। उन्होंने कहा कि भोग हमेशा विनाश का कारण बनता है।
परवरिश और समाज की भूमिका
क्या सोनम की परवरिश में कोई कमी रही होगी? इस पर डॉ. वंदना शर्मा ने कहा कि केवल माता-पिता को दोष देना न्यायसंगत नहीं होगा। उन्होंने कहा, हमारे संस्कारों के साथ-साथ हमारे प्रारब्ध, पूर्वजन्म के कर्म, और सामाजिक प्रभाव—सभी हमारे निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
उन्होंने शिक्षा प्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा, आज जब धर्मशास्त्रों को हटा दिया गया है, और बच्चों को इंटिमेट रिलेशनशिप में नेगोशिएशन सिखाया जा रहा है, तो हम किस तरह की पीढ़ी तैयार कर रहे हैं?
इस गहन विश्लेषण ने न केवल इस हत्याकांड की जड़ में जाकर समझने का प्रयास किया, बल्कि यह भी बताया कि प्रेम, विवाह, धर्म, भोग और संस्कार जैसे विषय केवल निजी नहीं, सामाजिक और दार्शनिक विमर्श का हिस्सा हैं।।
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