विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पाठ्यक्रम होगा अब अधिक व्यावहारिक और समसामयिक: UGC

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (01 मई 2025): नई शिक्षा नीति के तहत देश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों में विषयवस्तु का बोझ कम करें। इसके बजाय जीवन कौशल, अनुभव आधारित शिक्षा और कर के सीखने (learning by doing) को प्राथमिकता दें। इसका मकसद छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि वास्तविक दुनिया के लिए तैयार करना है। यूजीसी ने कहा कि बदलते समय की मांग के अनुसार पाठ्यक्रमों को आधुनिक और समसामयिक बनाया जाना आवश्यक है। अब छात्रों की रचनात्मकता और व्यावहारिक समझ को निखारने पर जोर होगा।

नई शिक्षा नीति के तहत बदल रहा है शिक्षा का चेहरा

यूजीसी के निर्देश के मुताबिक, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए यह परिवर्तन अनिवार्य है। अभी तक केवल स्कूल स्तर पर ही पाठ्यक्रम में बदलाव हो रहा था, लेकिन अब उच्च शिक्षा संस्थानों में भी यह प्रक्रिया लागू की जा रही है। इस पहल का उद्देश्य भारत की युवा पीढ़ी को वैश्विक मानकों के अनुरूप तैयार करना है। अब पाठ्यक्रमों में नवाचार, कौशल विकास, संवाद क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता को प्रमुख स्थान मिलेगा। विषयों की अधिकता और रटंत प्रणाली को कम करके, छात्र-केन्द्रित शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इससे छात्रों की employability और उद्यमशीलता दोनों में सुधार होगा।

सिर्फ डिग्री नहीं, मिलेगा व्यावहारिक जीवन का ज्ञान

यूजीसी ने यह स्पष्ट किया है कि शिक्षा केवल प्रमाणपत्र या डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। नए पाठ्यक्रमों में अनुभव आधारित लर्निंग, इंटर्नशिप और सामुदायिक सहभागिता जैसी विधाओं को अनिवार्य बनाया जाएगा। छात्रों को ऐसे कार्य दिए जाएंगे जिनसे वे समाज की समस्याओं को समझ सकें और उनके समाधान के रास्ते तलाश सकें। इससे न केवल उनकी सोच विकसित होगी, बल्कि नेतृत्व क्षमता भी बढ़ेगी। विश्वविद्यालयों को अपने कोर्सेज में रोजगारोन्मुखी पहलुओं को शामिल करने के लिए प्रेरित किया गया है। कौशल आधारित पाठ्यक्रम छात्रों को उद्योगों की मांग के अनुरूप तैयार करेंगे।

शिक्षण संस्थानों को तैयार रहने को कहा गया

यूजीसी ने सभी शिक्षण संस्थानों को निर्देशित किया है कि वे अपने पाठ्यक्रमों की समीक्षा कर जल्द से जल्द परिवर्तन लागू करें। यह भी कहा गया है कि क्रेडिट आधारित पाठ्यक्रम, फ्लेक्सीब्ल लर्निंग और बहु-विषयक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए। यह बदलाव सिर्फ किसी दस्तावेजी सुधार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसके परिणाम छात्रों के सीखने के तरीके में दिखेंगे। सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को जल्द ही इस दिशा में रोडमैप तैयार करना होगा। यूजीसी ने संकेत दिया है कि पाठ्यक्रमों का यह बदलाव चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों को भी नई पद्धतियों में प्रशिक्षण दिया जाएगा।

बढ़ेगा भारत का वैश्विक शिक्षा क्षेत्र में योगदान

नई शिक्षा नीति के प्रभाव से भारत का उच्च शिक्षा क्षेत्र न केवल अधिक समावेशी बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम बन पाएगा। यूजीसी का मानना है कि यह बदलाव न केवल छात्रों को लाभ देगा, बल्कि भारत को शिक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करेगा। देश में वर्तमान में 1043 विश्वविद्यालय और 44643 कॉलेज हैं, जिन्हें इस परिवर्तन प्रक्रिया में शामिल होना है। अगर यह पहल सफल होती है तो भारत शिक्षण और अनुसंधान का नया केंद्र बन सकता है। इससे न केवल रोजगार बढ़ेगा, बल्कि उद्यमिता को भी बल मिलेगा। देश की युवा शक्ति अब ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में निर्णायक भूमिका निभा सकेगी।


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