दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा अधूरे अस्पतालों की जांच के लिए तकनीकी समिति गठित करने का निर्देश

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (30 अप्रैल 2025): दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी में बन रहे अधूरे अस्पतालों को जल्द पूरा करने की दिशा में एक सख्त कदम उठाया है। अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि इन अस्पतालों की स्थिति की जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जाए। यह समिति समय-सीमा के भीतर रिपोर्ट तैयार करेगी और आगे की योजना पेश करेगी। अदालत ने यह निर्देश न्यायमित्र प्रशांत मेहता और न्यायाधीश प्रतीक जालान व मनीषा पिटाले की पीठ के सामने दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में कहा गया था कि 24 अस्पतालों का निर्माण अधूरा पड़ा है जिससे आम लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। अदालत ने कहा कि दिल्ली में स्वास्थ्य ढांचे को लेकर लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जा सकती। समयबद्ध योजना और तकनीकी निगरानी से ही इस दिशा में सुधार संभव है।

43 अस्पतालों की रिपोर्ट पर कोर्ट सख्त, एम्स जैसी प्रणाली लागू करने की सलाह

हाई कोर्ट ने एम्स दिल्ली के संचालन मॉडल को देखते हुए उसे अन्य अस्पतालों में भी लागू करने का सुझाव दिया। अदालत ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में एम्स जैसा नेटवर्क आधारित ई-हॉस्पिटल सिस्टम लागू किया जाए जिससे मरीजों को एक समान स्वास्थ्य सेवा मिल सके। कोर्ट ने इस दिशा में पहले ही एम्स निदेशक को रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेदारी दी थी। रिपोर्ट में बताया गया कि 43 अस्पतालों में से कई में निर्माण कार्य सालों से रुका हुआ है या बेहद धीमी गति से चल रहा है। अदालत ने दिल्ली सरकार से इन अस्पतालों की वास्तविक स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा। साथ ही यह भी पूछा कि निर्माण कार्यों में अब तक कितनी प्रगति हुई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस पर जवाब 26 मई तक मांगा है।

अस्पतालों में सुविधाओं की गुणवत्ता पर उठे सवाल, कोर्ट ने दिया उच्चतम मानकों का पालन करने का निर्देश

अदालत ने अपने निर्देश में स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार को स्वास्थ्य संस्थानों में सिर्फ भवन नहीं बल्कि वहां की सुविधा, स्टाफिंग, उपकरण, और डिजिटल नेटवर्क की गुणवत्ता को भी सुनिश्चित करना होगा। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक मूलभूत सुविधाएं पूरी नहीं होतीं, तब तक अस्पताल को ‘चालू’ मान लेना सरासर गलत होगा। न्यायमित्र ने कहा कि अस्पताल निर्माण में पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों जरूरी हैं, ताकि धन और समय की बर्बादी न हो। अदालत ने तकनीकी विशेषज्ञों की समिति से कहा है कि वे सभी अधूरे अस्पतालों का निरीक्षण कर यह भी बताएं कि कौन-से प्रोजेक्ट कब तक पूरे हो सकते हैं। यह समिति सरकार को निर्माण की बाधाओं और समाधान पर भी सुझाव देगी।

सुनवाई में कोर्ट का कड़ा रुख, योजनाओं के क्रियान्वयन पर जवाब मांगा

दिल्ली हाई कोर्ट ने यह साफ किया कि सिर्फ कागजों पर योजना बनाना पर्याप्त नहीं, उन्हें समय पर पूरा करना भी जरूरी है। अदालत ने अस्पताल निर्माण की धीमी गति पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जनता की सेहत से जुड़ी सुविधाओं में देरी को किसी भी सूरत में नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने एम्स की तर्ज पर सभी अस्पतालों में प्रशासनिक और तकनीकी दक्षता लाने की जरूरत बताई। न्यायमित्र की ओर से सुझाए गए सुझावों के अनुसार अब यह समिति पूरी जांच कर हाई कोर्ट को बताएगी कि किन कारणों से ये अस्पताल अधूरे हैं। साथ ही सरकार को जिम्मेदारी तय करने और दोषियों पर कार्रवाई करने को भी कहा गया है। अदालत ने इस मुद्दे पर हर दो सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।


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