DPS द्वारका के छात्रों को उच्च न्यायालय से मिली राहत, फीस बढ़ोतरी पर कोर्ट ने क्या कहा
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (29 मई 2025): दिल्ली हाई कोर्ट ने डीपीएस द्वारका के उन छात्रों को बड़ी राहत दी है जिन्हें बढ़ी हुई स्कूल फीस न देने के चलते स्कूल से निकाला गया था। न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने एक अंतरिम आदेश में कहा कि छात्रों को दोबारा कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी जाती है, लेकिन इसके लिए उनके माता-पिता को 2024-25 के लिए बढ़ाई गई फीस का 50 प्रतिशत हिस्सा जमा करना होगा। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह राहत सिर्फ बढ़ी हुई फीस के हिस्से पर दी गई है, जबकि मूल फीस (Base Fee) पूरी तरह से देनी होगी।
कोर्ट ने कहा कि यह अंतरिम व्यवस्था तब तक लागू रहेगी जब तक शिक्षा विभाग (DoE) यह तय नहीं कर लेता कि फीस में की गई बढ़ोतरी उचित है या नहीं। इसके साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश मौजूदा रिट याचिका के अंतिम निपटारे तक प्रभावी रहेगा। कोर्ट ने टिप्पणी की, “छात्रों को उनकी पढ़ाई से वंचित नहीं किया जा सकता, जब तक विवाद सुलझाया नहीं जाता।” अभिभावकों ने कोर्ट में आरोप लगाया था कि स्कूल ने शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों की अवहेलना करते हुए मनमानी फीस वृद्धि की और उसका भुगतान न करने पर छात्रों को स्कूल से बाहर कर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि स्कूल ने छात्रों को कक्षाओं में प्रवेश से रोकने के लिए बाहरी सुरक्षा गार्ड (बाउंसर) तक तैनात कर दिए थे। उन्होंने कोर्ट से पूर्व में पारित आदेशों की याद दिलाई, जिसमें छात्रों के हितों को सर्वोपरि बताया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि स्कूल ने शिक्षा विभाग की चेतावनियों के बावजूद वर्ष 2023-24 में वसूली गई अतिरिक्त और अनधिकृत फीस अभी तक वापस नहीं की है। साथ ही, स्कूल ने फीस न भरने वाले छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है, उन्हें कक्षाओं में बैठने नहीं दिया गया और उनके नाम स्कूल से काट दिए गए। कोर्ट ने इसे छात्रों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार बताया। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि स्कूलों पर फीस बढ़ाने की रोक नहीं है, बशर्ते वे यह साबित करें कि बढ़ोतरी शिक्षा के व्यवसायीकरण और लाभ कमाने की मानसिकता से प्रेरित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा विभाग को स्कूल के वित्तीय दस्तावेजों की जांच करनी होगी और यदि वह पाता है कि फीस बढ़ोतरी अनावश्यक और अनुचित है, तो वह इसे खारिज कर सकता है।
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि वर्ष 2023-24 के लिए एकत्र की गई अतिरिक्त फीस को वर्तमान देनदारी में समायोजित किया जाएगा और छात्रों की बकाया राशि की गणना इसी आधार पर होगी। अदालत ने स्कूल को छात्रों के खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई से रोका और मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त तय की है। इस मामले में छात्रों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष गुप्ता, संदीप गुप्ता, दीप्ति वर्मा, ऋषभ राय और यशराज ने पैरवी की। वहीं डीपीएस द्वारका की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पिनाकी मिश्रा और पुनीत मित्तल के साथ भुवन गुगनानी और अन्य अधिवक्ताओं की टीम कोर्ट में पेश हुई। शिक्षा विभाग (DoE) की ओर से स्थायी अधिवक्ता समीर वशिष्ठ ने पक्ष रखा।
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