AI वीडियो पर विवाद में फिर घिरे ध्रुव राठी, सिख इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (19 मई 2025): लोकप्रिय यूट्यूबर ध्रुव राठी एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। इस बार मामला उनके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित वीडियो ‘The Rise of Sikh’ से जुड़ा है। वीडियो में सिख इतिहास की घटनाओं को कथित तौर पर गलत ढंग से पेश किया गया, जिससे सिख समुदाय में भारी आक्रोश फैल गया है। पंजाब और देशभर के सिख संगठनों ने इस वीडियो को न केवल भ्रामक बताया, बल्कि इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला भी कहा। इस विवाद ने राठी को सोशल मीडिया और धार्मिक संगठनों के निशाने पर ला दिया है।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने वीडियो की कड़ी आलोचना की है। SGPC महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने आरोप लगाया कि ध्रुव राठी ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत और बाबा बंदा सिंह बहादुर की वीर गाथा को AI के जरिए तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया है। ग्रेवाल का कहना है कि “सिख इतिहास अत्यंत पवित्र और गौरवशाली है, जिसे बिना गहरी समझ के छेड़ना घोर अनादर है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि AI जैसे टूल्स का उपयोग करते हुए धार्मिक इतिहास से छेड़छाड़ सिख समुदाय के लिए पूरी तरह अस्वीकार्य है।

इस मुद्दे पर कई धार्मिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी राठी के खिलाफ आवाज़ उठाई है। यूट्यूबर पर वीडियो के माध्यम से भावनाएं भड़काने और धार्मिक मान्यताओं का अपमान करने का आरोप लगाया गया है। सोशल मीडिया पर ‘#BanDhruvRathee’ ट्रेंड कर रहा है, और लोग यूट्यूब व अन्य प्लेटफॉर्म्स से वीडियो हटाने की मांग कर रहे हैं। SGPC ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला और उग्र हो सकता है। समुदाय ने इसे सिख स्वाभिमान से जुड़ा मामला बताया है।

पूर्व मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस विवाद को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि ध्रुव राठी ने न सिर्फ गुरु गोबिंद सिंह जी और गुरु तेग बहादुर जी से जुड़ी ऐतिहासिक बातों को विकृत किया, बल्कि गुरु गोबिंद सिंह जी का चित्रण भी वीडियो में किया, जो सिख धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है। सिरसा ने इसे सिख मर्यादा और आस्था का सीधा उल्लंघन बताते हुए दिल्ली पुलिस से कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि IPC की धारा 295 के तहत राठी पर केस दर्ज होना चाहिए और वीडियो को सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से तत्काल हटाया जाना चाहिए।

फिलहाल ध्रुव राठी की ओर से इस पूरे मामले पर कोई बयान नहीं आया है। लेकिन विवाद लगातार गहराता जा रहा है और कानूनी कार्रवाई की मांग तेज होती जा रही है। यह मामला न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर AI के जरिए इतिहास और धर्म से जुड़ी संवेदनशील सामग्री के प्रसार को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि यूट्यूब और अन्य संबंधित संस्थाएं इस विवाद पर क्या कदम उठाती हैं और क्या राठी खुद सामने आकर स्थिति स्पष्ट करते हैं या नहीं।


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