दिल्ली में मोहल्ला क्लिनिक स्टाफ सड़कों पर, नौकरी बचाने की लड़ाई तेज

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (03 जून 2025): दिल्ली में कोविड मामलों के फिर से बढ़ने के बीच आम आदमी मोहल्ला क्लिनिक (AAMC) के डॉक्टर और कर्मचारी अपनी नौकरी बचाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। सोमवार को हुए इस विरोध प्रदर्शन के चलते राजधानी के कई मोहल्ला क्लिनिक बंद रहे, जिससे इलाज के लिए पहुंचे हजारों मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारी स्टाफ का आरोप है कि दिल्ली सरकार मोहल्ला क्लिनिक को आयुष्मान भारत आरोग्य मंदिर में बदलने की योजना पर काम कर रही है, लेकिन पुराने स्टाफ को नई योजना में समायोजित नहीं किया जा रहा।

स्टाफ ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर जल्द विचार नहीं हुआ तो वे राजधानीभर में स्वास्थ्य सेवाओं को ठप करने जैसे कदम उठाने पर मजबूर होंगे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि करीब 2,500 डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की नौकरियां खतरे में हैं, जो पिछले कई सालों से मोहल्ला क्लिनिक के माध्यम से दिल्ली के गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं। उनका मानना है कि सरकार स्वास्थ्य ढांचे में बदलाव कर रही है, लेकिन मानव संसाधन को लेकर नीति अस्पष्ट है।

दिल्ली सचिवालय के बाहर जुटे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने रोकने की कोशिश की और कुछ प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए सचिवालय के अंदर ले जाया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सचिवालय में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज या स्वास्थ्य सचिव में से कोई भी मौजूद नहीं था। हालांकि, डॉक्टरों की मुलाकात स्वास्थ्य मंत्री के सचिव से करवाई गई, जिन्होंने समस्या की गंभीरता को स्वीकार किया और बताया कि इस मामले पर उच्च स्तर पर विचार किया जा रहा है।

प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ ने आरोप लगाया कि उन्हें बार-बार आश्वासन तो दिए जा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उनका यह भी कहना है कि सरकार ने बिना सलाह-मशविरा किए ही नई योजना की शुरुआत कर दी, जिससे वर्तमान स्टाफ की अनदेखी हुई है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे सरकारी नीतियों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उनका हक छीना जा रहा है, जो वे बर्दाश्त नहीं करेंगे।

दिल्ली में मोहल्ला क्लिनिक, आम आदमी पार्टी की सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य योजना रही है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया। अब इस मॉडल को केंद्र सरकार के आयुष्मान भारत के तहत समाहित किया जा रहा है, लेकिन इसमें राज्य सरकार द्वारा नियुक्त कर्मचारियों की भूमिका अस्पष्ट बनी हुई है। ऐसे में जहां एक ओर आम जनता इलाज के लिए भटक रही है, वहीं दूसरी ओर हजारों मेडिकल स्टाफ अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इस टकराव का समाधान न हुआ तो आने वाले दिनों में दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा असर पड़ सकता है।


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