दिल्ली में एनसीईआरटी किताबों की पायरेसी रैकेट का दिल्ली पुलिस ने किया भंडाफोड़
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (19 मई 2025): दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था की नींव मानी जाने वाली एनसीईआरटी किताबों की पायरेसी से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। शाहदरा जिले की पुलिस ने इस अवैध कारोबार का पर्दाफाश करते हुए 2.4 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 1.7 लाख से अधिक नकली किताबें जब्त की हैं। पुलिस की इस कार्रवाई में अनुपम सेल्स नामक दुकान के माध्यम से संचालित किए जा रहे इस नेटवर्क में शामिल पिता-पुत्र की जोड़ी सहित कुल तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह रैकेट दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में लंबे समय से सक्रिय था और विद्यार्थियों को नकली किताबें बेची जा रही थीं।
इस मामले की शुरुआत 16 मई को तब हुई जब पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि मंडोली रोड क्षेत्र में एनसीईआरटी की नकली किताबों की बड़े पैमाने पर बिक्री की जा रही है। डीसीपी प्रशांत गौतम ने इस सूचना की गंभीरता को समझते हुए एक विशेष जांच टीम का गठन किया। इंस्पेक्टर मनीष कुमार के नेतृत्व में इस टीम ने कार्रवाई को अंजाम दिया। एनसीईआरटी के सहायक उत्पादन अधिकारी प्रकाशवीर सिंह को भी टीम में शामिल किया गया, ताकि जब्त की गई किताबों की प्रमाणिकता की जांच की जा सके। इसके बाद टीम ने राम नगर स्थित अनुपम सेल्स दुकान पर छापा मारा।
छापेमारी के दौरान दुकान से कक्षा 12 की सामाजिक विज्ञान की 27 नकली किताबें बरामद की गईं। इन पर एनसीईआरटी अधिकारी और दुकानदार के फर्जी हस्ताक्षर पाए गए, जिससे साफ हो गया कि ये किताबें पूरी तरह से नकली थीं। मौके से दुकान के मालिक प्रशांत गुप्ता और उसका बेटा निशांत गुप्ता गिरफ्तार कर लिए गए। पूछताछ में प्रशांत गुप्ता ने बताया कि वह पिछले 25 वर्षों से इस दुकान को चला रहा था और उसका बेटा पिछले 5 वर्षों से इसमें उसकी मदद कर रहा था। उन्होंने स्वीकार किया कि ये नकली किताबें हिरांकी (अलीपुर के पास) से खरीदी जाती थीं।
पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर हिरांकी स्थित शिव एन्क्लेव, कश्मीरी कॉलोनी में बने एक बड़े गोदाम पर भी छापा मारा। यहां से लगभग 1.6 लाख नकली किताबें और भारी मात्रा में अवैध प्रिंटिंग सामग्री बरामद की गई, जिसकी कुल अनुमानित कीमत 2.4 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई। गोदाम मालिक अरविंद कुमार को भी मौके से गिरफ्तार कर लिया गया। डीसीपी प्रशांत गौतम ने बताया कि यह महज एक दुकान नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित पायरेसी नेटवर्क था जिसमें आपूर्तिकर्ता, गोदाम मालिक और कई अन्य बिचौलिए भी शामिल थे।
फिलहाल पुलिस इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में जुट गई है और इस नेटवर्क की गहराई से जांच की जा रही है। यह मामला न केवल शिक्षा के क्षेत्र में पायरेसी के बढ़ते खतरे को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। पुलिस की सतर्कता और सक्रियता से यह बड़ा षड्यंत्र सामने आया है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए और भी सख्त निगरानी और कार्रवाई की आवश्यकता है।
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