“डॉक्टर डेथ” की खौफनाक वापसी: 50 से ज्यादा हत्याएं, लाशें मगरमच्छों के हवाले, अब पुलिस के शिकंजे में!
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (21 मई 2025): दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने देश के सबसे खौफनाक अपराधियों में शुमार ‘डॉक्टर डेथ’ उर्फ देवेंद्र शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है। यह वही शख्स है जो टैक्सी चालकों की हत्या कर उनके शव मगरमच्छों को खिला देता था, ताकि कोई सबूत न बचे। आयुर्वेदिक डॉक्टर की डिग्री लेने वाला यह अपराधी वर्ष 2023 में तिहाड़ जेल से पैरोल पर बाहर आया और फरार हो गया था। गिरफ्तारी के समय वह राजस्थान के दौसा जिले के एक आश्रम में पुजारी बनकर छिपा हुआ था। देवेंद्र शर्मा पर हत्या, अपहरण, लूट और मानव अंग तस्करी जैसे 27 गंभीर मामले दर्ज हैं। वह 50 से ज्यादा टैक्सी चालकों की हत्या की वारदात कबूल कर चुका है। पुलिस उसकी गिरफ्तारी को एक बड़ी कामयाबी मान रही है।
67 वर्षीय देवेंद्र शर्मा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का निवासी है। उसने 1984 में बिहार से बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की डिग्री हासिल की थी। पढ़ाई के बाद उसने राजस्थान के बांदीकुई में एक क्लीनिक खोला, जिसे लगभग 11 साल तक चलाया। लेकिन धीरे-धीरे वह अपराध की दुनिया की ओर मुड़ गया और गैस एजेंसी घोटाले, किडनी रैकेट और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में शामिल हो गया। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार वह दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की अलग-अलग अदालतों से उम्रकैद की सजा पा चुका है। वहीं गुड़गांव कोर्ट ने एक हत्या के मामले में उसे फांसी की सजा भी सुनाई थी।
शर्मा ने 1995 से लेकर 2004 के बीच टैक्सी और ट्रक चालकों को निशाना बनाना शुरू किया। वह अपने साथियों के साथ मिलकर इन्हें अगवा करता और हत्या कर शव यूपी के कासगंज जिले में हजारा नहर में फेंक देता, जहां मगरमच्छ उन्हें खा जाते थे। इस खौफनाक योजना का मकसद था सबूत मिटाना, ताकि पुलिस को कोई सुराग न मिले। इस दौरान उसने किडनी रैकेट भी चलाया और बताया कि 125 से ज्यादा ट्रांसप्लांट्स में वह बिचौलिया रहा। हर केस में उसे 5 से 7 लाख रुपये मिले।
पुलिस की माने तो देवेंद्र शर्मा का सबसे कुख्यात दौर 1998 से 2004 के बीच रहा, जब वह एक अन्य डॉक्टर अमित के साथ मिलकर अवैध किडनी ट्रांसप्लांट कराता था। यह रैकेट दिल्ली-एनसीआर से लेकर यूपी और राजस्थान तक फैला हुआ था। कई पीड़ित गरीब लोगों को धोखा देकर उनकी किडनी निकाली जाती थी। पैसे की लालच में वह कानून और मानवता की हर सीमा पार कर चुका था। उसका नेटवर्क इतना मजबूत था कि पुलिस को उसे पकड़ने में वर्षों लग गए।
देवेंद्र शर्मा वर्ष 2004 में पुलिस के हत्थे चढ़ा, लेकिन जेल में रहने के दौरान उसने चालाकी से पैरोल की योजना बनाई। वर्ष 2023 में तिहाड़ जेल से पैरोल मिलने के बाद वह फरार हो गया और पुलिस की आंखों में धूल झोंकते हुए राजस्थान के दौसा जिले के एक आश्रम में पुजारी बनकर रहने लगा। वहां उसने अपना नाम बदल लिया था और नियमित पूजा-पाठ करता था। लेकिन पुलिस की नजरें उस पर बनी हुई थीं। क्राइम ब्रांच उसकी लगातार निगरानी कर रही थी और उसके ठिकानों पर नजर रख रही थी।
दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने खास रणनीति के तहत कार्रवाई को अंजाम दिया। एसीपी उमेश बड़थवाल के नेतृत्व में टीम ने आश्रम में एक अनुयायी का रूप धारण कर शर्मा से संपर्क किया। फिर उसके हावभाव और बातचीत से पुष्टि की गई कि वह वही ‘डॉक्टर डेथ’ है। आखिरकार टीम ने उसे धर दबोचा और पूछताछ में उसने अपने अपराध स्वीकार कर लिए। उसने माना कि वह कभी जेल वापस नहीं जाना चाहता था और जीवन भर पुजारी बनकर छिपा रहना चाहता था।
देवेंद्र शर्मा की आपराधिक कहानी सामने आने के बाद उसके परिवार ने भी उससे नाता तोड़ लिया था। 2004 में उसकी पत्नी और बच्चों ने उसे छोड़ दिया और कभी संपर्क नहीं किया। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने अलीगढ़, आगरा, प्रयागराज, जयपुर और दिल्ली में उसके नेटवर्क की छानबीन शुरू कर दी है। पुलिस का मानना है कि उसके साथ अभी भी कुछ सहयोगी जुड़े हो सकते हैं। अब उसकी गिरफ्तारी से उन कड़ी अपराधों की गुत्थियां सुलझ सकती हैं जो अब तक अनसुलझी थीं।
दिल्ली पुलिस ने इस बड़ी सफलता के लिए अपनी टीम को सराहा है। क्राइम ब्रांच के अधिकारी इंस्पेक्टर अनुज, इंस्पेक्टर राकेश कुमार, एसीपी उमेश बड़थवाल और डीसीपी आदित्य गौतम की टीम ने महीनों की मेहनत और रणनीति के जरिए इस हाई-प्रोफाइल अपराधी को फिर से जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया। पुलिस का कहना है कि अब वह उसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में काम कर रही है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि वह दोबारा कभी पैरोल का दुरुपयोग न कर सके।
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