तिहाड़ जेल में वसूली रैकेट पर दिल्ली हाई कोर्ट की सख्ती, सीबीआई को सौंपी जांच की जिम्मेदारी
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (02 मई 2025): देश की सबसे बड़ी और सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल एक बार फिर विवादों में घिर गई है। जेल के भीतर चल रहे वसूली रैकेट ने न्यायपालिका को भी चौंका दिया है। बताया जा रहा है कि इस रैकेट में जेल के कुछ अधिकारी और कैदी आपस में मिले हुए हैं। अवैध सुविधाओं के बदले कैदियों से मोटी रकम वसूली जा रही है। यह मामला जब दिल्ली हाई कोर्ट के संज्ञान में आया तो कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले की प्रारंभिक जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है। कोर्ट ने सीबीआई को कहा है कि वह 11 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंपे।
कोर्ट के अनुसार जेल में यह रैकेट सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि जेल व्यवस्था की पूरी नींव पर सवाल खड़ा करता है। ऐसी गतिविधियों से न केवल कानून व्यवस्था प्रभावित होती है, बल्कि इससे आम जनता का भरोसा भी टूटता है। सीबीआई को निर्देश देते हुए कहा गया कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से जांच करे। अदालत ने यह भी साफ किया कि जांच के दौरान किसी भी स्तर पर हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। सीबीआई को यह पता लगाना है कि किन-किन अधिकारियों और कैदियों की भूमिका इसमें रही। यदि जरूरी हुआ तो विस्तृत आपराधिक जांच की सिफारिश भी की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला सिर्फ जेल के भीतर का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की नाकामी है।
हाई कोर्ट को यह जानकारी एक निरीक्षण न्यायाधीश की सीलबंद रिपोर्ट से मिली थी। उस रिपोर्ट में तिहाड़ जेल में चल रही आपराधिक गतिविधियों और प्रशासनिक अनियमितताओं का खुलासा हुआ। रिपोर्ट में बताया गया कि कुछ कैदी आरामदायक जीवन जी रहे हैं और अवैध रूप से फोन, इंटरनेट और अन्य सुविधाएं इस्तेमाल कर रहे हैं। इन सुविधाओं के लिए कैदियों से मोटी रकम वसूली जा रही थी। यह पूरी व्यवस्था जेल अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकती। कोर्ट ने रिपोर्ट की गंभीरता को देखते हुए इस पर त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता बताई। इसलिए सीबीआई को जांच का आदेश जारी किया गया।
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने यह मामला सुना। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (गृह) को भी इस पूरे मामले की प्रशासनिक जांच करने के निर्देश दिए हैं। प्रधान सचिव को यह देखना है कि जेल प्रशासन की ओर से कहां-कहां चूक हुई। साथ ही यह भी जांचा जाएगा कि क्या निगरानी व्यवस्था में कोई खामी रही। कोर्ट ने साफ कहा कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। प्रशासनिक रिपोर्ट भी 11 अगस्त तक अदालत में पेश करनी होगी। यह आदेश जेल सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जेल प्रशासन का दायित्व है कि वह कैदियों को सुरक्षित और निष्पक्ष वातावरण दे। यदि वही अधिकारी अवैध गतिविधियों में शामिल होंगे, तो सुधार व्यवस्था का क्या मतलब रह जाता है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला न केवल कानून की अवहेलना है, बल्कि मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है। किसी भी कैदी से अवैध रूप से पैसा लेना पूरी व्यवस्था को कलंकित करता है। कोर्ट ने कहा कि तिहाड़ जैसी प्रतिष्ठित जेल में इस प्रकार की घटनाएं बेहद गंभीर हैं। ऐसे मामलों से निपटना केवल दंड नहीं, बल्कि सिस्टम की सफाई भी है। अदालत ने मामले को उच्च प्राथमिकता में रखने को कहा।
अब सीबीआई और दिल्ली सरकार दोनों के पास इस जांच को लेकर समय सीमा तय कर दी गई है। 11 अगस्त तक की समय सीमा को देखते हुए अधिकारियों को जांच में तेजी लानी होगी। इस दौरान कोर्ट समय-समय पर प्रगति रिपोर्ट भी मांग सकता है। यह केस भविष्य में अन्य जेलों की निगरानी व्यवस्था को भी प्रभावित कर सकता है। यदि जांच में ठोस तथ्य सामने आते हैं, तो कई बड़े अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया है कि जरूरत पड़ी तो मामले में प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। पूरे देश की नजर अब इस जांच पर टिकी है।
प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन नई दिल्ली, दिल्ली सरकार, दिल्ली राजनीति, दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : हिंदी न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।
Discover more from टेन न्यूज हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
टिप्पणियाँ बंद हैं।