यमुना सफाई को लेकर एक्टिव मोड में दिल्ली सरकार, खर्च करेगी 3140 करोड़ रुपए
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (17 अप्रैल 2025): दिल्ली सरकार ने राजधानी की जीवनरेखा कही जाने वाली यमुना नदी को स्वच्छ बनाने के लिए एक बड़ी परियोजना की घोषणा की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में बुधवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में यमुना सफाई मिशन को लेकर कई अहम फैसले लिए गए। इस परियोजना के अंतर्गत 3140 करोड़ रुपये की लागत से 27 आधुनिक केंद्रीकृत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) बनाए जाएंगे। इन एसटीपी के जरिए यमुना में गिरने वाले गंदे नालों का उपचार कर जल को शुद्ध किया जाएगा। योजना का उद्देश्य नदी के जलस्तर और गुणवत्ता को बेहतर बनाना है। इन सभी परियोजनाओं को 18 महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए निगरानी की व्यवस्था भी सुनिश्चित की है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह अभियान केवल सफाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जल संरक्षण से भी जुड़ा होगा। परियोजना में एसटीपी प्लांटों के साथ-साथ गंदे नालों के रोकथाम, अपशिष्ट जल प्रबंधन और पाइपलाइन सुधार जैसे तकनीकी कार्य भी शामिल होंगे। संबंधित विभागों को निर्देश दिया गया है कि कार्य में किसी प्रकार की देरी न हो। दिल्ली के विभिन्न हिस्सों जैसे बवाना, मुंडका, मटियाला, ताजपुर खुर्द, कोंडली, नरेला, भलस्वा आदि में यह एसटीपी स्थापित किए जाएंगे। इस पहल से स्थानीय निवासियों को भी स्वच्छता का सीधा लाभ मिलेगा। परियोजना से रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। सरकार का मानना है कि इससे यमुना की स्थिति में ठोस सुधार आएगा।
बैठक में तकनीकी अधिकारियों और जल बोर्ड के विशेषज्ञों ने परियोजना के विभिन्न चरणों की जानकारी दी। बताया गया कि निविदा प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जाएगा, जिससे निर्माण कार्य समय पर शुरू हो सके। हर चरण की निगरानी के लिए अलग-अलग टीमें बनाई जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर सप्ताह प्रगति रिपोर्ट ली जाएगी और किसी भी प्रकार की लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई होगी। एसटीपी से शुद्ध हुआ जल सिंचाई और औद्योगिक कार्यों में उपयोग किया जाएगा। इससे भूजल स्तर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह पूरी योजना राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के मानकों के अनुरूप होगी।
इस परियोजना के अलावा नरेला में एक अत्याधुनिक और सुरक्षित जेल बनाने का फैसला भी लिया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि जेल लगभग 40 एकड़ क्षेत्र में फैली होगी और इसमें कुल 256 कैदियों के रहने की व्यवस्था होगी। इस जेल के निर्माण में लगभग 148.58 करोड़ रुपये की लागत आएगी। जेल को आधुनिक सुरक्षा प्रणालियों, सीसीटीवी निगरानी, चिकित्सा सुविधा और महिला-पुरुष अलग बैरकों से युक्त बनाया जाएगा। जेल के डिज़ाइन में कैदियों के पुनर्वास और सुधार को भी ध्यान में रखा गया है। दिल्ली में बढ़ती आबादी और अपराधों को देखते हुए यह एक ज़रूरी कदम माना जा रहा है। इस फैसले से जेलों पर बढ़ते बोझ को भी कम करने में मदद मिलेगी।
योजना में विशेष रूप से दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय (DTU) परिसर में एक मॉडल एसटीपी स्थापित करने की बात कही गई है। यह प्रोजेक्ट लगभग 107.02 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाएगा। इसमें हाईटेक सिस्टम के जरिए पानी की शुद्धता सुनिश्चित की जाएगी। इससे विश्वविद्यालय परिसर में जल पुनर्चक्रण की सुविधा विकसित होगी। छात्र और शोधकर्ता इस प्रणाली को लाइव उदाहरण के तौर पर देख और समझ सकेंगे। इससे शिक्षा क्षेत्र में जल प्रबंधन की जागरूकता भी बढ़ेगी। दिल्ली सरकार इसे एक पायलट प्रोजेक्ट मान रही है, जिससे अन्य संस्थानों में भी ऐसे मॉडल विकसित किए जा सकें।
यमुना सफाई को लेकर पिछले कई वर्षों से विभिन्न सरकारें दावे करती रही हैं, परंतु ठोस परिणाम नहीं दिखे। इस बार दिल्ली सरकार ने सख्त निगरानी और तय समयसीमा के साथ कार्य योजना बनाई है। यदि यह योजना तय ढंग से पूरी होती है, तो यमुना की हालत में बड़ा बदलाव आ सकता है। स्वच्छ जल न केवल पर्यावरण की दृष्टि से बल्कि स्वास्थ्य और सांस्कृतिक दृष्टि से भी आवश्यक है। यमुना का धार्मिक महत्व भी है और लाखों लोग इसके जल का प्रयोग करते हैं। यदि नदी साफ हुई तो आस्था और पर्यावरण दोनों को संबल मिलेगा। सरकार ने इसे ‘मिशन मोड’ में लेने का फैसला किया है।
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