दिल्ली कोर्ट ने आयकर उपायुक्त और CA को सीबीआई हिरासत में भेजा

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (27 अप्रैल 2025): दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने फेसलेस असेसमेंट स्कीम में भ्रष्टाचार के आरोप में आयकर विभाग के उपायुक्त आर. विजयेंद्र और चार्टर्ड अकाउंटेंट डीके अग्रवाल को तीन दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर शनिवार को कोर्ट में पेश किया था। सीबीआई ने अदालत से सात दिन की रिमांड मांगी थी, ताकि गहन पूछताछ कर घोटाले की परतें खोली जा सकें। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तीन दिन की हिरासत की मंजूरी दी। सीबीआई का कहना है कि अभियुक्तों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करना बेहद जरूरी है। कोर्ट के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चंदना ने हिरासत का आदेश दिया। अब आरोपियों को 29 अप्रैल तक सीबीआई हिरासत में रहना होगा।

सीबीआई ने अदालत में दावा किया कि उपायुक्त आर. विजयेंद्र और डीके अग्रवाल ने लंबित उच्च-मूल्य वाले आयकर आकलन मामलों में करदाताओं से रिश्वत ली थी। जांच एजेंसी के अनुसार विजयेंद्र ने दिल्ली के झंडेवालान कार्यालय में रहते हुए करदाताओं से अनुकूल फैसले के बदले पैसे वसूले। डीके अग्रवाल को गुजरात के भरूच जिले से गिरफ्तार किया गया। सीबीआई का आरोप है कि इस घोटाले में एक संगठित नेटवर्क सक्रिय है। जांच एजेंसी ने कुछ दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य भी जब्त किए हैं, जो घोटाले में संलिप्तता को साबित करते हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई ने हिरासत की अवधि बढ़ाने की मांग की थी। अब इस पूरे घोटाले में और भी नाम सामने आ सकते हैं।

आयकर विभाग के अधिकारियों की ओर से पेश वकीलों ने सीबीआई की कार्रवाई को अदालत में चुनौती दी। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद कुमार दुबे ने कहा कि उपायुक्त विजयेंद्र को जांच में शामिल होने के लिए कभी तलब नहीं किया गया था। उन्होंने दलील दी कि विजयेंद्र नवंबर 2024 से निलंबन पर चल रहे हैं, जिससे सबूत नष्ट करने की कोई संभावना नहीं है। वकील ने यह भी कहा कि सीबीआई बिना उचित नोटिस के गिरफ्तार कर रही है। बावजूद इसके सीबीआई ने अदालत को बताया कि पूछताछ में बड़ी साजिश का खुलासा संभव है। कोर्ट ने सीबीआई की जरूरतों को सही मानते हुए तीन दिन की रिमांड मंजूर कर दी। अदालत ने निर्देश दिया कि पूछताछ के दौरान सभी नियमों का पालन किया जाए।

फेसलेस असेसमेंट स्कीम को वित्त मंत्रालय ने पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार समाप्त करने के उद्देश्य से लागू किया था। इस योजना में करदाता और आयकर अधिकारी के बीच प्रत्यक्ष संपर्क खत्म कर दिया गया था। सीबीआई का कहना है कि इस स्कीम का लाभ उठाकर आरोपियों ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनाई गई स्कीम में ही भ्रष्टाचार के आरोप सामने आना बेहद गंभीर मामला है। अब सीबीआई आरोपियों से पूछताछ कर घोटाले के और पहलुओं की जांच कर रही है। अदालत ने आदेश दिया है कि 29 अप्रैल तक पूछताछ पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इस मामले ने आयकर विभाग की कार्यशैली और व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए है।


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