सांसद निशिकांत दुबे के बयान से बीजेपी ने किया किनारा, विपक्ष हमलावर

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (20 अप्रैल 2025): वक्फ संशोधन कानून 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे द्वारा दिए गए बयान ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। दुबे ने देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर गृहयुद्ध भड़काने की जिम्मेदारी ठहरा दी। इस विवादास्पद टिप्पणी को लेकर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कार्रवाई की मांग की। बयान को संविधान और न्यायपालिका का सीधा अपमान बताया गया। इसके बाद बीजेपी ने स्थिति संभालने की कोशिश की। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बयान से खुद को और पार्टी को अलग बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी का इस टिप्पणी से कोई वास्ता नहीं है।

जेपी नड्डा ने बयान को बताया ‘व्यक्तिगत’

जेपी नड्डा ने मीडिया के सामने स्पष्ट किया कि निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा के बयानों से भारतीय जनता पार्टी सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि ये दोनों नेताओं की निजी राय है, न कि पार्टी की आधिकारिक नीति। बीजेपी ने ऐसे किसी भी बयान को सिरे से खारिज किया है। नड्डा ने कहा, “हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं और हमेशा करेंगे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि पार्टी ने संबंधित नेताओं को ऐसी टिप्पणियों से बचने के निर्देश दिए हैं। नड्डा ने कहा कि बीजेपी लोकतंत्र और संविधान के दायरे में ही काम करती है। कोर्ट की गरिमा पार्टी के लिए सर्वोपरि है।

विपक्ष हमलावर, निशिकांत दुबे की गिरफ्तारी की मांग

निशिकांत दुबे के बयान पर विपक्ष ने एक सुर में हमला बोला है और इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताया है। आम आदमी पार्टी की प्रियंका कक्कड़ ने सुप्रीम कोर्ट से स्वत: संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान देने वालों को तुरंत जेल भेजा जाना चाहिए। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री मोदी और पीएमओ को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के नेतृत्व में अराजकता को बढ़ावा मिल रहा है। विपक्ष का कहना है कि न्यायपालिका को कमजोर करने की साजिश रची जा रही है। संविधान पर हमले को देश बर्दाश्त नहीं करेगा।

कांग्रेस ने कहा- ये मोदी सरकार की मौन सहमति से हो रहा है

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि निशिकांत दुबे का यह बयान सिर्फ उनका निजी नहीं, बल्कि एक सोच का हिस्सा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सांसदों को खुली छूट मिल रही है ताकि वे संवैधानिक संस्थाओं को नीचा दिखा सकें। खेड़ा ने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री मोदी इस तरह के बयानों पर चुप रहकर सहमति जता रहे हैं? उन्होंने कहा कि अगर पीएम गंभीर होते तो अब तक कार्रवाई हो चुकी होती। उन्होंने कहा कि यह देश संविधान से चलता है, मनमानी से नहीं। पीएमओ को चाहिए कि वह इस मामले पर स्पष्टीकरण दे। देश की न्यायपालिका को अपमानित नहीं किया जा सकता।

प्रियंका कक्कड़ ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी सख्त सज़ा

आम आदमी पार्टी की नेता प्रियंका कक्कड़ ने निशिकांत दुबे के बयान को “घटिया और खतरनाक” बताया। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट बीजेपी के पक्ष में फैसले देता है, तो उसे राज्यसभा भेज दिया जाता है। लेकिन जब कोर्ट संविधान की रक्षा करता है, तो उसे निशाना बनाया जाता है। उन्होंने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट तुरंत अवमानना का केस दर्ज करे। देश में न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। कक्कड़ ने कहा, “दुबे को जेल भेजना जरूरी है, नहीं तो गलत उदाहरण स्थापित होगा।”

दिग्विजय सिंह बोले- कोर्ट को अब बीजेपी खलनायक क्यों लगने लगा?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने बीजेपी के दोहरे रवैये पर सवाल उठाया। उन्होंने याद दिलाया कि इंदिरा गांधी के समय बीजेपी जजों के फैसलों का समर्थन करती थी। लेकिन अब जब सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ जाता है तो वही बीजेपी कोर्ट पर सवाल उठाती है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है। उन्होंने कहा कि दुबे जैसे सांसद लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं। जनता को चाहिए कि ऐसे नेताओं को सबक सिखाए। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की गरिमा पर हमला बर्दाश्त नहीं होगा।

सपा ने कहा- कोर्ट के बिना लोकतंत्र नहीं बचता

समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन ने भी निशिकांत दुबे पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट न होता तो आज देश में राजशाही लागू हो चुकी होती। उन्होंने सवाल उठाया कि राम मंदिर के फैसले पर तो बीजेपी ने कोर्ट का स्वागत किया था। अब वही कोर्ट जब संविधान की रक्षा कर रहा है तो उसे धमकाया जा रहा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि ऐसे नेताओं पर कड़ी कार्रवाई हो। एसटी हसन ने कहा कि बीजेपी संविधान को कमजोर करने में लगी है। यह लोकतंत्र को खत्म करने की खतरनाक कोशिश है।

बीजेपी के कुछ नेताओं ने भी जताई SC से असहमति

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने भी न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मणिपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया, लेकिन बंगाल की हिंसा पर चुप है। उनका कहना था कि पश्चिम बंगाल में हालात बहुत खराब हैं, लेकिन कोर्ट ने कोई कदम नहीं उठाया। मिश्रा ने कहा कि कोर्ट को निष्पक्ष रूप से काम करना चाहिए। हालांकि उन्होंने दुबे के बयान पर सीधी टिप्पणी नहीं की। उनकी बातों से पार्टी के भीतर भी असहजता दिखाई दी। बीजेपी के भीतर से भी अब असहमति के सुर उठने लगे हैं।

दिनेश शर्मा ने भी दिया विवादास्पद बयान

बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि संविधान में विधायिका और न्यायपालिका की भूमिका स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति सर्वोच्च हैं और उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सकता। उनके इस बयान को लेकर भी विपक्ष ने नाराजगी जताई। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। विपक्ष ने कहा कि बीजेपी संविधान को अपने हिसाब से परिभाषित कर रही है। दिनेश शर्मा पर भी कार्रवाई की मांग उठी है। अब सुप्रीम कोर्ट और संसद की गरिमा पर देशभर में बहस तेज हो गई है।


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