नई दिल्ली (11 मई 2025): 11 मई भारत के वैज्ञानिक और तकनीकी इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज है। इसी दिन वर्ष 1998 में राजस्थान के पोखरण में भारत ने ‘शक्ति’ नामक सफल परमाणु परीक्षण कर विश्व को अपनी सामरिक और तकनीकी क्षमता का परिचय दिया। इस ऐतिहासिक परीक्षण को “पोखरण-2” या “ऑपरेशन शक्ति” के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही भारत आधिकारिक रूप से परमाणु शक्ति संपन्न देशों की सूची में शामिल हो गया। यह उपलब्धि सिर्फ रक्षा क्षेत्र में नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और रणनीतिक स्तर पर भी भारत के आत्मनिर्भरता और संप्रभुता के प्रतीक के रूप में सामने आई।
इस महान उपलब्धि के उपलक्ष्य में हर वर्ष 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को तकनीकी प्रगति और नवाचार के प्रतीक के तौर पर याद किया जाता है। वर्ष 1998 में पोखरण में हुए इस परीक्षण का नेतृत्व महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था, और उस समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। उन्होंने इस सफलता की घोषणा करते हुए कहा था कि भारत अब “पूर्ण परमाणु शक्ति” है। दो दिन बाद, 13 मई को दो और सफल परीक्षण किए गए, जिससे भारत की स्थिति वैश्विक मंच पर और अधिक मज़बूत हुई।
11 मई को केवल परमाणु परीक्षण तक सीमित नहीं रखा जा सकता। इसी दिन रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने त्रिशूल मिसाइल का अंतिम सफल परीक्षण किया था। त्रिशूल एक जमीन से हवा में मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल है, जिसे तेज प्रतिक्रिया देने के लिए डिजाइन किया गया था। इसे भारतीय वायुसेना और थलसेना में शामिल कर देश की रक्षा क्षमताओं को और अधिक शक्तिशाली बनाया गया। त्रिशूल भारत के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम का हिस्सा थी, जिसके अंतर्गत पृथ्वी, आकाश और अग्नि जैसी मिसाइलें भी विकसित की गईं।
इसी तारीख को भारत की एयरोस्पेस प्रगति की दिशा में भी एक उल्लेखनीय कदम उठाया गया था। 11 मई 1998 को हंस-3 विमान ने अपनी पहली उड़ान भरी थी। इसे नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरी ने तैयार किया था। हंस-3 दो सीटों वाला हल्का विमान है, जिसका इस्तेमाल पायलट प्रशिक्षण, हवाई फोटोग्राफी, निगरानी और पर्यावरणीय शोध परियोजनाओं के लिए किया जाता है। यह भारत की घरेलू एयरोस्पेस तकनीक का प्रतीक बनकर उभरा।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि उस भावना का प्रतीक है जो भारत को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर, सक्षम और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाती है। इस दिन हम न केवल अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों को याद करते हैं, बल्कि उन अनगिनत वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और शोधकर्ताओं को भी नमन करते हैं जिनके अथक प्रयासों से भारत ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अभूतपूर्व ऊंचाइयां हासिल की हैं। यह दिन युवाओं को नवाचार, अनुसंधान और तकनीकी विकास की दिशा में प्रेरित करता है।
आज जब भारत अंतरिक्ष, रक्षा, चिकित्सा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल क्रांति जैसे क्षेत्रों में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, तो यह स्पष्ट है कि पोखरण-2 की नींव पर खड़ा हमारा यह तकनीकी साम्राज्य भविष्य के भारत की नींव मजबूत कर रहा है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि आत्मनिर्भरता केवल एक सपना नहीं, बल्कि एक सशक्त और संभावनाओं से भरपूर सच्चाई बन सकती है जब देश की सोच, विज्ञान और नीति साथ मिलकर आगे बढ़ें।
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