दिल्ली में अधूरे अस्पतालों की खुली पोल!, 6 साल बाद भी नहीं हुआ पूरा

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (13 अप्रैल 2025): दिल्ली की पूर्व सरकार द्वारा शुरू किए गए चार नए अस्पतालों और सात ICU ब्लॉक्स के निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। लोक निर्माण विभाग (PWD) की जांच में पता चला है कि कई प्रोजेक्ट्स बिना ज़रूरी मंजूरियों के शुरू किए गए और तय समयसीमा के सालों बाद भी पूरे नहीं हो सके हैं। पिछली सरकार ने 3237 बेड के चार अस्पतालों सिरसपुर (1164 बेड), मादीपुर, ज्वालापुरी और हस्तसाल (प्रत्येक 691 बेड) के निर्माण का ऐलान किया था। लेकिन छह साल बीतने के बावजूद एक भी अस्पताल पूरी तरह से तैयार नहीं है। अब इन प्रोजेक्ट्स की जांच शुरू कर दी गई है और शुरुआती रिपोर्ट चौंकाने वाली है।

बिना मंजूरी शुरू हुआ निर्माण कार्य

PWD सूत्रों के अनुसार, कई निर्माण कार्य बिना बिल्डिंग प्लान पास कराए ही शुरू कर दिए गए। हस्तसाल अस्पताल, जिसका काम जून 2021 में शुरू हुआ और जून 2023 तक पूरा होना था, अब तक सिर्फ 51% ही बन पाया है, जबकि इस पर 16 करोड़ रुपये से ज़्यादा खर्च हो चुके हैं। मंगोलपुरी स्थित संजय गांधी अस्पताल परिसर में बनाए गए दिल्ली के सबसे बड़े ट्रॉमा सेंटर की हालत भी गंभीर सवाल खड़े करती है। सितंबर 2019 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट को मार्च 2021 तक पूरा करना था। अब जबकि यह बनकर तैयार हो गया है, तो उसमें मरीजों के लिए कोई रैंप ही नहीं बनाया गया है, जिससे इमरजेंसी मरीजों को अस्पताल तक लाना मुश्किल हो सकता है।

खर्च हुए करोड़ों, फिर भी अधूरे प्रोजेक्ट

मादीपुर अस्पताल का निर्माण नवंबर 2020 में शुरू हुआ था। अब तक इस पर 104 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन फिर भी निर्माण अधूरा है। सिरसपुर अस्पताल का काम 77%, ज्वालापुरी का 80%, और मादीपुर का 81% ही पूरा हो पाया है। PWD ने सभी प्रोजेक्ट्स की तकनीकी और प्रशासनिक जांच शुरू कर दी है। रिपोर्ट में अस्पताल निर्माण की योजनाओं में लापरवाही, संसाधनों की कमी, और मंजूरी प्रक्रियाओं को दरकिनार करने जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं। माना जा रहा है कि अगली एक-दो महीनों में यह रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी।

जनता पर असर

इन अस्पतालों के समय पर निर्माण न होने का सीधा असर दिल्ली की आम जनता पर पड़ा है। राजधानी में स्वास्थ्य सेवाओं की पहले से भारी मांग है, और नए अस्पतालों के निर्माण में देरी ने दबाव और बढ़ा दिया है। अब देखना यह होगा कि जांच के बाद जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई होती है और अधूरे अस्पतालों को पूरा करने की दिशा में सरकार क्या कदम उठाती है।


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