केवल पीओके को लेकर पाकिस्तान से होगी बात, अमेरिका के दावों को किया खारिज | विदेश मंत्रालय

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (13 मई 2025): विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को लेकर भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के मुद्दे पर भारत का रुख हमेशा अडिग रहा है। लंबित मामला सिर्फ अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराने का है। जायसवाल ने दोहराया कि पाकिस्तान से कोई बातचीत तभी होगी जब वह पीओके खाली करने पर सहमत होगा। भारत का यह रुख अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी लगातार रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह कोई द्विपक्षीय विवाद नहीं बल्कि अतिक्रमण का मामला है। भारत अपने अधिकार क्षेत्र से कोई समझौता नहीं करेगा।

सिंधु जल समझौता अभी भी स्थगित

सिंधु जल संधि को लेकर विदेश मंत्रालय ने दो टूक शब्दों में कहा कि फिलहाल यह संधि स्थगित है। प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की आतंकवाद को समर्थन देने की नीति के कारण यह स्थिति बनी हुई है। यह संधि आपसी सद्भाव और मित्रता की भावना से की गई थी। लेकिन दशकों से पाकिस्तान आतंकवाद को प्रोत्साहित करता आ रहा है। इसी के चलते भारत ने यह फैसला लिया कि जब तक भरोसेमंद बदलाव नहीं दिखता, तब तक संधि लागू नहीं होगी। भारत ने यह भी कहा कि जो देश आतंक का साथ देंगे, उनसे सामान्य संबंध संभव नहीं हैं। अब देशहित में कठोर निर्णयों से भारत पीछे नहीं हटेगा।

व्यापार बंद करने का दावा गलत

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दिए गए इस बयान को भारत ने पूरी तरह नकार दिया कि संघर्ष रोकने के लिए उन्होंने व्यापार बंद करने की धमकी दी थी। रणधीर जायसवाल ने कहा कि 7 से 10 मई के बीच भारत-अमेरिका के नेताओं के बीच केवल सैन्य हालात पर चर्चा हुई थी। किसी भी स्तर की बातचीत में व्यापार संबंधी कोई बात नहीं उठाई गई। भारत ने अपने सैन्य फैसले पूरी तरह से स्वायत्त और रणनीतिक दृष्टिकोण से लिए। किसी भी देश या दबाव के तहत कोई निर्णय नहीं हुआ। भारत का हर कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के संरक्षण के लिए रहा है। ऐसी अफवाहों से सच्चाई पर पर्दा नहीं डाला जा सकता।

युद्धविराम के लिए पाकिस्तान ने किया था पहल

रणधीर जायसवाल ने यह भी खुलासा किया कि संघर्षविराम की पहल पाकिस्तान की ओर से की गई थी। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय कार्रवाई से पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इसके बाद पाकिस्तान ने खुद संपर्क कर युद्धविराम की अपील की। भारत ने इस प्रस्ताव को गंभीरता से लिया और दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत हुई। इसके बाद 10 मई को संघर्षविराम पर सहमति बनी। भारत ने साफ किया कि अब आतंकवाद के प्रति उसकी नीति में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। आतंकी हमले का जवाब निर्णायक होगा।।


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