नई दिल्ली (25 अप्रैल 2025): दिल्ली नगर निगम (MCD) के मेयर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पार्षद राजा इकबाल सिंह विजयी रहे। उन्हें कुल 133 वोट हासिल हुए, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार मनदीप को केवल 8 वोट मिले। आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनाव से दूरी बना ली थी, जिससे मुकाबला आसान हो गया। बीजेपी ने पहले ही सरदार राजा इकबाल सिंह को मेयर और जय भगवान यादव को डिप्टी मेयर पद का उम्मीदवार बनाया था। चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ और बीजेपी ने एकतरफा जीत दर्ज की। इस जीत के बाद राजा इकबाल सिंह को बधाइयों का तांता लग गया। दिल्ली बीजेपी ने इसे संगठन की बड़ी उपलब्धि बताया है।
आप पार्टी ने लगाया चुनाव में धांधली का आरोप
आम आदमी पार्टी ने इस मेयर चुनाव से अलग रहने का निर्णय लिया था। पार्टी ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने उसके पार्षदों को डराने-धमकाने और लालच देने की कोशिश की। इसी वजह से उन्होंने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया। आप नेताओं का कहना था कि चुनाव निष्पक्ष नहीं हो सकता था। बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए आप पर लोकतंत्र से भागने का आरोप लगाया। वहीं, कांग्रेस भी मुकाबले में मौजूद रही, लेकिन बेहद कमजोर प्रदर्शन किया। इस पूरे घटनाक्रम ने चुनाव को एकतरफा बना दिया।
अकाली राजनीति से बीजेपी में चमके राजा इकबाल सिंह
राजा इकबाल सिंह ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत अकाली दल से की थी। उनके ससुर भी जीटीबी नगर से पार्षद रह चुके हैं। उनके साले आज भी अकाली राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। राजा इकबाल सिंह खुद भी जीटीबी नगर से पार्षद रह चुके हैं। अकाली राजनीति से बीजेपी में आने के बाद उन्होंने तेजी से अपनी पकड़ बनाई। 2020 में जब अकाली दल ने कृषि कानूनों के विरोध में मोदी सरकार से समर्थन वापस लिया, तब राजा इकबाल सिंह ने अलग राह चुनी। बीजेपी में उनके समर्पण को देखते हुए उन्हें जल्द ही बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई।
पूर्व में निगम में निभा चुके हैं अहम भूमिका
सितंबर 2020 तक राजा इकबाल सिंह सिविल लाइंस जोन के प्रमुख पद पर रहे। उसी दौरान दिल्ली में शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी के रिश्तों में दरार आई थी। अकाली दल ने उनसे पद छोड़ने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद, बीजेपी ने उन्हें नौ महीने में उत्तर दिल्ली नगर निगम का मेयर बना दिया। यह समय था जब दिल्ली में अकाली राजनीति कमजोर हो रही थी। राजा इकबाल सिंह ने मौके का फायदा उठाकर बीजेपी में अपनी स्थिति मजबूत कर ली। इस निर्णय ने उनके राजनीतिक करियर को नई दिशा दी।
जहांगीरपुरी अभियान में निभाई थी बड़ी भूमिका
2020 में जहांगीरपुरी इलाके में हुए दंगे के बाद अवैध निर्माणों पर कार्रवाई हुई थी। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के उस समय के मेयर राजा इकबाल सिंह ने इस कार्रवाई का नेतृत्व किया। निगम ने 20 अप्रैल को बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण ध्वस्त किए थे। इनमें से अधिकांश निर्माण मुस्लिम समुदाय से जुड़े थे। कार्रवाई के बाद राजनीतिक विवाद भी गहरा गया था। बीजेपी ने इस कार्रवाई को कानून का पालन बताते हुए उचित ठहराया। राजा इकबाल सिंह ने तब भी संयमित बयानबाजी करते हुए स्थिति को संभाला था। उन्हें बीजेपी में सुलझे हुए नेता के रूप में देखा जाता है।
मेयर चुनाव में आरक्षण की नहीं रही बाध्यता
दिल्ली में मेयर का पिछला चुनाव नवंबर 2024 में आयोजित हुआ था। उस समय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के चलते चुनाव में देरी हुई थी। इस बार के चुनाव में किसी भी तरह का आरक्षण लागू नहीं था। पहले कार्यकाल में महिलाओं और तीसरे कार्यकाल में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण लागू किया जाता है। लेकिन इस बार मेयर पद सभी के लिए खुला रखा गया था। इससे बीजेपी को रणनीति बनाने में अधिक लचीलापन मिला। नतीजतन, राजा इकबाल सिंह को बिना बड़ी चुनौती के मेयर पद हासिल हुआ।।
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