अमेरिकी दबाव में न आए भारत, कांग्रेस ने सरकार से मांगी पारदर्शिता: भूपेश बघेल
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (12 मई 2025): अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कई गंभीर सवाल उठाए। बघेल ने कहा कि 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमेरिकी दबाव को नकारते हुए पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। कांग्रेस ने इंदिरा जी से सीखा है कि दुश्मन से बातचीत की मेज पर जब भी बैठें, तो ताकत के साथ बैठें, न कि कमजोरी के साथ।
भूपेश बघेल ने कहा कि आज भी कांग्रेस का संकल्प स्पष्ट है आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में राजनीति नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद सर्वोपरि होना चाहिए। कांग्रेस पार्टी ने हमेशा आतंकवाद का डटकर मुकाबला किया है और भारत की एकता से किसी भी प्रकार के समझौते को अस्वीकार्य बताया है। उन्होंने बताया कि इस राष्ट्रीय संकट की घड़ी में कांग्रेस ने पूरे देश में ‘जय हिंद’ यात्राएं निकालकर सशस्त्र बलों के पराक्रम को नमन किया और आतंकवाद पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी। दूसरी ओर भाजपा केवल राजनीति करती रही, इसके बावजूद कांग्रेस ने राष्ट्रहित में सरकार का समर्थन किया।
लेकिन अब कांग्रेस केंद्र सरकार से पारदर्शिता की मांग कर रही है। बघेल ने सवाल उठाया कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति के माध्यम से कराना भारत सरकार की कूटनीतिक विफलता नहीं है? उन्होंने पूछा कि क्या कश्मीर मुद्दे पर भारत ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार कर लिया है और क्या शिमला समझौता अब निरस्त हो गया है?
भूपेश बघेल ने यह भी सवाल किया कि पाकिस्तान से किन शर्तों पर समझौता हुआ है? उन्होंने भाजपा प्रवक्ताओं के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि वे दावा कर रहे हैं कि “पहलगाम का बदला पूरा हो गया है”, तो क्या यह स्पष्ट किया जा सकता है कि दोषी आतंकवादी पकड़े गए हैं या मारे गए हैं? जब सरकार स्वयं मान रही है कि पहलगाम हमले में चूक हुई, तो उस चूक के लिए जिम्मेदार कौन है? क्या गृह मंत्री इसके लिए इस्तीफा देंगे?
कांग्रेस पार्टी ने सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। बघेल ने कहा कि प्रधानमंत्री को सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों को युद्धविराम की शर्तों और सरकार के रुख के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता यह जानना चाहती है कि क्या भारत ने अमेरिका के दबाव में आकर अपनी वर्षों पुरानी नीति बदल दी है।।
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