दिल्ली के रोहिणी में भीषण आग से उजड़ी जिंदगी, दो मासूमों की दर्दनाक मौत

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (28 अप्रैल 2025): दिल्ली के रोहिणी सेक्टर-17 इलाके में रविवार को एक भयावह हादसे ने हजारों लोगों की जिंदगी उजाड़ दी। रविवार दोपहर करीब 12 बजे झुग्गियों में अचानक लगी भीषण आग ने पूरी बस्ती को अपनी चपेट में ले लिया। आग इतनी तेज थी कि कुछ ही पलों में चारों तरफ धुआं और लपटें फैल गईं। इस हादसे में दो मासूम बच्चों तीन वर्षीय सादिया और चार वर्षीय आलम की जिंदा जलकर मौत हो गई। चार हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए और उनकी पूरी जमा पूंजी पलभर में राख में बदल गई। लोग बदहवासी में इधर-उधर भागते रहे, लेकिन आग की रफ्तार इतनी तेज थी कि बहुत कुछ बचा पाना संभव नहीं हो सका। इस भीषण आग की खबर मिलते ही पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई।

शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट को आग लगने की वजह बताया जा रहा है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है। आग लगने के तुरंत बाद झुग्गियों में रखे छोटे घरेलू गैस सिलेंडरों में धमाके होने लगे, जिससे आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। फायर डिपार्टमेंट के अनुसार, दर्जनभर से ज्यादा सिलेंडरों के फटने से आग को नियंत्रित करना बेहद मुश्किल हो गया था। फायर ब्रिगेड की 30 गाड़ियों और 50 से ज्यादा दमकलकर्मियों को आग पर काबू पाने में करीब 4 घंटे तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। इस ऑपरेशन के दौरान चार अलग-अलग टीमें तैनात की गई थीं दो टीमें आग बुझाने के लिए, एक टीम कूलिंग के लिए और एक सर्च ऑपरेशन के लिए। बावजूद इसके, भारी नुकसान को नहीं टाला जा सका।

स्थानीय लोगों ने फायर ब्रिगेड पर देरी से पहुंचने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि आग लगने के करीब 45 मिनट बाद दमकल की गाड़ियाँ मौके पर पहुँचीं, जिससे गुस्साए लोगों ने फायर ब्रिगेड की गाड़ियों पर पथराव कर दिया। पथराव में एक दमकल गाड़ी के शीशे टूट गए। स्थिति को काबू में करने के लिए मौके पर अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया। पुलिस ने समझाइश देकर भीड़ को शांत किया। फायर ऑफिसरों का कहना है कि संकरी गलियों और बस्ती के चारों ओर की बाउंड्री दीवार के कारण दमकल गाड़ियों को पहुँचने में कठिनाई हुई। ऊपर से बस्ती में भारी मात्रा में कबाड़ और ज्वलनशील पदार्थ रखे होने से आग बहुत तेजी से फैलती चली गई।

आग से न सिर्फ लोगों के घर स्वाहा हो गए, बल्कि उनके जीवनभर की जमा पूंजी भी राख में बदल गई। झुग्गी बस्ती में बने कबाड़ के गोदाम, राशन की दुकानें, लोगों के जेवरात, जरूरी दस्तावेज और नकदी सब कुछ आग की भेंट चढ़ गए। पीड़ितों ने बताया कि अब उनके पास न रहने को छत बची है, न खाने-पीने का सामान। बस्ती में तीन सौ से अधिक छोटे बच्चे हैं, जो इस हादसे के बाद भूख और प्यास से जूझ रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने सरकार से अपील की है कि उन्हें भीषण गर्मी से बचने के लिए छत, भोजन और पीने के पानी की तत्काल व्यवस्था कराई जाए। साथ ही, उनके पुनर्वास के लिए स्थायी इंतजाम किए जाएं ताकि वे फिर से अपनी जिंदगी को संवार सकें।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग की शुरुआत एक छोटे से शॉर्ट सर्किट से हुई थी, लेकिन देखते ही देखते उसने विकराल रूप धारण कर लिया। शॉर्ट सर्किट के बाद झुग्गियों में रखे एलपीजी सिलेंडर तेज धमाकों के साथ फटने लगे, जिससे आग की लपटें ऊंची उठने लगीं। स्थानीय निवासी शमीम शाह ने बताया कि हादसे के वक्त वह पास की दुकान से चावल लेने गए थे, लौटे तो चारों ओर तबाही का मंजर था। उनकी साढ़े तीन साल की बच्ची सादिया आग में झुलस गई और उसकी मौत हो गई। इसी तरह, मीठू ने बताया कि उनके चार साल के बेटे आलम की भी इस हादसे में जान चली गई। लोग अपनी आँखों के सामने अपनों को खोते देख बदहवास हो गए थे।

हादसे ने न सिर्फ छत छीनी है, बल्कि रोजी-रोटी का भी गहरा संकट खड़ा कर दिया है। स्थानीय निवासी बादशाह ने दुख जताते हुए कहा कि अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है — एक बार फिर से अपनी जिंदगी को पटरी पर लाना। बस्ती में अधिकतर लोग दिहाड़ी मजदूरी या छोटे-मोटे काम करके अपना जीवनयापन करते थे, जो अब सबकुछ खो चुके हैं। आग ने उनकी गरीबी को और गहरा कर दिया है। हादसे के बाद से महिलाएं और बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठे हैं। तेज धूप और गर्मी ने उनकी हालत और भी बदतर बना दी है। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन हजारों लोग अब भी मदद का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

सरकारी एजेंसियों ने राहत कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन हालात को देखते हुए यह साफ है कि प्रभावित परिवारों को फिर से बसने और सामान्य जीवन में लौटने में लंबा वक्त लगेगा। दिल्ली सरकार ने तत्काल राहत शिविर स्थापित करने और पीड़ितों को भोजन-पानी उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। साथ ही मुआवजे और पुनर्वास के लिए एक योजना तैयार करने की भी बात कही गई है। हालाँकि, स्थानीय लोगों की मांग है कि राहत कार्यों को तेज किया जाए और उन्हें स्थायी पुनर्वास दिया जाए, ताकि वे फिर से सम्मान के साथ जीवन जी सकें। इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर दिल्ली में झुग्गी बस्तियों की बदहाली और उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।।


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