धर्म में भेदभाव क्यों? छतरपुर स्कूल में टीचर की टिप्पणी पर भड़के मंत्री मनजिंदर सिरसा
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (29 अप्रैल 2025): दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और दक्षिण दिल्ली से बीजेपी सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी मंगलवार को छतरपुर के संजय कॉलोनी स्थित सीनियर सेकेंडरी स्कूल के निरीक्षण पर पहुंचे। दोनों नेता स्कूल की जर्जर स्थिति और मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर वहां पहुंचे थे। उनके साथ स्कूल स्टाफ और कुछ स्थानीय लोग भी मौजूद थे। निरीक्षण के दौरान उन्होंने स्कूल की हालत को देखा और अधिकारियों से चर्चा की। वह बच्चों के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और योजनाओं को लेकर फील्ड रिपोर्ट ले रहे थे। बातचीत के दौरान सुझाव मांगे गए कि स्कूल को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। इसी दौरान एक ऐसी टिप्पणी हुई, जिसने पूरे माहौल को असहज बना दिया।
स्कूल स्टाफ में से एक सदस्य ने सिरसा और बिधूड़ी से अपील की कि स्कूल की इमारत को पक्का बनवाया जाए। उसने कहा, “यहां 70 सालों से हमारे हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं, उनके लिए कुछ कीजिए।” इस टिप्पणी में ‘हिंदू’ शब्द के प्रयोग ने दोनों नेताओं को नाराज़ कर दिया। मनजिंदर सिरसा ने तुरंत टोका और कहा, “आप बच्चों को धर्म में क्यों बांट रहे हैं?” सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने भी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा, “यह स्कूल सबका है, सिर्फ किसी एक धर्म का नहीं।” नेताओं ने साफ कहा कि सरकारी स्कूल धर्म के आधार पर नहीं चलते। इस पर स्कूल स्टाफ हक्का-बक्का रह गया और कुछ देर तक चुप हो गया। उसने बाद में सफाई दी लेकिन मामला तब तक गंभीर हो चुका था।
सिरसा ने सख्त लहजे में कहा कि इस तरह की बातें समाज में ज़हर घोलती हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल बच्चों की जगह है, यहां धर्म नहीं, शिक्षा की बात होनी चाहिए। सांसद बिधूड़ी ने जोड़ा कि शिक्षा व्यवस्था धर्मनिरपेक्ष होनी चाहिए, तभी समाज मजबूत बनेगा। नेताओं ने कहा कि स्कूल में सभी धर्मों और समुदायों के बच्चे पढ़ते हैं, इसलिए किसी एक को अलग करना गलत है। ऐसी मानसिकता संविधान के खिलाफ है और इससे सामाजिक समरसता को नुकसान होता है। सिरसा ने स्टाफ को चेतावनी दी कि आगे से ऐसी बातों से बचें। बच्चों को धर्म नहीं, जरूरत के हिसाब से सुविधाएं मिलनी चाहिए।
स्टाफ सदस्य ने अपनी गलती पर सफाई दी और कहा, “हमें लगा कि यहां पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी बच्चे पढ़ते हैं।” इस पर भी नेताओं ने दोबारा स्पष्ट किया कि यहां सिर्फ हिंदू ही नहीं, सभी धर्मों के बच्चे पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर बात करना न सिर्फ गैर-जरूरी है, बल्कि संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ भी है। शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का है, यह याद रखना चाहिए। सांसद बिधूड़ी ने फिर दोहराया कि सरकार का काम बिना भेदभाव के सेवा करना है। उस व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफी मांगी। इसके बाद उसने आगे कोई टिप्पणी नहीं की और मामला शांत हो गया।
निरीक्षण के बाद मंत्री सिरसा ने स्कूल की खस्ता हालत पर चिंता जताई और भरोसा दिया कि मरम्मत कार्य जल्द शुरू होंगे। उन्होंने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि इस स्कूल को प्राथमिकता दी जाए और ढांचागत सुधार किए जाएं। सांसद बिधूड़ी ने भी आश्वासन दिया कि स्कूल के लिए वे अपनी निधि से फंड उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों को पढ़ाई के लिए एक सुरक्षित और बेहतर माहौल मिलना जरूरी है। दोनों नेताओं ने स्कूल में बच्चों से बातचीत की और उनकी ज़रूरतों को जाना। उन्होंने स्टाफ को सकारात्मक सोच अपनाने की सलाह दी। साथ ही कहा कि हर बच्चे को समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए।
इस घटना ने शिक्षा व्यवस्था में संवेदनशीलता की अहम भूमिका को उजागर कर दिया। धर्म, जाति और समुदाय से ऊपर उठकर जब हम बच्चों की बात करते हैं, तभी सच्ची शिक्षा का विस्तार होता है। अगर स्कूलों में ही भेदभाव की बातें होंगी, तो समाज की जड़ें कमजोर होंगी। संविधान ने हमें जो धर्मनिरपेक्षता दी है, उसका पालन जरूरी है। नेताओं की सख्ती इस बात का प्रतीक थी कि अब ऐसी सोच को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिक्षा का लक्ष्य सभी को बराबरी से ऊपर उठाना है, न कि विभाजन करना। उम्मीद है, इस घटना के बाद ऐसा दोहराया नहीं जाएगा।
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