दिल्ली में मई के महीने में प्रदूषण का कहर, विपक्ष ने उठाए सवाल: “भाजपा की चार इंजन सरकार भी नाकाम”

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (15 मई 2025): दिल्ली की हवा इन दिनों सांस लेने लायक नहीं रही। मई के महीने में जब आमतौर पर गर्म हवाओं के चलते प्रदूषण में गिरावट आती है, इस बार हालात उलटे हो गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 के पार पहुंच गया है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, 15 मई के दिन दिल्ली का AQI पिछले तीन वर्षों में कभी भी 243 से ऊपर नहीं गया था। लेकिन इस बार 500 से पार की ये भयावह स्थिति राजधानी के पर्यावरण और शासन प्रणाली दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

इसी मुद्दे को लेकर दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता अतिथि ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को एक तीखा पत्र लिखा है। उन्होंने इसे सिर्फ प्रदूषण का संकट नहीं, बल्कि भाजपा की चार-इंजन वाली सरकार की नाकामी का प्रतीक बताया है। उन्होंने कहा कि जब केंद्र, एलजी, एमसीडी और अब दिल्ली सरकार – सभी जगह भाजपा की सत्ता है, तो फिर भी राजधानी में प्रदूषण क्यों बेलगाम है? पत्र में उन्होंने लिखा, “मई का महीना, जब परंपरागत रूप से प्रदूषण घटता है, तब भी AQI 500 के पार पहुंच जाना सीधे तौर पर भाजपा की विफलता का प्रमाण है।”

अतिथि ने याद दिलाया कि भाजपा सरकार में शामिल पर्यावरण मंत्री सिरसा पहले यह दावा करते थे कि कूड़ा जलने से दिल्ली की हवा ज़हरीली होती है। अब जब नगर निगम भी भाजपा के हाथ में है, तो फिर कूड़ा कौन जला रहा है? क्या अब भी आम आदमी पार्टी को दोष देना उचित है, या ये सीधे तौर पर भाजपा की नीतिगत असफलता है? उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या दिल्ली की जनता अब मई-जून जैसे महीनों में भी प्रदूषण से जूझती रहेगी?

विपक्ष की नेता ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार इस संकट के समय पूरी तरह गायब है – न तो कोई एक्शन प्लान सामने आया है और न ही कोई ठोस उपाय ज़मीन पर दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में सांस की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, विशेषकर बुजुर्गों और बच्चों की हालत चिंताजनक हो रही है, लेकिन सरकार की चुप्पी चिंता बढ़ा रही है।

अपने पत्र में उन्होंने तीन सवालों के जवाब मांगते हुए मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे तुरंत जनता को बताएं कि उनकी सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए अब तक क्या किया है, और क्यों इन प्रयासों का कोई असर नहीं दिख रहा। उन्होंने लिखा कि यह केवल राजनीतिक सवाल नहीं है, बल्कि दिल्ली के करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य, भविष्य और जीवन की रक्षा का प्रश्न है। क्या दिल्ली की चार-इंजन सरकार इस संकट से निपटने में कोई ठोस कदम उठाएगी, या जनता को इस बार भी सिर्फ बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप ही सुनने को मिलेंगे। यह सवाल अब राजधानी की सड़कों पर गूंज रहा है।


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