नई दिल्ली (20 अप्रैल 2025): दिल्ली जल बोर्ड के लोगो (Logo) का इस्तेमाल कर एक चौंकाने वाला साइबर फ्रॉड सामने आया है। आरोपी बिट्टू कुमार ने दिल्ली जल बोर्ड के नाम और प्रतीक चिन्ह (लोगो) का उपयोग कर लोगों को धोखा देने की साजिश रची। वह खुद को जल बोर्ड का अधिकारी बताकर फर्जी मोबाइल ऐप (APK) डाउनलोड करवाता था। इस ऐप में मॉलवेयर मौजूद था, जो यूज़र का मोबाइल डेटा, व्हाट्सऐप चैट्स और बैंक जानकारी चुरा लेता था। आरोप है कि बिट्टू लोगों को यह कहकर डराता था कि अगर जल बिल नहीं चुकाया गया तो उनका पानी कनेक्शन काट दिया जाएगा। इस डर के कारण कई लोगों ने उसका ऐप डाउनलोड कर लिया। सीबीआई ने आरोपी को बिहार के पटना से गिरफ्तार किया है।
जांच में सामने आया कि जैसे ही यह फर्जी एपीके फाइल मोबाइल में इंस्टॉल की जाती थी, मॉलवेयर काम करने लगता था। पीड़ित के मोबाइल का पूरा नियंत्रण आरोपी के हाथ में आ जाता था। वह व्हाट्सऐप के जरिए मैलिशियस लिंक और वायरसयुक्त फाइलें दूसरों को भेजता था। इससे एक चेन रिएक्शन बन जाता और कई नए मोबाइल भी इसकी चपेट में आ जाते। आरोपी ने अपने व्हाट्सऐप डीपी में दिल्ली जल बोर्ड का लोगो लगाकर लोगों का भरोसा जीता। वह खुद को सरकारी कर्मचारी दिखाता था ताकि कोई उस पर शक न करे। इस तरीके से उसने कई लोगों के अकाउंट और डेटा तक अवैध पहुंच बनाई।
सीबीआई ने पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष टीम गठित की। ऑपरेशन के दौरान बिट्टू कुमार को पटना के एक पेट्रोल पंप पर रंगे हाथ पकड़ लिया गया, जब वह एक व्यक्ति का डेबिट कार्ड बदलने की कोशिश कर रहा था। इसके बाद सीबीआई ने पटना में तीन अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की। इन छापों के दौरान 11 मोबाइल फोन, 14 डेबिट कार्ड, एक नोट वेंडिंग मशीन और बड़ी मात्रा में नकद राशि बरामद की गई। इसके अलावा, कई फर्जी दस्तावेज और साइबर फ्रॉड से जुड़ी सामग्री भी मिली है। बरामद किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा गया है। अधिकारियों के मुताबिक यह गिरोह बहुत ही योजनाबद्ध ढंग से काम करता था।
बिट्टू कुमार को 17 अप्रैल 2025 को स्थानीय अदालत में पेश किया गया था, जहां से उसे चार दिन की ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली भेज दिया गया। अब आरोपी को दिल्ली की विशेष अदालत में पेश किया जा रहा है, जहां आगे की पूछताछ होगी। जांच एजेंसियां यह जानने की कोशिश कर रही हैं कि वह अकेले इस साइबर फ्रॉड को अंजाम दे रहा था या इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह सक्रिय है। सीबीआई इस केस को टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग और आम नागरिकों की सुरक्षा पर खतरे के रूप में देख रही है। सुरक्षा एजेंसियों ने लोगों को आगाह किया है कि वे किसी भी सरकारी सेवा से जुड़ा ऐप केवल आधिकारिक वेबसाइट या प्ले स्टोर से ही डाउनलोड करें। किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उसकी जांच अवश्य करें।
दिल्ली जल बोर्ड का नाम पहले भी कई बार विवादों में रह चुका है। पिछली अरविंद केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में जल बोर्ड पर घोटालों और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे। विपक्ष ने जल बोर्ड के कामकाज और पारदर्शिता को लेकर बार-बार सवाल उठाए थे। इस बार भले ही यह ठगी सीधे तौर पर जल बोर्ड के अधिकारियों से जुड़ी नहीं है, लेकिन इससे विभाग की छवि पर असर जरूर पड़ा है। जल बोर्ड के लोगो का इस्तेमाल कर साइबर क्राइम होना दर्शाता है कि अपराधी अब सरकारी प्रतीकों का भी दुरुपयोग कर रहे हैं। इससे आम जनता के विश्वास को बड़ा झटका लगता है। ऐसे मामलों की संख्या बढ़ती रही तो डिजिटल गवर्नेंस पर लोगों का भरोसा कम हो सकता है।
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