नई दिल्ली (19 मई 2025): नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में पामवेद फाउंडेशन के तत्वावधान में 10वां इंटरनेशनल पामिस्ट्री डे हर्षोल्लास एवं गरिमामयी माहौल में आयोजित किया गया। इस अवसर पर हस्तरेखा विज्ञान, वैदिक परंपरा, और पारिवारिक समरसता को केंद्र में रखते हुए कार्यक्रम की थीम “सुखी परिवार” रखी गई।
पामवेद फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं हस्तरेखा विज्ञान दिवस के प्रवर्तक डॉ. लक्ष्मीकान्त त्रिपाठी ने उद्घाटन संबोधन में कहा कि परामर्श के माध्यम से जहां लोगों की समृद्धि बढ़ी है, वहीं अब सुख और शांति की दिशा में भी कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने पारंपरिक मूल्यों, पर्यावरण और पारिवारिक ताने-बाने के महत्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल (ज्यूडिशल मेंबर, NGT) ने फाउंडेशन के 30 वर्षों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि “हस्तरेखा विज्ञान जैसी प्राचीन भारतीय विद्या के संरक्षण और अध्ययन में पामवेद का योगदान अत्यंत प्रशंसनीय है। कानून में भी अंगुलियों और फिंगरप्रिंट की विशेष भूमिका होती है।”
रक्षा मंत्रालय की वैज्ञानिक डॉ. शिल्पी भारती ने पामवेद की वैज्ञानिक पद्धति की पुष्टि करते हुए कहा कि “हाथों के पैटर्न, रंग और काउंसलिंग का तरीका वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है। मैं स्वयं इसका लाभ ले रही हूं।”
असिस्टेंट प्रोविडेंट फंड कमिश्नर श्री सौरभ चतुर्वेदी ने कहा कि उन्हें इस सम्मेलन का हिस्सा बनकर गर्व है और उनके करियर में पामवेद का मार्गदर्शन बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है।
वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने “Indian Family – A Pillar for Global Peace” विषय पर बोलते हुए भारतीय पारिवारिक मूल्यों और वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को विश्व शांति का आधार बताया।
कार्यक्रम में साहित्यकार अमरनाथ अमर, उद्यमी मनीष ऋषि श्वर, सीए देवेंद्र कुमार कपूर, रिटायर्ड कर्नल धीरेन्द्र गुप्ता और दीदी भाजनानंदी ने मॉडर्न डे फैमिली चैलेंजेस पर व्याख्यान प्रस्तुत किए और व्यावहारिक समाधान साझा किए।
इस अवसर पर समाजसेवा, पत्रकारिता और विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले शशि भूषण, विनोद अग्निहोत्री, मनोज गुप्ता, अनिरुद्ध सिंह, सुधीर कुमार गुप्ता, संजय कुमार पांडे, त्रिलोक चंद भट्ट, नरेश अग्रवाल, ए. के. सिंह, हरि ओम और मनीष गुप्ता को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का सफल संचालन सुश्री रतिका मेहरा द्वारा किया गया, जिनकी सधी हुई प्रस्तुतिकरण शैली ने आयोजन को सरस और प्रभावी बनाया।
यह आयोजन न केवल हस्तरेखा विज्ञान के प्रचार-प्रसार का मंच बना, बल्कि पारिवारिक संतुलन, भारतीय संस्कृति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को एक साथ जोड़ने का सार्थक प्रयास सिद्ध हुआ।।
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