DTC बसों में टिकट नंबरों की गड़बड़ी से कंडक्टरों की नौकरी पर संकट, यूनियन ने दी चेतावनी

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (16 मई 2025): दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की बसों में टिकट नंबरों की गड़बड़ी ने एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। तकनीकी खामी के कारण कई टिकटों के नंबरों में मिस प्रिंटिंग हो रही है। कुछ टिकटों के नंबर क्रम से बाहर होते हैं, तो कुछ दोहराए जाते हैं। इससे टिकट चेकिंग के दौरान भ्रम की स्थिति बन जाती है। अफसरों को लगता है कि कंडक्टरों ने ज्यादा टिकट बेचे हैं, जबकि यात्री कम थे। ऐसी स्थिति में पहला शक हमेशा कंडक्टर पर ही जाता है। यूनियन ने इसे गंभीर प्रशासनिक लापरवाही बताया है।दिल्ली में इस समय 7500 से अधिक बसें रोजाना चलती हैं, जिनमें करीब 41 लाख यात्री सफर करते हैं। हर दिन लाखों टिकट जारी किए जाते हैं, जिनमें से अधिकांश अब भी मैनुअल होते हैं। महिलाओं को मुफ्त सफर मिलता है, लेकिन उन्हें भी पिंक टिकट लेना होता है। पुरुषों व बच्चों के लिए सामान्य और हाफ टिकट जारी किए जाते हैं। इतनी भारी संख्या में टिकट काटने के बावजूद सिस्टम अब तक पूरी तरह डिजिटल नहीं हो पाया है। इसी कारण इस प्रकार की गड़बड़ी कंडक्टरों के लिए संकट बन रही है।

डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के अध्यक्ष ललित चौधरी ने कहा कि यह गड़बड़ी प्रिंटिंग प्रक्रिया में हो रही है। लेकिन जब जांच होती है तो सीधे कंडक्टर को जवाबदेह ठहराया जाता है। उन्हें नोटिस दिए जा रहे हैं और सफाई देने का दबाव बनाया जाता है। यूनियन ने डीटीसी मुख्यालय को सोशल मीडिया के माध्यम से इस बारे में शिकायत दी है। उन्होंने कहा कि जल्द ही लिखित शिकायत भी दी जाएगी। कंडक्टर मानसिक तनाव में हैं और नौकरी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यूनियन ने टिकटों में नंबरिंग की गड़बड़ी से जुड़े कई वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर साझा किए हैं। इनमें देखा जा सकता है कि कई टिकटों के नंबर क्रमवार नहीं हैं। कहीं 1401 के बाद 1404 नंबर आता है, तो कहीं एक ही नंबर के दो टिकट छप जाते हैं। टिकट चेकिंग के दौरान इस अंतर को घोटाले के रूप में देखा जाता है। इससे विभाग में गलत रिपोर्ट जाती है और अफसरों का रवैया कठोर हो जाता है। इससे कंडक्टरों की स्थिति कमजोर हो रही है।

यूनियन की मांग है कि इस तकनीकी गड़बड़ी की निष्पक्ष और गहन जांच करवाई जाए। जब तक इस समस्या का हल नहीं निकलता, तब तक किसी भी कंडक्टर को दोषी न ठहराया जाए। ललित चौधरी ने कहा कि कंडक्टरों को बलि का बकरा बनाना बंद किया जाए। गलती प्रिंटिंग एजेंसी की है, तो कार्रवाई वहां होनी चाहिए। कंडक्टर को जवाबदेह बनाना अन्यायपूर्ण है। यूनियन इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी भी दे चुकी है। यूनियन का सुझाव है कि दिल्ली की सभी बसों में डिजिटल टिकटिंग प्रणाली शुरू की जाए। इससे हर टिकट का नंबर अपने आप रिकॉर्ड में आएगा और पारदर्शिता बनी रहेगी। डिजिटल सिस्टम से मैनुअल गड़बड़ी की गुंजाइश खत्म हो जाएगी। इससे न केवल कंडक्टरों को राहत मिलेगी, बल्कि विभाग को भी सटीक जानकारी मिलेगी। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे शुरू की जा सकती है। कई निजी बस सेवाओं में यह व्यवस्था पहले से ही लागू है। डीटीसी को भी इसे अपनाना चाहिए।

दिल्ली की बसों में टिकट काटने की मौजूदा व्यवस्था काफी पुरानी है। पिंक टिकट महिलाओं को, सामान्य टिकट पुरुषों को और हाफ टिकट बच्चों को दिए जाते हैं। इसके अलावा एमएसटी पास के जरिए भी लाखों यात्री सफर करते हैं। इतनी विविधता के बीच टिकट नंबर की गड़बड़ी बड़ा भ्रम पैदा करती है। यदि हर श्रेणी का टिकट एक ही सीरिज में प्रिंट होता है, तो उससे भी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इस व्यवस्था की समग्र समीक्षा जरूरी हो गई है।फिलहाल डीटीसी की ओर से इस गड़बड़ी पर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। लेकिन सोशल मीडिया पर मामला उठने और यूनियन की शिकायत के बाद विभाग दबाव में है। यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो यह संकट बड़ा विवाद बन सकता है। कंडक्टरों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। यूनियन ने चेताया है कि अगर समस्या नहीं सुलझी तो प्रदर्शन किया जाएगा। अब देखना यह है कि डीटीसी इस गड़बड़ी को कब और कैसे सुधारता है।


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