नई दिल्ली (17 मई 2025): दिल्ली के स्कूलों में छुट्टियों के दौरान छात्रों के लिए चलने वाले इंटर्नशिप प्रोग्राम को लेकर शिक्षा निदेशालय ने एक अहम सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर में स्कूल प्रमुखों और नामित अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इंटर्नशिप की सत्यापन प्रक्रिया को और अधिक मजबूत बनाया जाए। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को केवल औपचारिक इंटर्नशिप नहीं, बल्कि व्यावहारिक और लाभकारी अनुभव दिलाना है। अधिकारियों ने बताया कि अब प्रत्येक इंटर्नशिप की बारीकी से निगरानी की जाएगी और उसका रिकॉर्ड पारदर्शिता के साथ संकलित होगा। शिक्षा विभाग चाहता है कि छात्रों को कार्यस्थलों पर सुरक्षित और कौशल-प्रासंगिक माहौल मिले। यह कदम छात्रों के समग्र विकास की दिशा में बड़ा सुधार माना जा रहा है।
सर्कुलर में दिए गए सख्त निर्देश, प्रत्येक इंटर्नशिप का विवरण होगा रिकॉर्ड
13 मई को जारी सर्कुलर के अनुसार स्कूल प्रमुखों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक इंटर्नशिप के विवरण को सावधानीपूर्वक दर्ज करें। इसमें नियोक्ता का नाम, स्थान, इंटर्नशिप की अवधि, छात्र की भागीदारी और अनुभव की प्रकृति शामिल है। ये विवरण एक निर्धारित प्रारूप में प्रस्तुत किए जाएंगे ताकि किसी भी स्तर पर पारदर्शिता बनी रहे। शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि कोई भी इंटर्नशिप बिना जांच और पुष्टि के स्वीकृत नहीं होगी। इससे छात्रों को उचित वातावरण में सीखने का अवसर मिलेगा और किसी प्रकार के जोखिम से भी बचाव होगा। यह फैसला इंटर्नशिप कार्यक्रमों को अधिक जिम्मेदार और परिणामोन्मुख बनाने के प्रयास का हिस्सा है।
रिसोर्स पर्सन करेंगे प्रतिदिन साइट विजिट, देखेंगे प्रशिक्षण की गुणवत्ता
सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि नामित रिसोर्स पर्सन को प्रतिदिन दो से चार इंटर्नशिप स्थलों का दौरा करना अनिवार्य होगा। इन दौरे का उद्देश्य प्रशिक्षण की गुणवत्ता का मूल्यांकन करना है। वे देखेंगे कि छात्रों को जो कार्य सौंपे गए हैं, वे उनके कौशल विकास के लिए उपयुक्त हैं या नहीं। साथ ही, सुरक्षा मानकों और आवश्यक प्रोटोकॉल का पालन हो रहा है या नहीं, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस निगरानी के ज़रिए विभाग चाहता है कि हर इंटर्नशिप बच्चों के लिए एक सार्थक और सुरक्षित अनुभव साबित हो। केवल नाम के लिए होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर अब सख्त निगरानी रखी जाएगी।
छात्रों को मिले वास्तविक स्किल्स, सिर्फ औपचारिकता नहीं होगी इंटर्नशिप
शिक्षा निदेशालय के अनुसार, इन बदलावों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि इंटर्नशिप केवल दस्तावेज़ी औपचारिकता तक सीमित न रह जाए। छात्र अपने इंटर्नशिप के दौरान ऐसे कार्य करें जो उन्हें भविष्य के लिए तैयार करें। इससे छात्रों को न केवल प्रैक्टिकल नॉलेज मिलेगा, बल्कि आत्मविश्वास और प्रोफेशनलिज़्म भी विकसित होगा। शिक्षा विभाग मानता है कि मजबूत सत्यापन प्रणाली से छात्रों के समय और प्रयास का सही उपयोग हो सकेगा। नई व्यवस्था के तहत किसी भी तरह की लापरवाही या कमजोर निगरानी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से जवाबदेही तय की जाएगी। इस कदम से राजधानी के स्कूली शिक्षा में एक नई गुणवत्ता जुड़ने की उम्मीद की जा रही है।
छात्रों की उम्र और योग्यता के अनुसार होंगे कार्यक्रम
शिक्षा विभाग द्वारा संचालित इंटर्नशिप प्रोग्राम छात्रों की उम्र, कक्षा और रुचियों के अनुसार डिजाइन किए जाते हैं। सर्कुलर में कहा गया है कि कुछ इंटर्नशिप विशेष रूप से हाई स्कूल के छात्रों के लिए बनाई गई हैं, ताकि वे कॉलेज से पहले व्यावसायिक दुनिया को समझ सकें। वहीं कुछ कार्यक्रम 11वीं-12वीं या व्यावसायिक कोर्स कर रहे छात्रों को व्यावसायिक माहौल में तैयार करने के लिए होते हैं। ये प्रोग्राम गर्मी और सर्दी की छुट्टियों में चलाए जाते हैं, जब छात्रों के पास सीखने का अतिरिक्त समय होता है। इस नए सत्यापन तंत्र से अब इन कार्यक्रमों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता में बढ़ोतरी होगी।
दिल्ली सरकार का लक्ष्य: हर छात्र को मिल सके सार्थक अनुभव
दिल्ली सरकार का मानना है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि छात्रों को वास्तविक दुनिया का अनुभव भी मिलना चाहिए। इसीलिए अब इंटर्नशिप प्रोग्राम को और अधिक व्यावहारिक, पारदर्शी और उपयोगी बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। स्कूल प्रमुखों, रिसोर्स पर्सन और नियोक्ताओं को अब एक जिम्मेदार भागीदार के रूप में कार्य करना होगा। यह कदम छात्रों को करियर की दिशा में सही मार्गदर्शन देने में सहायक होगा। विभाग ने सभी स्कूलों को निर्देशित किया है कि वे इन नियमों का सख्ती से पालन करें। आने वाले समय में इस मॉड्यूल को अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है।
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