नई दिल्ली (11 जून 2025): दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार के मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया(Manish Sisodia) को दोबारा समन भेजा है। उन्हें 20 जून को पूछताछ के लिए तलब किया गया है। इससे पहले ACB ने उन्हें 9 जून को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन सिसोदिया ने पूर्व निर्धारित व्यस्तताओं का हवाला देते हुए उस दिन पेश होने से इनकार कर दिया था। अब दोबारा समन जारी कर उन्हें आने के लिए बाध्य किया गया है।
2000 करोड़ का कथित घोटाला
ACB ने 30 अप्रैल को इस बहुचर्चित मामले में एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें दिल्ली सरकार के 12,748 क्लासरूमों के निर्माण में अनियमितताओं और भारी भ्रष्टाचार का आरोप है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस परियोजना पर लगभग 2,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन निर्माण कार्य समय पर पूरा नहीं हुआ। साथ ही ठेकेदारों की नियुक्ति, टेंडर प्रक्रिया और निर्माण लागत में बड़े स्तर पर गड़बड़ियों की आशंका जताई गई है। इसे लेकर अब ACB ने पूछताछ का दायरा बढ़ा दिया है।
सत्येंद्र जैन से पहले हो चुकी है पूछताछ
इस केस में दिल्ली सरकार के पूर्व लोक निर्माण मंत्री सत्येंद्र जैन से भी ACB ने 6 जून को पांच घंटे तक पूछताछ की थी। पूछताछ के बाद उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष ध्यान भटकाने के लिए राजनीतिक षड्यंत्र कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई है और बीजेपी निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी स्कूलों को बदनाम कर रही है।
हरीश खुराना की शिकायत से शुरू हुई जांच
इस मामले की जड़ें 2018 में जाती हैं, जब बीजेपी नेता और मौजूदा विधायक हरीश खुराना और पूर्व आप नेता कपिल मिश्रा ने आरटीआई के जरिए मिले तथ्यों के आधार पर शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कक्षाओं की निर्माण लागत प्रति कक्षा 24.86 लाख रुपये दिखाई गई, जबकि सामान्यत: एक कक्षा की लागत लगभग 5 लाख रुपये होती है। यह अंतर सवाल खड़ा करता है कि बाकी पैसा कहां गया।
34 ठेकेदारों को दिए गए थे ठेके
शिकायत में यह भी बताया गया है कि निर्माण कार्य 34 ठेकेदारों को सौंपा गया, जिनमें से अधिकांश ठेकेदार आम आदमी पार्टी से कथित रूप से जुड़े हुए थे। इसके अलावा टेंडर प्रक्रिया का पालन किए बिना ही सलाहकारों और वास्तुकारों की नियुक्ति की गई, जिनके सुझावों पर लागत को अनावश्यक रूप से बढ़ाया गया। इस पूरे प्रकरण को ‘दिल्ली क्लासरूम स्कैम’ का नाम दिया जा रहा है।
CVC की रिपोर्ट को दबाने का आरोप
मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की तकनीकी जांच रिपोर्ट भी सामने आई है, जिसमें कई निर्माण विसंगतियों की ओर इशारा किया गया है। आरोप है कि यह रिपोर्ट तीन साल तक सार्वजनिक नहीं की गई और तत्कालीन सरकार ने इसे दबा कर रखा। रिपोर्ट में कई प्रोजेक्ट्स के निर्माण की गुणवत्ता, डिजाइन में कमी और लागत में बेवजह बढ़ोतरी की बात कही गई है।
राजनीतिक बयानबाज़ी तेज
जैसे-जैसे मामला गंभीर होता जा रहा है, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गए हैं। आम आदमी पार्टी का कहना है कि यह कार्रवाई बीजेपी के इशारे पर हो रही है ताकि आप नेताओं की छवि खराब की जा सके। वहीं बीजेपी का कहना है कि यह भ्रष्टाचार का एक बड़ा उदाहरण है, जिसमें जनता का पैसा बर्बाद किया गया।
शिक्षा मॉडल पर उठे सवाल
दिल्ली की पूर्व सरकार अपने ‘शिक्षा मॉडल’ को लेकर देशभर में प्रशंसा बटोरती रही है, लेकिन इस घोटाले के आरोपों ने उसकी साख पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। यदि आरोप सही साबित होते हैं तो यह पूरी शिक्षा क्रांति की छवि को धक्का पहुंचा सकता है। हालांकि सिसोदिया और उनकी पार्टी इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर रहे हैं।
जांच के घेरे में पूरी योजना
ACB अब इस परियोजना की पूरी संरचना की जांच कर रही है, जिसमें बजट आवंटन, योजना स्वीकृति, ठेकेदारों की भूमिका, निर्माण सामग्री की गुणवत्ता और समय-सीमा सभी बिंदुओं को खंगाला जा रहा है। तकनीकी और वित्तीय दोनों स्तर पर जांच हो रही है। आने वाले दिनों में और भी अधिकारियों व ठेकेदारों से पूछताछ हो सकती है।
क्या सिसोदिया गिरफ्तार होंगे?
अब सबकी निगाहें 20 जून पर टिकी हैं, जब मनीष सिसोदिया ACB के सामने पेश होंगे। अगर वे पेश नहीं होते या पूछताछ में सहयोग नहीं करते तो उनके खिलाफ सख्त कदम उठाया जा सकता है। घोटाले की गंभीरता को देखते हुए उनकी गिरफ्तारी की भी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इससे पहले शराब नीति केस में वे जेल जा चुके हैं और अब यह मामला उनके लिए और मुश्किलें खड़ी कर सकता है।।
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