Atul Subhash Suicide Case: राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने कर्नाटक के सीएम को लिखा पत्र, न्याय की मांग
टेन न्यूज नेटवर्क
बेंगलुरु (12 दिसंबर 2024): दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले में न्याय सुनिश्चित करने और उनके परिवार को सहायता प्रदान करने की अपील की है।
स्वाति मालीवाल ने अपने पत्र में लिखा कि अतुल सुभाष ने कथित रूप से अपनी पत्नी और उसके परिवार द्वारा किए गए मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न के चलते आत्महत्या कर ली। यह मामला तब और भी गंभीर हो गया जब अतुल के भाई ने उनकी पत्नी और उनके परिवार पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुकदमे वापस लेने के लिए ₹3 करोड़ और अपने बेटे से मिलने के लिए ₹30 लाख की मांग की थी।
यह भी सामने आया है कि मृतक अतुल ने एक 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें उन्होंने अपने दर्दनाक अनुभवों का विस्तार से उल्लेख किया। इसके साथ ही, उन्होंने 81 मिनट का एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उनके गले में एक बोर्ड लटका हुआ था, जिस पर लिखा था, “न्याय चाहिए।”
मामले में तीन प्रमुख मांगें
स्वाति मालीवाल ने पत्र में तीन प्रमुख बिंदुओं पर कार्रवाई करने की अपील की है।
1. निष्पक्ष और त्वरित जांच: अतुल की मौत की परिस्थितियों की गहन जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
2. परिवार को समर्थन: शोक संतप्त परिवार को तत्काल वित्तीय सहायता और परामर्श सेवाएं प्रदान की जाएं, ताकि वे इस मुश्किल समय में न्याय और सहारा प्राप्त कर सकें।
3. मानसिक स्वास्थ्य और कानूनी सहायता मजबूत करें: संकटग्रस्त व्यक्तियों के लिए समय पर मानसिक स्वास्थ्य और कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाए।
समावेशी नीतियों की आवश्यकता पर जोर
स्वाति मालीवाल ने कहा कि यह मामला एक गंभीर अनुस्मारक है कि मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न किसी को भी प्रभावित कर सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की नीतियों को इन संवेदनशील मुद्दों के प्रति अधिक समावेशी और जागरूक होना चाहिए।
न्याय की अपील
स्वाति मालीवाल ने अपने पत्र के अंत में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से इस मामले को आवश्यक तत्परता और संवेदनशीलता के साथ देखने की अपील की है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि मानसिक उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामलों को गंभीरता से लिया जाए और पीड़ितों को समय पर मदद और न्याय दिलाया जाए।।

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