विशेष बच्चों के लिए खेल परिसर होंगे सुलभ, विधानसभा अध्यक्ष ने एलजी को लिखा पत्र
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (01 मई 2025): राजधानी दिल्ली में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए खेलों में समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम पहल की गई है। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को पत्र लिखकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के अंतर्गत आने वाले सभी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को इन बच्चों के लिए सुलभ बनाने की अपील की है। गुप्ता ने अपने पत्र में न केवल समावेशी खेल ढांचे की आवश्यकता को रेखांकित किया, बल्कि इन परिसरों में प्रशिक्षकों की नियुक्ति और विशेष समय स्लॉट आरक्षित करने का सुझाव भी दिया।
पत्र में गुप्ता ने भारत सरकार की ‘स्पेशल ओलंपिक्स भारत’ योजना का हवाला देते हुए कहा कि बौद्धिक रूप से निःशक्त बच्चों और युवाओं को खेलों में भागीदारी के पर्याप्त अवसर मिलने चाहिए। उन्होंने लिखा कि वर्तमान में डीडीए के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में विशेष बच्चों के लिए आवश्यक सुविधाओं का अभाव है, जिससे उनकी प्रतिभा को पंख नहीं लग पा रहे हैं। इसके अलावा, भारी एंट्री फीस और प्रशिक्षकों की अनुपलब्धता भी उनकी भागीदारी में बड़ी बाधा है।
गुप्ता ने सुझाव दिया कि प्रत्येक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए कम से कम एक तय समय स्लॉट आरक्षित किया जाए, ताकि वे भी स्वतंत्रता और आत्मसम्मान के साथ खेलों में भाग ले सकें। साथ ही, ऐसे प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जाए जो इन बच्चों की विशेष ज़रूरतों को समझ सकें और उन्हें प्रभावी रूप से मार्गदर्शन दे सकें। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे खेल के क्षेत्र में उत्कृष्टता की ओर अग्रसर हो सकेंगे।
उन्होंने एलजी को यह भी याद दिलाया कि दिल्ली जैसे शहर में, जहां आधुनिक खेल सुविधाएं मौजूद हैं, वहां हर वर्ग के बच्चों को समान अवसर मिलना चाहिए। अगर इन बच्चों को विशेष ध्यान देकर ट्रेनिंग दी जाए, तो वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर सकते हैं। उन्होंने इसे सिर्फ एक सामाजिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय कर्तव्य बताया।
गुप्ता की इस अपील के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि डीडीए और दिल्ली सरकार मिलकर इस दिशा में प्रभावी कदम उठाएंगे। राजधानी में डीडीए के अंतर्गत कई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स हैं, जहां फिलहाल प्रवेश के लिए शुल्क और अन्य नियमों के कारण कई विशेष बच्चे खेलों से वंचित रह जाते हैं। यदि इन परिसरों को समावेशी बनाया जाता है, तो यह दिल्ली के खेल परिदृश्य में ऐतिहासिक बदलाव ला सकता है।
इस पहल को सामाजिक संगठनों और खेल विशेषज्ञों से भी समर्थन मिल रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उपराज्यपाल इस पत्र पर कितनी शीघ्रता और गंभीरता से प्रतिक्रिया देते हैं। अगर यह सुझाव अमल में आता है तो दिल्ली देश का पहला ऐसा महानगर बन सकता है, जो समावेशी खेल संस्कृति की मिसाल पेश करेगा।
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