नई दिल्ली (05 मई 2025): दिल्ली हाईकोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के तैमूर नगर इलाके में अवैध निर्माणों के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। सोमवार, 5 मई से प्राधिकरण ने नाले के ऊपर और उसके आसपास बने अवैध ढांचों पर बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया है। यह कार्रवाई जलभराव की समस्या और नालों की सफाई में आ रही रुकावटों को दूर करने के उद्देश्य से की जा रही है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट निर्देश दिए थे कि नाले के ऊपर बने सभी अवैध निर्माणों को तत्काल हटाया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि नालों को अतिक्रमण से मुक्त करना जरूरी है ताकि हर साल बरसात में होने वाले जलभराव की समस्या से निजात मिल सके। अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। DDA की टीम सोमवार सुबह से तैमूर नगर में पहुंची और बुलडोजर के जरिए अवैध निर्माणों को गिराने का अभियान शुरू किया। मौके पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई ताकि किसी तरह की कानून व्यवस्था की समस्या न हो। कई स्थानीय निवासियों ने विरोध भी किया लेकिन प्रशासन ने सख्ती के साथ कार्रवाई जारी रखी।
दिल्ली में जलभराव एक पुरानी समस्या रही है, खासकर मानसून के समय। नालों के ऊपर हुए अतिक्रमण से जल निकासी बाधित होती है, जिससे सड़कें तालाब बन जाती हैं और जनजीवन प्रभावित होता है। DDA के अनुसार, यह अभियान राजधानी के अन्य प्रभावित इलाकों में भी चलाया जाएगा।तैमूर नगर की गलियों में कई वर्षों से अवैध निर्माण का बोलबाला रहा है। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, नाले के ऊपर पक्के कमरे, दुकानें और झुग्गियां तक बना दी गई थीं। ये निर्माण न सिर्फ जलभराव की वजह बने, बल्कि स्वास्थ्य और सफाई के लिए भी खतरा बन चुके थे।
DDA के अधिकारियों ने कहा है कि यह कार्रवाई पूरी तरह कानून के तहत की जा रही है। जिन लोगों ने बिना अनुमति के सरकारी जमीन पर निर्माण किया है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने यह भी बताया कि इससे पहले नोटिस दिए गए थे लेकिन निर्माणकर्ता नहीं माने। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले को जनहित से जुड़ा बताते हुए यह भी कहा कि सरकारी एजेंसियों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की कि “अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो राजधानी में हर मानसून में आपदा जैसी स्थिति बनती रहेगी।”
यह कार्रवाई राजधानी में अवैध निर्माणों के खिलाफ एक मिसाल के रूप में देखी जा रही है। सरकार और न्यायपालिका का यह सख्त रवैया दर्शाता है कि अब अतिक्रमण और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इससे अन्य अतिक्रमणकारियों को भी साफ संदेश गया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं। स्थानीय निवासियों के बीच इस कार्रवाई को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। जहां कुछ लोग इसे सही ठहरा रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे जबरन उजाड़ने की कार्यवाही मान रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि वैध दस्तावेज वाले लोगों को मौका दिया गया है और मानवीय दृष्टिकोण से भी स्थिति को संभाला जा रहा है।
अंततः तैमूर नगर की यह कार्रवाई दिल्ली में अवैध निर्माण के खिलाफ बढ़ते सरकारी सख्ती का प्रतीक बन गई है। हाईकोर्ट की निगरानी और DDA की तत्परता से यह उम्मीद जगी है कि राजधानी को जलभराव और गंदगी से राहत मिलेगी। अब देखना होगा कि यह मुहिम कितनी दूर तक असर डालती है।
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