सबवेंशन स्कीम घोटाला: Noida-Greater Noida के नामचीन बिल्डर्स जांच के घेरे में

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (10 जून 2025): सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चल रही सबवेंशन स्कीम घोटाले की जांच में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बड़ा कदम उठाते हुए नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। सीबीआई की टीम ने नोएडा प्राधिकरण से कुल 112 बिल्डर प्रोजेक्ट्स की विस्तृत जानकारी मांगी थी, जिसे प्राधिकरण ने अब जांच एजेंसी को सौंप दिया है। इनमें से अधिकांश परियोजनाएं ग्रेटर नोएडा और ग्रेनो वेस्ट के बड़े और चर्चित बिल्डरों से जुड़ी हैं।

बिल्डरों और बैंकों की मिलीभगत की जांच

सीबीआई यह जांच कर रही है कि किस प्रकार इन बिल्डरों ने बैंकों के साथ मिलकर हाउसिंग लोन दिलवाने के नाम पर खरीदारों को ठगा और लोन की राशि को अन्य योजनाओं में डायवर्ट कर दिया। जांच में यह भी सामने आया है कि न तो बिल्डरों ने बैंक को ईएमआई का भुगतान किया और न ही ब्याज चुकाया। इस अनियमितता के कारण हज़ारों खरीदारों को न तो उनका फ्लैट मिला और न ही वे लोन चुकाने की स्थिति में रहे।

कोर्ट के आदेश के बाद सक्रिय हुआ प्राधिकरण

सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को सीबीआई जांच का आदेश जारी करते हुए संबंधित विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिया था कि वे सीबीआई से समन्वय के लिए अपने यहां एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करें। इस निर्देश के पालन में नोएडा प्राधिकरण ने अकाउंट्स अधिकारी संजीव दत्ता को नोडल अधिकारी नियुक्त किया, जिन्होंने अब तक की जांच में सीबीआई को विभिन्न फाइलें और दस्तावेज सौंपे हैं।

अब तक की जांच में क्या-क्या सौंपा गया?

प्राधिकरण द्वारा सीबीआई को जिन जानकारियों का आदान-प्रदान किया गया है, उनमें प्रत्येक बिल्डर प्रोजेक्ट का ले-आउट प्लान, स्वीकृत पत्र, रजिस्ट्री से जुड़ी फाइलें, बकाया राशि और को-डेवलपर्स की जानकारी शामिल है। यह सारी जानकारी एक संगठित फाइल के रूप में सीबीआई को उपलब्ध कराई गई है। इससे पहले प्राधिकरण ने स्पोर्ट्स सिटी से जुड़ी तमाम जानकारियां भी सीबीआई को सौंपी थीं।

2014 से शुरू हुई थी सबवेंशन स्कीम, ऐसे हुआ घोटाला

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वर्ष 2014 के आसपास सबवेंशन स्कीम के तहत ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए थे। इस योजना के तहत फ्लैट का कब्जा मिलने तक ईएमआई का भुगतान बिल्डर द्वारा किया जाना था, लेकिन कुछ समय बाद बिल्डरों ने ईएमआई देना बंद कर दिया और फ्लैट का कब्जा भी नहीं दिया। इससे खरीदारों पर लोन का बोझ आ गया और वे डिफॉल्टर घोषित कर दिए गए।

बिल्डरों ने कई बार फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से बैंकों से लोन पास करवाए। बैंकों ने बिना उचित मूल्यांकन या साइट निरीक्षण के ही बिल्डरों को लोन जारी कर दिया। जानकारों के मुताबिक, यह पूरा काम एक अघोषित गठजोड़ के तहत हुआ जिसमें बैंक और बिल्डर दोनों शामिल थे।

40 परियोजनाओं में खरीदार हुए प्रभावित

एनसीआर क्षेत्र में खासतौर पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा की लगभग 40 परियोजनाओं में हजारों फ्लैट खरीदार आज भी अपने मकानों के इंतज़ार में फंसे हुए हैं। इन योजनाओं के शुरू होने के कुछ सालों बाद अधिकतर बिल्डर आर्थिक रूप से दिवालिया हो गए, जिससे मामला और भी गंभीर हो गया।

स्पोर्ट्स सिटी घोटाले की भी जांच

सीबीआई नोएडा की बहुचर्चित स्पोर्ट्स सिटी परियोजना की भी जांच कर रही है। पिछले एक महीने में सीबीआई की टीम कई बार नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय पहुंच चुकी है और विभिन्न सेक्टर्स जैसे 78, 79, 150 और 152 में स्थित भूखंडों का निरीक्षण भी किया है। इन भूखंडों का ड्रोन सर्वेक्षण भी कराया गया है ताकि स्थल निरीक्षण के साथ डिजिटल साक्ष्य भी जुटाए जा सकें।

नोएडा-ग्रेटर नोएडा के हजारों खरीदारों के लिए यह जांच उम्मीद की किरण बनकर सामने आई है। सीबीआई की विस्तृत और गहन जांच से यह उम्मीद की जा रही है कि दोषियों को सजा मिलेगी और वर्षों से लंबित फ्लैट मिलने की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।


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