नई दिल्ली (17 अप्रैल 2025): वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और ट्रेड वॉर की पृष्ठभूमि में संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक नई रिपोर्ट भारत के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत साल 2025 में 6.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर के साथ विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। यह अनुमान संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) की हाल ही में जारी रिपोर्ट “Trade and Development Report 2025: Pressures and Uncertainties Reshaping the Global Economic Outlook” में सामने आया है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की यह वृद्धि दर 2024 में दर्ज की गई 6.9% वृद्धि से थोड़ी कम है, लेकिन फिर भी यह वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में उसकी मजबूती को दर्शाती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की यह प्रगति मजबूत सार्वजनिक खर्च, उदार मौद्रिक नीति और स्थिर निवेश माहौल के कारण संभव होगी। इसके विपरीत, वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के खतरे से जूझ रही है और 2025 में दुनिया की औसत विकास दर घटकर 2.3% रहने का अनुमान है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत में फरवरी 2025 में पहली बार रेपो रेट में 0.25% की कटौती से उपभोग में तेजी और निजी निवेश में इज़ाफा हुआ है। रिजर्व बैंक की इस नीति से घरेलू मांग को बल मिला है, जो आगामी वर्षों में विकास को बनाए रखने में मदद करेगा। इसके अलावा, रिपोर्ट में दक्षिण एशिया की समग्र वृद्धि दर 2025 में 5.6% रहने की भी संभावना जताई गई है।
हालांकि, रिपोर्ट ने यह भी आगाह किया है कि खाद्य मुद्रास्फीति में उतार-चढ़ाव और कर्ज संकट जैसे मुद्दे क्षेत्रीय अस्थिरता को जन्म दे सकते हैं। बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी अर्थव्यवस्थाओं पर कर्ज का भारी दबाव बना रहेगा। इसके बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था अन्य विकासशील देशों की तुलना में ज्यादा लचीलापन और स्थिरता दिखा रही है।
रिपोर्ट में वैश्विक व्यापार तनाव, टैरिफ उपायों और आपूर्ति शृंखला में रुकावट को दुनिया भर में निवेश निर्णयों पर असर डालने वाला बताया गया है। UNCTAD ने चेताया है कि ऐसी नीतिगत अनिश्चितताएं निवेशकों को सतर्क बना रही हैं, जिससे रोजगार और उत्पादन दोनों प्रभावित हो सकते हैं। विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए यह स्थिति और गंभीर है।
UNCTAD ने वैश्विक नेताओं से अपील की है कि वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार, कर्ज समाधान, और मौद्रिक नीतियों में बेहतर समन्वय के लिए संवाद को बढ़ावा दें। रिपोर्ट का मानना है कि यदि वैश्विक स्तर पर समन्वित कार्रवाई की गई तो विश्वास बहाल किया जा सकता है और आर्थिक विकास को पटरी पर लाया जा सकता है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत न सिर्फ अपनी विकास दर बनाए रखने में सफल रहेगा, बल्कि वह दुनिया को भी यह दिखाएगा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सकारात्मक नीतियों और स्थिर शासन के माध्यम से कैसे प्रगति की जा सकती है। रिपोर्ट ने भारत के नीति निर्माताओं के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए कहा है कि इन नीतियों से आने वाले वर्षों में निवेश और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं मंदी की आशंका से जूझ रही हैं। ऐसे में भारत के लिए यह खबर न सिर्फ उत्साहजनक है, बल्कि यह निवेशकों और उद्योग जगत के लिए भी भरोसे की एक बड़ी वजह बन सकती है। भारत का मजबूत प्रदर्शन न सिर्फ घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी उसकी साख को मजबूत करता है।।
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