नई दिल्ली (27 मई 2025): दिल्ली पुलिस ने अपनी सख्त अनुशासन प्रणाली को और मजबूती देते हुए वर्दी में सोशल मीडिया पर रील्स और वीडियो बनाने वाले पुलिसकर्मियों पर सख्त रुख अपनाया है। पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा की अगुवाई में मुख्यालय स्तर पर ऐसे पुलिसकर्मियों की एक सूची तैयार की गई है, जिन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। 24 मई 2025 को जारी किए गए मेमोरैंडम में सभी जिलों और यूनिट्स को यह सूची भेज दी गई है, जिसमें संबंधित पुलिसकर्मियों के नाम शामिल हैं। मुख्यालय ने स्पष्ट किया है कि वर्दी का सोशल मीडिया पर प्रदर्शन न केवल विभाग की गरिमा के खिलाफ है, बल्कि यह सुरक्षा से जुड़े गंभीर मसलों को भी प्रभावित कर सकता है।
कमिश्नर संजय अरोड़ा ने इस संबंध में निर्देश दिए हैं कि यूनिट प्रमुख अपने-अपने स्तर पर ऐसे कर्मियों को जागरूक करें और उनकी जिम्मेदारियों तथा सोशल मीडिया पर व्यवहार के बीच फर्क समझाएं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई पुलिसकर्मी इस चेतावनी के बावजूद सोशल मीडिया पर वर्दी के दुरुपयोग का दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। पुलिस कमिश्नर ने यह भी दोहराया कि विभागीय नियमों और सामाजिक मर्यादाओं की अवहेलना किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
यह कोई पहली बार नहीं है जब दिल्ली पुलिस ने अपने स्टाफ के सोशल मीडिया व्यवहार पर ध्यान दिया हो। 24 अगस्त 2023 को पुलिस कमिश्नर ने एक विस्तृत सोशल मीडिया गाइडलाइंस जारी की थी, जिसमें कुल 16 बिंदुओं पर स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। इस पॉलिसी में वर्दी, हथियार, बैरिकेड, सरकारी गाड़ी के साथ किसी भी प्रकार के वीडियो या फोटो को साझा करने से मना किया गया था। साथ ही, विभागीय ट्रेनिंग, गोपनीय मामलों, लंबित केस, संदिग्ध या आरोपी व्यक्तियों को लेकर किसी भी प्रकार की टिप्पणी या वीडियो को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया था।
2022 में भी एक स्टैडिंग ऑर्डर जारी हुआ था, जिसमें वर्दी की गरिमा बनाए रखने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर अनुशासनात्मक नियंत्रण की बात कही गई थी। बावजूद इसके, कई पुलिसकर्मियों ने विभागीय आदेशों की अनदेखी करते हुए सोशल मीडिया पर वर्दी पहनकर वीडियो बनाए और साझा किए। मुख्यालय ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए अब सख्त कदम उठाए हैं।
नए मेमोरेंडम में कहा गया है कि सभी डीसीपी और यूनिट्स प्रमुख 15 जून तक अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को सौंपें, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि सूची में शामिल पुलिसकर्मियों को कितना और किस तरह से जागरूक किया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पुलिसकर्मी निजी और पेशेवर पहचान को लेकर संवेदनशील बनें और विभाग की गरिमा तथा जनहित में किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचें।
यह कदम यह दर्शाता है कि दिल्ली पुलिस न केवल तकनीक और सोशल मीडिया के प्रभाव को समझ रही है, बल्कि समय के साथ बदलते पेशेवर मानकों को बनाए रखने के लिए सक्रिय रूप से काम भी कर रही है। यह स्पष्ट संकेत है कि अनुशासनहीनता और सोशल मीडिया पर अनियंत्रित गतिविधियों के लिए अब विभाग में कोई जगह नहीं बची है।
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