नई दिल्ली (27 अप्रैल 2025): देश की राजधानी दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने सादिक नगर इलाके से दिल्ली नगर निगम (MCD) के सेंट्रल जोन के एक एरिया इंस्पेक्टर को रंगेहाथ रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। अधिकारी पर आरोप है कि उसने एक शिकायतकर्ता से संपत्ति कर से जुड़े नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी करने के एवज में 10,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। शिकायत मिलते ही CBI ने तेजी से कार्रवाई की और जाल बिछाकर आरोपी को रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया। गिरफ्तारी के बाद सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में अभी और भी जांच जारी है, और संभव है कि आगे कई और खुलासे हों। यह कार्रवाई राजधानी में सरकारी विभागों में जारी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ा संदेश मानी जा रही है।
CBI द्वारा जारी किए गए आधिकारिक बयान के अनुसार, पकड़ा गया आरोपी एमसीडी के सेंट्रल जोन के असेसमेंट एंड कलेक्शन डिपार्टमेंट में एरिया इंस्पेक्टर के पद पर तैनात था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि वह अपनी संपत्ति से जुड़े कागजी कार्यों के लिए एनओसी लेने गया था, जहां अधिकारी ने 10,000 रुपये की मांग की। इसके बाद शिकायतकर्ता ने मामले की जानकारी CBI को दी। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए सीबीआई ने तुरंत जांच शुरू की और आरोपी अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। योजना के तहत शिकायतकर्ता को रिश्वत की रकम के साथ भेजा गया और जैसे ही आरोपी ने पैसे लिए, उसे रंगेहाथ पकड़ लिया गया। गिरफ्तारी के बाद उसे पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
CBI की इस कार्रवाई के बाद दिल्ली में विभिन्न सरकारी विभागों में जारी भ्रष्टाचार को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है। जानकारों का कहना है कि घूसखोरी जैसी घटनाएं नागरिक सेवाओं में विश्वास को कमजोर करती हैं। अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि वे इस मामले की तह तक जाएंगे और अगर इसमें अन्य अधिकारी भी शामिल पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, जनता के बीच भी इस कार्रवाई को लेकर संतोष का माहौल देखा गया है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि CBI की ऐसी कार्रवाइयों से सरकारी तंत्र में सुधार आएगा और आम नागरिकों को न्याय मिल सकेगा।
उधर, सीबीआई ने हाल ही में दिल्ली में साइबर फ्रॉड से जुड़े एक अन्य मामले में भी बड़ी कार्रवाई की थी। 19 अप्रैल को CBI ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया था, जो दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के लोगो का दुरुपयोग कर अनजान लोगों को धोखा दे रहा था। आरोपी, दिल्ली जल बोर्ड के नाम और प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल कर, लोगों के मोबाइल फोन में मैलवेयर और एपीके फाइलें इंस्टॉल कराता था। इसके बाद वह पीड़ितों के वॉट्सएप अकाउंट, वित्तीय डेटा और मोबाइल डेटा तक पहुंच बना लेता था। इस धोखाधड़ी के जरिये न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा था बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए मैलवेयर भी फैलाया जा रहा था।
CBI ने इस साइबर फ्रॉड मामले की जांच 15 अप्रैल को एक शिकायत के आधार पर शुरू की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि अज्ञात व्यक्तियों ने एक शिकायतकर्ता को दिल्ली जल बोर्ड के पानी कनेक्शन में गड़बड़ी का डर दिखाकर उनके मोबाइल में मैलवेयर इंस्टॉल कराया था। ठगों ने बकाया बिल न चुकाने पर पानी कनेक्शन काटने की धमकी दी थी, जिससे घबराकर शिकायतकर्ता ने लिंक पर क्लिक किया। बाद में पता चला कि उसके वॉट्सएप अकाउंट में सेंधमारी कर दी गई थी और उसके जरिये अन्य लोगों तक भी मालवेयर फैलाया जा रहा था। इस तरह के मामलों ने दिल्ली में साइबर सिक्योरिटी की चुनौतियों को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
CBI द्वारा लगातार की जा रही इन कार्रवाइयों से साफ हो गया है कि चाहे रिश्वतखोरी हो या साइबर अपराध, जांच एजेंसी पूरी सख्ती से काम कर रही है। दिल्ली जैसे बड़े शहर में जहां लाखों लोग सरकारी सेवाओं पर निर्भर हैं, वहां इस तरह की सतर्कता बेहद आवश्यक मानी जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि भ्रष्टाचार और साइबर अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण तभी संभव है जब शिकायत मिलने के तुरंत बाद जांच एजेंसियां मुस्तैदी से कार्रवाई करें, जैसा कि अब देखने को मिल रहा है। CBI ने दोनों मामलों में लोगों से अपील भी की है कि यदि वे किसी तरह की धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार का सामना करें तो बिना डर के शिकायत दर्ज कराएं।।
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