10 मिनट की डिलीवरी में छुपा है 10 साल का खतरा!, ई-कॉमर्स के खिलाफ फूटा व्यापारियों का गुस्सा
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली, (22 अप्रैल 2025): क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स का क्रूर चेहरा उजागर करने के लिए आज संविधान क्लब में एक ज़बरदस्त राष्ट्रीय कॉन्क्लेव आयोजित हुआ। इसमें देश की प्रमुख व्यापारिक संस्थाएं – कैट, एमरा, आईसीपीडीएफ और ओरा – एकजुट होकर उन कंपनियों के खिलाफ गरजे जो “डिजिटल तरक्की” की आड़ में भारतीय खुदरा कारोबार को निगलने में लगी हैं।
कॉन्क्लेव में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री व सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने तीखा सवाल उठाया “जब हर गली में दुकानें हैं तो 10 मिनट की डिलीवरी की नौटंकी क्यों?” उन्होंने विदेशी फंड से चल रही कंपनियों पर एफडीआई के दुरुपयोग और भारत को “केले गणराज्य” समझने का आरोप लगाया।
आईसीपीडीएफ अध्यक्ष धैर्यशील पाटिल ने बताया कि ज़ेप्टो, इंस्टामार्ट और ब्लिंकिट जैसे प्लेटफॉर्म ₹54,000 करोड़ का निवेश लेकर आए, लेकिन उसका सिर्फ 2.5% ही बुनियादी ढांचे पर खर्च हुआ। बाक़ी रकम घाटा भरने, बाजार कब्ज़ाने और छोटे व्यापारियों को खत्म करने में झोंक दी गई।
एमरा अध्यक्ष कैलाश लाखियानी ने अमेज़न और फ्लिपकार्ट की पुरानी चालें सामने रखते हुए कहा कि ये कंपनियां अब भी एफडीआई नियमों की धज्जियाँ उड़ा रही हैं और पसंदीदा विक्रेताओं को फायदा देकर छोटे व्यापारियों को बाज़ार से बाहर कर रही हैं।
कॉन्क्लेव में 1 मई से राष्ट्रव्यापी आंदोलन का ऐलान किया गया और डिजिटल कॉमर्स के लिए स्वतंत्र नियामक संस्था की मांग को लेकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास हुआ। संदेश साफ था अगर अब भी सरकार नहीं जागी, तो भारत का खुदरा व्यापार डिजिटल दानवों की गिरफ़्त में आ जाएगा।
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