“सीएम के गांव के SDM हैं तो, राजनीति करेंगे?”, प्रशांत किशोर और अधिकारियों की जोरदार बहस!

टेन न्यूज़ नेटवर्क

लखीसराय (19 मई 2025): बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर की बिहार पदयात्रा के दौरान प्रशासन की रूकावटे भी झेलनी पड़ रही है। रविवार को वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बिगहा पहुंचे थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें गांव में प्रवेश नहीं करने दिया। प्रशांत किशोर अपनी टीम के साथ वहां दलित-महादलित परिवारों की स्थिति का जायजा लेने जा रहे थे। प्रशासनिक रोक के चलते मौके पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई। इस दौरान प्रशांत किशोर और अधिकारियों के बीच बहस भी हुई। उन्होंने इस रोक को लोकतंत्र के खिलाफ बताया और इसे प्रशासनिक डर का प्रतीक करार दिया। यह घटना राजनीतिक चर्चा का विषय बन गई है।

प्रशांत किशोर और प्रशासन के बीच घटना के दौरान तीखी नोक झोंक हुई। किशोर ने कहा कि गांव में न तो कोई निषेधाज्ञा लगी थी और न ही माहौल संवेदनशील था। इसके बावजूद प्रशासन ने उन्हें गांव के प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री अपने ही गांव में किसी को जाने नहीं देना चाहते, तो पूरे बिहार को बंद कर देना चाहिए। प्रशांत ने यह भी कहा कि यह घटना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि आखिर किस आदेश के तहत उन्हें रोका गया। उनका कहना है कि उन्हें बिना किसी लिखित सूचना के रोका गया, जो नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने इसे ‘लोकतंत्र में डर की शुरुआत’ बताया।

प्रशांत किशोर ने बताया कि उन्हें गांव के लोगों से भ्रष्टाचार और सरकारी योजनाओं के लाभ न मिलने की शिकायतें मिली थीं। वे यही जानने वहां गए थे कि नीतीश सरकार द्वारा 2008 में किए गए तीन डिसमिल जमीन देने के वादे का क्या हुआ। उनका उद्देश्य था कि मुख्यमंत्री के अपने गांव में योजनाओं की स्थिति की पड़ताल की जाए। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री के गांव में ही वादे अधूरे हैं, तो बाकी बिहार की स्थिति क्या होगी। स्थानीय लोगों ने उन्हें बताया कि अधिकारी सिर्फ कागजों पर काम कर रहे हैं। गांव के दलित-महादलित समुदाय को अब तक जमीन नहीं मिली है। प्रशांत ने इसे सरकार की असफलता करार दिया।

प्रशासन की ओर से इस घटना पर आधिकारिक बयान जारी कर सफाई दी गई है। नालंदा जिला प्रशासन ने कहा कि जन सुराज पार्टी को केवल बिहारशरीफ के श्रम कल्याण मैदान में सभा की अनुमति दी गई थी। कल्याण बिगहा गांव में सभा या भीड़ जुटाने की इजाजत नहीं दी गई थी। अनुमंडल पदाधिकारी काजले वैभव नितिन ने स्पष्ट किया कि निर्धारित स्थान से हटकर किसी अन्य जगह पर अभियान चलाना नियमों के विरुद्ध है। प्रशासन का कहना है कि यह शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन था। इस वजह से गांव में प्रशांत किशोर और उनकी टीम को रोका गया। यह कार्रवाई कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी थी।

प्रशासन का आरोप है कि जन सुराज पार्टी ने खुद ही दिए गए आवेदन का पालन नहीं किया। उन्हें जिस स्थान की अनुमति थी, वहां कार्यक्रम न कर अन्य जगह सभा की कोशिश की गई। इस तरह की कार्रवाई से शांति व्यवस्था प्रभावित हो सकती थी। जिला प्रशासन का कहना है कि स्थानीय सूचना के आधार पर यह कदम उठाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी की मंशा कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की थी। प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है और मामले की विस्तृत जांच की बात कही है। उन्होंने कहा कि यदि नियमों का उल्लंघन साबित हुआ तो कार्रवाई निश्चित होगी।

घटना के बाद बिहार की राजनीति में गर्मी बढ़ गई है और जन सुराज समर्थक इसे सत्ता का दमन बता रहे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि सरकार सच्चाई सामने आने से डर रही है। उन्होंने प्रशासन पर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाया है। वहीं प्रशासन इस पूरे मामले में कानूनी प्रक्रिया अपनाने की बात कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन नियमों का उल्लंघन करता है, तो कार्रवाई होगी। फिलहाल मामले की जांच शुरू हो चुकी है और रिपोर्ट के बाद कार्रवाई होगी। आगामी चुनावों को देखते हुए यह मुद्दा बड़ा राजनीतिक विवाद बन सकता है।


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