नई दिल्ली (04 जून 2025): दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बुधवार को प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में चल रही भारतीय जनता पार्टी की सरकार गरीब कल्याण को अपना सर्वोच्च कर्तव्य मानती है। उन्होंने कहा कि “अंत्योदय हमारा संकल्प है और गरीब कल्याण हमारा लक्ष्य है” यह नारा केवल बयान नहीं, बल्कि इस सरकार की कार्यशैली का हिस्सा है। आशीष सूद ने बताया कि सरकार ने गरीब और मिडिल क्लास परिवारों के जीवन को सरल बनाने के लिए अनेक योजनाएं प्रारंभ की हैं। दिल्ली की झुग्गी-बस्तियों और निम्न आय वर्ग के लोगों की समस्याओं को प्राथमिकता दी जा रही है। खासकर उन वर्गों के लिए योजनाएं बनाई गई हैं जिन्हें वर्षों से उपेक्षित रखा गया था। यह सरकार गरीबों की आकांक्षाओं को केंद्र में रखकर योजनाओं का संचालन कर रही है।
मंत्री सूद ने बताया कि बीजेपी सरकार बनते ही सबसे पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बने 2500 मकानों को रहने लायक बनाने की दिशा में काम किया गया। पूर्ववर्ती सरकार ने इन मकानों पर ‘मुख्यमंत्री’ नहीं लिखा होने के कारण इन्हें गरीबों को नहीं सौंपा था। इस कारण वर्षों से यह मकान खाली पड़े थे और गरीबों को घर का लाभ नहीं मिल पा रहा था। अब 43 करोड़ रुपये की लागत से इन मकानों को फिर से तैयार किया जा रहा है। दिल्ली सावधा बोर्ड के तहत यह निर्माण कार्य गरीबों के लिए बड़ी राहत लेकर आएगा। सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि कोई भी गरीब परिवार बेघर न रहे।
दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में रह रहे नागरिकों के लिए पहली बार 700 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। आशीष सूद ने बताया कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए झुग्गियों में डायरेक्ट टॉयलेट ब्लॉक बनवाए जा रहे हैं। अब वहां की महिलाएं खुले में नहाने के लिए मजबूर नहीं होंगी। इस बजट के अंतर्गत पीने के पानी, सीवरेज और अन्य मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 27 साल में पहली बार किसी सरकार ने झुग्गीवासियों के जीवन को आसान बनाने की ठोस पहल की है। यह बजट झुग्गीवासियों के जीवन स्तर में बड़ा बदलाव लाने वाला है।
शिक्षा मंत्री ने पिछली सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि 31 मार्च की रात 11:50 पर बजट जारी करना इस बात का प्रमाण है कि योजनाओं को क्रियान्वयन से वंचित रखा गया। इसके विपरीत, नई सरकार ने आते ही शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन किए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े 12 कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों को समय पर वेतन देने के लिए 417 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। यह रकम 1 अप्रैल की शाम से 2 अप्रैल की सुबह के बीच उनके खातों में पहुंचाई गई। इससे हज़ारों छात्रों और कर्मचारियों को राहत मिली है। शिक्षा को लेकर सरकार का दृष्टिकोण बेहद संवेदनशील और सक्रिय है।
तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार ने गरीब छात्रों के लिए ठोस कदम उठाए हैं। तीन लाख रुपये सालाना से कम आय वाले परिवारों के बच्चों को स्कॉलरशिप 2021-22 से नहीं मिल रही थी। सरकार ने इस बकाया स्कॉलरशिप को निपटाते हुए 19 करोड़ रुपये जारी किए हैं। सूद ने बताया कि केवल 100 दिनों के अंदर सरकार ने यह स्कॉलरशिप पुनः शुरू कर दी। यह कदम अंत्योदय के मूल सिद्धांतों को मूर्त रूप देने वाला है। दिल्ली सरकार का मानना है कि शिक्षा सभी के लिए सुलभ और सस्ती होनी चाहिए।
सरकार ने मेडिकल और सेंट्रल यूनिवर्सिटी परीक्षाओं के लिए गरीब छात्रों को ऑनलाइन कोचिंग भी उपलब्ध करवाई है। फिजिक्स वाला जैसे प्रतिष्ठित पोर्टल के माध्यम से NEET और CUET की मुफ्त कोचिंग शुरू की गई है। भारत सरकार की एमएसटीसी कंपनी के साथ साझेदारी में यह सुविधा गरीब और सरकारी स्कूलों के छात्रों को उपलब्ध कराई गई है। हज़ारों छात्रों ने इस सुविधा का लाभ उठाया है। यह पहल उन छात्रों के लिए वरदान साबित हो रही है जिनके पास महंगी कोचिंग का विकल्प नहीं था। दिल्ली सरकार की यह योजना शिक्षा में समानता लाने की दिशा में मील का पत्थर है।
आशीष सूद ने कहा कि बीते 27 वर्षों में जहां निजी स्कूलों की संख्या 1700 तक पहुंच गई, वहीं सरकारी स्कूलों की संख्या केवल 1000 ही रही। इसे बदलने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। 75 सीएम श्री स्कूलों की स्थापना की जा रही है, जिनमें अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और स्मार्ट क्लासरूम होंगे। इन स्कूलों में प्रत्येक कक्षा में स्मार्ट तकनीक से पढ़ाई होगी। 100 करोड़ रुपये का विशेष बजट इन स्कूलों के लिए तय किया गया है। बच्चों को एआर/वीआर लैब, रोबोटिक्स, डेटा साइंस जैसी उन्नत सुविधाएं दी जाएंगी। इससे सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों से बेहतर बनाने की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है।
अत्याधुनिक सीएम श्री स्कूलों में एआई-बेस्ड लर्निंग आउटकम्स पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इन स्कूलों को भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है ताकि गरीब बच्चों को भी वही अवसर मिल सकें जो निजी स्कूलों के बच्चों को मिलते हैं। डिजिटल शिक्षा पर फोकस करते हुए स्कूलों को तकनीकी रूप से समृद्ध बनाया जाएगा। यहां छात्र केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि व्यावहारिक और आधुनिक शिक्षा से लैस होंगे। यह शिक्षा प्रणाली बच्चों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगी। सरकार का मानना है कि तकनीकी और डिजिटल क्रांति में गरीबों की हिस्सेदारी भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
मंत्री सूद ने बताया कि सरकार 250 स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना करने जा रही है। फिलहाल दिल्ली में लगभग 1000 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें से 250 को डिजिटल रूप से समृद्ध बनाने की योजना है। इन स्कूलों में बच्चों को ऑनलाइन कंटेंट, डिजिटल बुक्स और लर्निंग टूल्स उपलब्ध कराए जाएंगे। डिजिटल लाइब्रेरी का मकसद यह है कि गरीब और मध्यम वर्गीय छात्र भी वैश्विक ज्ञान से जुड़ सकें। तकनीकी शिक्षा तक सबकी पहुंच सरकार का प्रमुख उद्देश्य है। इन प्रयासों से स्कूलों का शैक्षणिक वातावरण पूरी तरह बदलने की तैयारी है।
अंत में शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने फिर दोहराया कि गरीब कल्याण केवल योजना नहीं, बल्कि सरकार की प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई हमें फिर से दसवीं कक्षा में भेज दे तो हम चाहेंगे कि हमें हर सुविधा मिले जो कभी छूट गई थी। सरकार यही सोचकर काम कर रही है कि आज का हर बच्चा अपने माता-पिता की अधूरी आकांक्षाएं पूरी कर सके। गरीबों के लिए बेहतर शिक्षा, आवास और जीवनशैली सुनिश्चित करना इस सरकार की पहली प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “अंत्योदय” विज़न को मूर्त रूप देने में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार पूरी तरह समर्पित है।।
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