SC को मिले तीन नए न्यायाधीश, कॉलेजियम की सिफारिश को केंद्र सरकार की स्वीकृति

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (30 मई 2025): देश की सर्वोच्च अदालत को तीन नए न्यायमूर्ति मिल गए हैं, जिससे लंबे समय से रिक्त चल रहे न्यायिक पदों को भरने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर मुहर लगाते हुए न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया, न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति अतुल एस चंदुरकर की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए इन तीनों को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है। इन तीनों जजो ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति के समक्ष अपना शपथ ग्रहण संपन्न कर लिया है तथा सुप्रीम कोर्ट की दैनिक सुनवाई 11:30 बजे से शुरू हो गई है।इन नियुक्तियों से शीर्ष अदालत में न्यायिक कार्यों की गति और निष्पक्षता को मजबूती मिलेगी, वहीं देश की न्यायिक प्रणाली में भी नया ऊर्जा संचार होगा।

यह नियुक्तियाँ सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की उस सिफारिश के बाद आई हैं जो हाल ही में सामने आई थी। कॉलेजियम ने कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी अंजारिया, गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई और बॉम्बे हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश अतुल एस चंदुरकर को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार ने इस सिफारिश को गंभीरता से लिया और अपेक्षाकृत शीघ्र निर्णय लेकर इस पर अमल भी कर दिया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इन नियुक्तियों की पुष्टि करते हुए कहा कि इन नए जजों के जुड़ने से सुप्रीम कोर्ट की कार्यक्षमता और न्यायिक संतुलन को नई दिशा मिलेगी।

न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया एक अनुभवी न्यायविद हैं, जिन्होंने अगस्त 1988 में गुजरात हाई कोर्ट में वकालत शुरू की थी। उन्होंने संवैधानिक, श्रम, सिविल और सेवा मामलों में लंबा अनुभव अर्जित किया है। उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट में स्थायी अधिवक्ता के रूप में राज्य सरकार और विभिन्न निकायों का प्रतिनिधित्व किया। उन्हें 2011 में उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया और 2013 में स्थायी न्यायाधीश पद पर नियुक्त हुए। फरवरी 2024 में वे कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और अब सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत होकर पहुंचे हैं। उनकी नियुक्ति न्यायिक क्षेत्र में वर्षों की मेहनत और निष्ठा का प्रतीक मानी जा रही है।

वहीं, न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई का करियर भी उतना ही समृद्ध और विविध रहा है। उन्होंने 1989 में अधिवक्ता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और राजस्थान हाई कोर्ट के साथ-साथ केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में भी विभिन्न प्रकार के मामलों में वकालत की। वे केंद्र सरकार के स्थायी वकील भी रहे और राजस्थान सरकार के विभिन्न विभागों की तरफ से कानूनी सलाहकार की भूमिका निभाई। जनवरी 2013 में वे राजस्थान उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए और 2015 में स्थायी जज बने। फरवरी 2024 में उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट में उनका आगमन उनके विशिष्ट न्यायिक दृष्टिकोण और अनुभव को राष्ट्रीय स्तर पर साझा करने का अवसर देगा।

तीसरे नियुक्त न्यायमूर्ति अतुल एस चंदुरकर ने 1988 में अपने वकालती करियर की शुरुआत मुंबई में की थी और बाद में 1992 में नागपुर स्थानांतरित हो गए। नागपुर में उन्होंने दीवानी, सेवा, प्रशासनिक और अन्य मामलों में प्रैक्टिस की। अपने व्यापक अनुभव के चलते उन्हें 2013 में बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। वे विशेष रूप से स्पष्ट और संतुलित निर्णयों के लिए जाने जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में उनकी उपस्थिति से विशेष रूप से मध्य भारत के न्यायिक दृष्टिकोण को राष्ट्रीय विमर्श में प्रतिनिधित्व मिलेगा।

ये नियुक्तियाँ पूर्व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, अभय एस ओका और ऋषिकेश रॉय के सेवानिवृत्त होने से खाली हुए स्थानों को भरने के लिए की गई हैं। इन नए जजों के शामिल होने से सर्वोच्च न्यायालय की कुल न्यायाधीश संख्या में संतुलन बना रहेगा और मामलों के निपटारे की प्रक्रिया को गति मिलेगी। न्यायपालिका में अनुभव और युवा दृष्टिकोण का यह संतुलन भारतीय न्याय व्यवस्था को और अधिक प्रभावी, पारदर्शी और जनोन्मुखी बनाने में सहायक सिद्ध होगा।

यह नियुक्ति सिर्फ तीन व्यक्तियों के नई जिम्मेदारी संभालने की घटना नहीं है, बल्कि यह न्यायपालिका की जवाबदेही, दक्षता और भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उम्मीद की जाती है कि ये न्यायमूर्ति सुप्रीम कोर्ट में अपने विवेकपूर्ण, निष्पक्ष और संवेदनशील निर्णयों के ज़रिए देश की न्यायिक विरासत को और अधिक समृद्ध करेंगे।


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