नई दिल्ली (28 अप्रैल 2025): जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) छात्रसंघ चुनाव 2024-25 के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं। इस बार भी लेफ्ट गठबंधन ने अपना दबदबा बरकरार रखते हुए केंद्रीय पैनल के चार में से तीन शीर्ष पदों पर कब्जा जमाया है। प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट और जनरल सेक्रेटरी पद लेफ्ट के हिस्से आए हैं, जबकि जॉइंट सेक्रेटरी पद पर ABVP ने बड़ा उलटफेर करते हुए जीत दर्ज की। 25 अप्रैल को हुए चुनाव में लगभग 70 प्रतिशत मतदान हुआ था, जिसमें करीब 5,500 छात्रों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।आइसा के नीतीश कुमार ने प्रेसिडेंट पद पर जीत हासिल की, जबकि डीएसएफ की मनीषा ने वाइस प्रेसिडेंट का पद अपने नाम किया। जनरल सेक्रेटरी पद भी डीएसएफ की मुन्तेहा फातिमा ने जीता। वहीं, जॉइंट सेक्रेटरी पद पर ABVP के वैभव मीणा ने एक दशक लंबे सूखे को खत्म करते हुए शानदार जीत दर्ज की।
मतगणना के दौरान अधिकांश समय ABVP के उम्मीदवार चारों शीर्ष पदों पर आगे चल रहे थे, जिससे वामपंथी वर्चस्व को गंभीर चुनौती मिलती दिखी। हालांकि अंतिम नतीजों में लेफ्ट ने अपनी स्थिति संभाली, लेकिन हार-जीत का अंतर बेहद कम रहा, जो जेएनयू में बदलते राजनीतिक माहौल की ओर इशारा कर रहा है। परंपरागत मुकाबले के बीच इस बार चुनाव में छात्रों की जबरदस्त भागीदारी देखने को मिली। चुनाव से पहले कैंपस में हुई हिंसा के कारण तारीखों में देरी हुई थी, फिर भी छात्रों ने उत्साह के साथ लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिस्सा लिया।
स्कूल काउंसलर चुनावों में भी ABVP ने जोरदार प्रदर्शन किया। 42 में से 23 सीटें जीतकर ABVP ने 1999 के बाद का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया। स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग समेत सोशल साइंसेज, इंटरनेशनल स्टडीज और संस्कृत व इंडिक स्टडीज में भी उसने महत्वपूर्ण बढ़त बनाई। ABVP नेताओं ने इस उपलब्धि को कैंपस राजनीति में ‘टर्निंग पॉइंट’ करार दिया। उनका कहना है कि केंद्रीय पैनल में भले ही तीन सीटें लेफ्ट ने जीतीं, लेकिन स्कूल और केंद्र स्तर पर ABVP का प्रभाव बढ़ा है, जो भविष्य के चुनावों के लिए नई संभावनाएं खोलता है।
विजय के बाद नवनिर्वाचित प्रेसिडेंट नीतीश कुमार ने कहा, “हम छात्रों के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए पूरी निष्ठा से काम करते रहेंगे। हर छात्र की आवाज़ हमारे लिए महत्वपूर्ण है।” वाइस प्रेसिडेंट बनीं मनीषा ने कहा, “जेएनयू का लाल रंग हमारी विचारधारा का प्रतीक है। हम छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा काम करते रहेंगे।” जनरल सेक्रेटरी मुन्तेहा फातिमा ने छात्रों को भरोसा दिलाते हुए कहा, “हम हर संघर्ष में उनके साथ खड़े रहेंगे। यह जीत छात्रों के भरोसे की जीत है।” वहीं, जॉइंट सेक्रेटरी बने वैभव मीणा ने अपनी जीत को भविष्य के बड़े बदलाव की शुरुआत बताया। उन्होंने कहा, “एक दशक बाद जीत दर्ज कर हमने बदलाव की शुरुआत कर दी है। आने वाले चुनावों में चारों सीटों पर फतह हमारा लक्ष्य है।”
कुल मिलाकर, इस बार के नतीजों ने जेएनयू कैंपस में न केवल वामपंथी प्रभाव की मजबूती को दोहराया है, बल्कि ABVP के उभार ने भी आने वाले वर्षों में छात्र राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत दे दिए हैं।
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