दिल्ली में ‘ईको वॉरियर ड्राइव’ का शुभारंभ, दो लाख छात्र बनेंगे पर्यावरण के रक्षक
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (23 मई 2025): अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर दिल्ली सरकार ने एक महत्वाकांक्षी ‘ईको वॉरियर ड्राइव’ की शुरुआत की है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा लॉन्च की गई इस मुहिम का उद्देश्य राजधानी के युवाओं में पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ाना और उन्हें सतत विकास के लिए तैयार करना है। यह अभियान लगभग 2 लाख छात्रों को सीधे जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है, जो दिल्ली-एनसीआर के 2000 से अधिक स्कूलों और कॉलेजों से आएंगे। ये छात्र ईको-क्लब्स के माध्यम से पृथ्वी और पर्यावरण संरक्षण में भाग लेंगे। कार्यक्रम का फोकस केवल सैद्धांतिक ज्ञान नहीं, बल्कि व्यावहारिक प्रशिक्षण, कार्यशालाएं और सामुदायिक भागीदारी भी है। छात्रों को जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और हरित जीवनशैली जैसे विषयों पर गहराई से शिक्षित किया जाएगा। सरकार का मानना है कि युवा पीढ़ी यदि पर्यावरण की अहमियत को समझे, तो वह समाज में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। मंत्री ने इसे “हरित क्रांति की नई शुरुआत” करार दिया। यह पहल एक प्रकार से भावी पीढ़ियों को जलवायु योद्धा बनाने का प्रयास है।
इस अभियान के संचालन में दिल्ली सरकार का पर्यावरण विभाग और एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (TERI) मिलकर काम कर रहे हैं। दोनों संस्थाओं के बीच एक औपचारिक समझौता (MoU) भी साइन हुआ है, जिसके तहत परियोजना के लिए 40 लाख रुपये की राशि आवंटित की गई है। इस संयुक्त प्रयास का उद्देश्य सिर्फ कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करना नहीं है, बल्कि पर्यावरणीय शिक्षा की गुणवत्ता को भी ऊँचा उठाना है। दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह पहल नीतिगत स्तर पर जागरूकता बढ़ाने से लेकर जमीनी कार्यान्वयन तक का एक सम्पूर्ण मॉडल होगी। TERI इस प्रक्रिया में वैज्ञानिक और शैक्षणिक विशेषज्ञता प्रदान करेगा, जबकि सरकार प्रशासनिक और संरचनात्मक सहयोग देगी। यह एक मॉडल पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) की तरह कार्य करेगा, जिससे भविष्य में देश के अन्य हिस्सों में भी दोहराया जा सके।
कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता है — ‘पार्यावरण संरक्षक’ यानी “Paryavaran Sanrakshak” नामक प्रशिक्षित समूह का निर्माण। इस समूह में 80 से अधिक छात्र और शिक्षक शामिल किए गए हैं, जिन्हें पर्यावरण नेतृत्व के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। ये संरक्षक न केवल अपने स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता फैलाएंगे, बल्कि पर्यावरणीय अभियानों की अगुवाई भी करेंगे। इनके माध्यम से अभियान की पहुँच दूरदराज़ के समुदायों तक सुनिश्चित की जाएगी। छात्रों को जल, वायु और हरित संसाधनों के संरक्षण पर व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। यह रणनीति इसलिए अपनाई गई है ताकि केवल शहरी क्षेत्रों तक ही नहीं, बल्कि ग्रामीण व पिछड़े इलाकों में भी यह जागरूकता फैले। इस संरचना को एक ‘सांस्कृतिक परिवर्तन’ के रूप में देखा जा रहा है जो आने वाली पीढ़ियों में गहराई से जड़ेगा।
पर्यावरण मंत्री सिरसा ने इस पहल को दिल्ली सरकार की “हरित शिक्षा नीति” का एक अंग बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार पर्यावरणीय मुद्दों पर केवल कानून और नियंत्रण के भरोसे नहीं बैठी है, बल्कि शिक्षण और भागीदारी को केंद्र में रखा है। उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि “यदि आप स्वच्छ हवा, हरित क्षेत्र और संतुलित पारिस्थितिकी को समझते हैं, तो आप इस धरती को बचाने में सबसे बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।” सरकार इस प्रयास के माध्यम से एक ऐसी पीढ़ी को तैयार करना चाहती है जो पर्यावरण की रक्षा को अपने जीवन का हिस्सा माने। यह शिक्षा केवल कक्षा तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि हर घर तक पहुंचेगी।
कार्यक्रम नवंबर 2025 तक संचालित होगा और इसमें इंटरैक्टिव लर्निंग, सामुदायिक आउटरीच, और क्लाइमेट एक्शन प्रोजेक्ट्स शामिल होंगे। छात्र डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से कार्यशालाओं और क्यूरेटेड पाठ्यक्रमों में भाग लेंगे। इससे उनके ज्ञान में बढ़ोतरी होगी और वे वैश्विक जलवायु संकटों को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे। इसके अतिरिक्त, विभिन्न प्रतियोगिताएं, वृक्षारोपण अभियान, जल-संरक्षण गतिविधियाँ और अपशिष्ट प्रबंधन पर आधारित परियोजनाएं चलाई जाएंगी। सरकार का लक्ष्य है कि इस कार्यक्रम को एक जनांदोलन में बदला जाए, जिसमें केवल छात्र नहीं, बल्कि उनके अभिभावक और शिक्षक भी सक्रिय भागीदार बनें। यह अभियान दिल्ली को पर्यावरणीय दृष्टि से जिम्मेदार राजधानी में बदलने का आधार बनेगा।
यह अभियान न केवल छात्रों को एक दिशा देगा, बल्कि आने वाले समय में भारत की पर्यावरणीय नीतियों को भी एक जनसहभागिता के मॉडल की ओर ले जाएगा। दिल्ली सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पर्यावरण सुरक्षा केवल सरकारों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक भागीदारी से ही संभव है। यदि इस अभियान का सफल क्रियान्वयन होता है, तो इसे देशभर में दोहराया जा सकता है। इस प्रकार की पहलें भारत को सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण बढ़त दिला सकती हैं। यह अभियान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नई सोच, नई राह और नई जिम्मेदारी की शुरुआत है। ऐसे प्रयासों से ही भारत जलवायु संकट के विरुद्ध वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है।।
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