ईद-उल-अजहा 2025: जामा मस्जिद के शाही इमाम ने दी अमन और तस्लीम की सीख

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (7 जून 2025): देशभर में आज ईद-उल-अजहा की धूम है, और राजधानी दिल्ली का ऐतिहासिक जामा मस्जिद परिसर इस अवसर पर आस्था, भाईचारे और रौनक से सराबोर नजर आया। सुबह 6:30 बजे से ही हजारों की संख्या में लोग नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में एकत्र हुए। जैसे-जैसे सूरज निकला, वैसे-वैसे जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लेकर आसपास की गलियों तक लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर चेहरे पर ईद की खुशी थी और हर दिल में दुआओं का सुकून। इस मौके पर लोगों ने एक-दूसरे से गले मिलकर मुबारकबाद दी और शांति, भाईचारे व मानवता के लिए दुआ की।

ईद-उल-अजहा, जिसे ‘बड़ी ईद’ और ‘कुर्बानी का त्योहार’ भी कहा जाता है, पैग़म्बर हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) की अल्लाह के प्रति आज्ञा पालन और समर्पण की मिसाल के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि अल्लाह की रज़ा के लिए अपने पुत्र की कुर्बानी देने को तैयार होने की यह घटना इस्लामी इतिहास में बलिदान की सबसे बड़ी गाथा मानी जाती है। इस परंपरा की याद में मुसलमान दुनिया भर में कुर्बानी करते हैं और इस दिन को आध्यात्मिक आत्मसमर्पण का प्रतीक मानते हैं।

जामा मस्जिद में नमाज से पहले और बाद में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम देखे गए। भीड़ को सुव्यवस्थित रखने के लिए दिल्ली पुलिस ने मस्जिद के भीतर और बाहर व्यापक व्यवस्था की थी। इससे पहले कर्तव्य पथ, यूसुफ सराय, रणजीत सिंह फ्लाईओवर और नेल्सन मंडेला मार्ग जैसे संवेदनशील इलाकों में गाड़ियों की जांच और नियमित गश्त की गई। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि त्योहार के मद्देनज़र हर कोने पर सतर्कता बरती जा रही है ताकि लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो और सभी त्योहार को शांतिपूर्ण ढंग से मना सकें।

नमाज के बाद जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम मौलाना सैयद शाबान बुखारी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ईद-उल-अजहा केवल कुर्बानी का दिन नहीं है, बल्कि यह खुदा के प्रति आत्मसमर्पण और आज्ञाकारिता का दिन है। उन्होंने अपील की कि लोग कुर्बानी केवल निर्धारित स्थानों पर ही करें और गलियों या सार्वजनिक जगहों पर ऐसा न करें ताकि किसी की धार्मिक या सामाजिक भावना आहत न हो। साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया पर कुर्बानी की तस्वीरें न डालने की अपील की, जिससे सामूहिक सौहार्द बना रहे।

इस अवसर पर जामा मस्जिद से सटी मटिया महल की गलियों और बाजारों में भी खासा उत्साह देखा गया। मिठाइयों, सेवईं और शीरखुर्मा की दुकानों पर सुबह से ही ग्राहकों की भीड़ रही। मटिया महल बाजार एसोसिएशन के प्रधान सलीमुद्दीन ने बताया कि इस बार लोगों में खासा उत्साह है और खरीदारी भी अच्छे स्तर पर हो रही है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के चेहरे पर त्योहारी चमक देखी गई।

इस तरह दिल्ली की फिजा आज सिर्फ त्योहार की खुशबू से नहीं, बल्कि इंसानियत, त्याग, और एकजुटता के पैगाम से भी महक उठी। ईद-उल-अजहा न सिर्फ एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह समाज में भाईचारे, सहयोग और परस्पर सम्मान की भावना को मजबूती देने का दिन भी है।


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