दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में ‘रिश्वत के बदले जमानत’ का विवाद,रिकॉर्ड कीपर पर गंभीर आरोप!
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (27 मई 2025): राजधानी की प्रतिष्ठित राऊज एवेन्यू कोर्ट इन दिनों एक बेहद संगीन और रहस्यमयी विवाद की गिरफ्त में है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही स्पेशल जज दीपावली शर्मा का अचानक तबादला कर दिया गया है, और उनके रिकॉर्ड कीपर (अहलमद) मुकेश कुमार पर करोड़ों रुपये की रिश्वत मांगने और लेने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस घटनाक्रम ने न्यायपालिका के भीतर पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर गहन सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला तब सुर्खियों में आया जब एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने 30 दिसंबर 2024 को एक GST अधिकारी के रिश्तेदार की शिकायत के आधार पर जांच शुरू की। आरोप है कि कोर्ट के अधिकारियों ने आरोपी की जमानत दिलवाने के बदले 85 लाख रुपये की मांग की। जनवरी 2025 में एक अन्य शिकायत में यह आरोप और गहराया, जिसमें कहा गया कि प्रति आरोपी 15-20 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई।
ACB की जांच में विशाल कुमार नाम के एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया, जिसने कबूल किया कि उसने मुकेश कुमार को 40 लाख रुपये दिए और इसके बदले में अंतरिम और नियमित जमानत हासिल की। विशाल ने अन्य मामलों में भी मध्यस्थ की भूमिका निभाने का दावा किया, जिसमें राज सिंह सैनी, ललित कुमार जैसे आरोपियों का नाम सामने आया है। इसी बीच 11 फरवरी 2025 को अतिरिक्त लोक अभियोजक मनोज गर्ग ने एक चौंकाने वाला पत्र कोर्ट को सौंपा, जिसमें बताया गया कि ACB का एक अधिकारी उनसे कह चुका था कि कोर्ट स्टाफ और जज के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ इसलिए की जा रही है क्योंकि कोर्ट ने ACB की कार्यप्रणाली पर सख्त टिप्पणियां की थीं। गर्ग को यहां तक चेतावनी दी गई कि अगर उन्होंने ACB की जांच पर सवाल उठाए, तो उन्हें भी ‘परिणाम भुगतने’ पड़ सकते हैं।
अहलमद मुकेश कुमार ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे खुद के और स्पेशल जज के खिलाफ ‘सोची-समझी साजिश’ करार दिया है। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। मुकेश का दावा है कि उन्हें फंसाया जा रहा है और सच्चाई तभी सामने आएगी जब निष्पक्ष एजेंसी इसकी जांच करेगी। हालांकि, 22 मई को उनकी अग्रिम जमानत याचिका राऊज एवेन्यू कोर्ट ने खारिज कर दी, कोर्ट ने कहा कि पूछताछ के लिए उनकी हिरासत जरूरी है।दिल्ली हाई कोर्ट ने अभी उन्हें कोई राहत नहीं दी है लेकिन ACB को नोटिस जारी कर 29 मई तक जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले की जड़ें अप्रैल 2023 के उस GST घोटाले में जुड़ी हुई हैं, जिसमें फर्जी कंपनियों को करोड़ों रुपये का GST रिफंड जारी करने के आरोप लगे थे। उस मामले में कुल 16 गिरफ्तारियां हुई थीं और आरोप है कि जमानत दिलवाने के नाम पर रिश्वत का खेल शुरू हुआ।
फिलहाल, जज का तबादला, कोर्ट स्टाफ पर आपराधिक आरोप, और ACB बनाम न्यायपालिका जैसी स्थिति ने भारतीय न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता पर गहरा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। क्या यह सचमुच रिश्वत का मामला है या किसी ईमानदार अधिकारी और न्यायाधीश के खिलाफ सुनियोजित षड्यंत्र? इस सवाल का जवाब समय के गर्भ में छिपा है, लेकिन इस बीच न्यायपालिका की साख और कार्यशैली दोनों कटघरे में खड़ी दिख रही है।
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