सुप्रीम कोर्ट की शर्तों के साथ DMRC को पेड़ काटने की इजाजत, फेज-4 मेट्रो निर्माण को मिली मंजूरी
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (30 अप्रैल 2025): सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) को फेज-4 के इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ और लाजपत नगर-साकेत जी ब्लॉक मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई की सशर्त अनुमति दे दी है। अदालत ने यह मंजूरी सेंटर एम्पावरमेंट कमेटी (CEC) की रिपोर्ट के आधार पर दी है, जिसमें पर्यावरणीय संरक्षण के लिए कई कड़े दिशा-निर्देश सुझाए गए थे। कोर्ट में DMRC की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भरोसा दिलाया कि सभी शर्तों का सख्ती से पालन किया जाएगा। यह फैसला राजधानी की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। हालांकि, पर्यावरण को लेकर चिंताओं को ध्यान में रखते हुए यह अनुमति पूरी तरह शर्तों पर आधारित है। कोर्ट के इस निर्णय से फेज-4 प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन में तेजी आने की उम्मीद है।
लाजपत नगर-साकेत के बीच बनेगा एलिवेटेड कॉरिडोर, तय समय सीमा में होगा निर्माण
लाजपत नगर से साकेत जी ब्लॉक तक लगभग 8.38 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड मेट्रो कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। DMRC के मुताबिक इस परियोजना को पूरा करने में करीब तीन वर्षों का समय लगेगा। यह कॉरिडोर दक्षिण दिल्ली के प्रमुख रिहायशी और व्यावसायिक क्षेत्रों को जोड़ने का काम करेगा। केंद्र सरकार ने इस परियोजना को लोकसभा चुनाव 2019 से पहले ही मंजूरी दी थी। इसमें इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ कॉरिडोर भी शामिल है, जिसकी लंबाई 12.37 किलोमीटर होगी और इसका अधिकतर हिस्सा भूमिगत होगा। दोनों कॉरिडोर मिलकर दिल्ली मेट्रो नेटवर्क को और मजबूत बनाएंगे। इससे यात्रियों को सफर में सुविधा और समय की बचत होगी।
पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट की शर्तें होंगी अनिवार्य
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पेड़ों की कटाई केवल CEC की शर्तों के तहत ही की जा सकती है। इन शर्तों में वृक्षों के बदले नए पौधे लगाना, हरित क्षेत्र को बनाए रखना और नियमित निगरानी जैसे उपाय शामिल हैं। DMRC को इन नियमों का पालन करते हुए निर्माण कार्य करना होगा। किसी भी प्रकार की पर्यावरणीय लापरवाही पर तत्काल कार्रवाई की जा सकती है। कोर्ट का यह आदेश पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास है। CEC की रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना से जुड़े क्षेत्रों में हरियाली के संरक्षण के लिए विशेष योजना लागू की जाएगी। DMRC को यह सुनिश्चित करना होगा कि विकास से पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान हो।
DMRC ने अदालत को दिया आश्वासन, नियमों का सख्ती से होगा पालन
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि DMRC CEC की सभी शर्तों का कठोरता से अनुपालन करेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली मेट्रो पर्यावरण के प्रति सजग संस्था है और हमेशा से नियमों का पालन करती रही है। DMRC पहले भी कई परियोजनाओं में हरित संतुलन बनाए रखने की दिशा में प्रयास कर चुकी है। इस परियोजना में भी पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों को प्राथमिकता दी जाएगी। अदालत में यह भी कहा गया कि DMRC स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर काम करेगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई नियम न टूटे। पर्यावरण हितैषी निर्माण की दिशा में यह एक जिम्मेदार पहल मानी जा रही है।
यातायात व्यवस्था में सुधार की उम्मीद, लाखों यात्रियों को मिलेगा लाभ
इन कॉरिडोर के निर्माण से दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली और अधिक मजबूत होगी। लाजपत नगर-साकेत और इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ रूट पर मेट्रो सेवा शुरू होने से सड़क पर यातायात दबाव में कमी आएगी। यह परियोजना लाखों यात्रियों के समय और ईंधन की बचत करेगी। खासकर दक्षिण और मध्य दिल्ली को जोड़ने में इस कॉरिडोर की बड़ी भूमिका होगी। मेट्रो के जरिए सुलभ और सुरक्षित यात्रा की सुविधा भी बढ़ेगी। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण में भी मदद मिलेगी। शहर की सतत विकास नीति के तहत इस तरह की परियोजनाएं आवश्यक मानी जा रही हैं।
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