नई दिल्ली (14 जून 2025): दिल्ली के बाटला हाउस इलाके में प्रस्तावित विध्वंस कार्रवाई पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने अहम फैसला सुनाते हुए 11 याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत दी है। अदालत ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा शुरू की गई बुलडोजर कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह आदेश इस शर्त पर पारित किया कि सभी याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका को वापस लेने के लिए शपथपत्र देंगे। इनमें से दो याचिकाकर्ताओं की संपत्तियां खासरा नंबर 279 के अंतर्गत आती हैं, जिसको लेकर सबसे ज्यादा विवाद है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्हें विध्वंस को लेकर कोई लिखित नोटिस नहीं दिया गया, केवल मौखिक रूप से सूचित किया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि 9 जून को क्षेत्र में केवल निशानदेही की गई थी, जिसे अब DDA ने आधार बनाकर तोड़फोड़ की प्रक्रिया शुरू की। इसके चलते कई परिवारों में डर और भ्रम की स्थिति बन गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दशकों पहले खरीदी गई जमीन पर उनका कानूनी हक है, और डीडीए ने खसरा नंबर की पहचान में गलती की है।
इस विवाद में जाने-माने उर्दू शायर मुजफ्फर हनफी का परिवार भी प्रभावित है। वे भी उसी इलाके में रहते हैं और उनका कहना है कि प्रशासन ने उचित संवाद और दस्तावेजी प्रक्रिया के बिना ही तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू की। स्थानीय निवासियों ने कहा कि यह न केवल उनके घरों पर हमला है, बल्कि उनकी सामाजिक पहचान और स्थायित्व पर भी संकट है। इस मुद्दे ने अब राजनीतिक रंग भी लेना शुरू कर दिया है, क्योंकि आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान भी पहले इस मामले में अदालत जा चुके हैं।
हालांकि, इससे पहले हाईकोर्ट ने अमानतुल्लाह खान की जनहित याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा था कि इस तरह की याचिकाओं में आम राहत देना व्यक्तिगत मामलों को नुकसान पहुंचा सकता है। जस्टिस गिरीश कथपालिया और जस्टिस तेजस कारिया की बेंच ने स्पष्ट किया था कि अदालत को ऐसे मामलों में याचिकाकर्ताओं को उचित कानूनी मंच की ओर निर्देशित करना चाहिए न कि जनरल ऑर्डर पारित करना चाहिए।
इस पृष्ठभूमि में अब हाईकोर्ट ने संकेत दिया है कि यदि याचिकाकर्ता उचित प्रक्रिया अपनाते हैं, तो उन्हें न्याय मिल सकता है। अदालत का यह फैसला उन स्थानीय निवासियों के लिए अस्थायी राहत है जो वर्षों से बाटला हाउस में रह रहे हैं। अब निगाह इस बात पर है कि DDA अगले कदम में क्या रुख अपनाता है और क्या स्थानीय प्रशासन इन कानूनी आदेशों का पालन करते हुए पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित कर पाता है।
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