16 साल बाद टूटा रिकॉर्ड, भारत में समय से 8 दिन पहले पहुंचा मानसून, दिल्ली समेत 15 राज्यों में बारिश का अलर्ट
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (24 मई 2025): देश में इस साल मानसून ने रिकॉर्ड बनाते हुए समय से आठ दिन पहले दस्तक दे दी है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून 24 मई 2025 को केरल पहुंच गया, जबकि सामान्यतः यह 1 जून के आसपास आता है। यह पिछले 16 वर्षों में पहली बार है जब मानसून इतनी जल्दी दक्षिण भारत के तटों पर पहुंचा है। इससे पहले केवल 2001 और 2009 में ही मानसून 23 मई को आया था, और अब 2025 में यह रिकॉर्ड फिर से टूटा है। 1918 में यह सबसे जल्दी यानी 11 मई को आया था। इस ऐतिहासिक दस्तक ने जहां किसानों और मौसम विशेषज्ञों की उम्मीदों को बल दिया है, वहीं देशभर में भारी बारिश की चेतावनियों ने चिंता भी बढ़ा दी है।
केरल में मानसून की यह जल्दी दस्तक न केवल जलवायु में असामान्य बदलाव को दर्शाती है, बल्कि यह भविष्य की खेती, जल प्रबंधन और आपदा नियंत्रण के लिए भी संकेत दे रही है। मौसम विभाग ने बताया कि इस बार मानसून की गति तेज है और अगले कुछ दिनों में इसके कई राज्यों में सक्रिय होने की संभावना है। पिछले वर्षों पर नजर डालें तो 2009 के बाद यह पहला मौका है जब मानसून 24 मई से पहले केरल पहुंचा है। 2010 से 2024 के बीच अधिकांश बार मानसून जून के पहले हफ्ते में ही पहुंचा करता था।
मानसून की शुरुआती सक्रियता के बाद मौसम विभाग ने देश के विभिन्न हिस्सों में बारिश को लेकर चेतावनियां जारी कर दी हैं। दिल्ली, बिहार, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और गुजरात सहित कुल 15 राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट है। बिहार, झारखंड और ओडिशा में 26 मई तक तेज बारिश होने की संभावना जताई गई है, जबकि महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल के तटीय इलाकों में अगले सात दिनों तक 200 मिमी तक बारिश हो सकती है।
मौसम विभाग ने तीन राज्यों में रेड अलर्ट भी जारी किया है। कर्नाटक के उत्तरा कन्नड़, उडुपी, दक्षिण कन्नड़, कोडागु, शिवमोग्गा और चिकमंगलूर जिलों में 27 मई तक भारी बारिश का अनुमान है। वहीं, गोवा और केरल के कुछ जिलों में भी इसी अवधि तक रेड अलर्ट जारी किया गया है। इन इलाकों में खराब मौसम, जलभराव, भूस्खलन और बिजली गिरने जैसी घटनाओं को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
इस साल मानसून की असामान्य शुरुआत ने जहां किसानों के चेहरों पर मुस्कान लाई है, वहीं आपदा प्रबंधन एजेंसियों के लिए चुनौती भी खड़ी कर दी है। मौसम विभाग लगातार सैटेलाइट मॉनिटरिंग और ग्राउंड रिपोर्ट्स के आधार पर अपडेट्स दे रहा है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पहले से तैयारी की जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल मानसून की चाल को लेकर विशेष सतर्कता बरतनी होगी, क्योंकि इसकी अनियमित गति कई क्षेत्रों में अत्यधिक या अत्यल्प बारिश का कारण बन सकती है। मानसून की इस रिकॉर्ड तोड़ एंट्री ने जहां इतिहास में एक और पन्ना जोड़ा है, वहीं आने वाले हफ्तों में देशभर में मौसम के उतार-चढ़ाव के साथ जनजीवन पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।
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