अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ का गारमेंट्स इंडस्ट्री पर प्रभाव | ललित ठुकराल, अध्यक्ष, NAEC

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (13 अप्रैल 2025): अमेरिका ने हाल ही में भारत समेत कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किया है, जिसका गहरा असर भारत के निर्यात व्यापार, विशेष रूप से वस्त्र उद्योग पर पड़ने की संभावना है। इस विषय पर टेन न्यूज नेटवर्क ने नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट क्लस्टर के अध्यक्ष ललित ठुकराल से खास बातचीत की। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब यह टैरिफ लागू हुआ, तो ऐसा प्रतीत हुआ मानो “जैसे किसी ने टैरिफ बम गिरा दिया हो”।

टैरिफ का प्रारंभिक प्रभाव: “जैसे कोई बम गिर गया हो”

ललित ठुकराल ने कहा, जब यह टैरिफ लगा, तो ऐसा लगा जैसे हमारे ऊपर टैरिफ बम गिर गया हो। चारों तरफ़ व्यापारिक हलचल मच गई। प्रारंभ में टैरिफ 26% तक था, लेकिन फिलहाल डोनाल्ड ट्रंप ने इसे घटाकर 10% कर दिया है। उन्होंने बताया कि अमेरिका ने 3 महीने का जो समय दिया है, वह इसलिए ताकि जिन व्यापारियों ने पहले से ऑर्डर दिए हुए हैं, उन्हें कुछ राहत मिल सके। यह अवधि उन्हें तैयारी और बातचीत का अवसर भी देती है।

वैश्विक व्यापार पर असर, भारत पर तुलनात्मक रूप से कम टैरिफ

ठुकराल ने बताया कि चीन और वियतनाम पर अमेरिका द्वारा लगाए गए टैक्स कहीं अधिक हैं। भारत पर लगने वाला टैक्स इन देशों से कम है, लेकिन अब भी इसे लेकर सरकार से बातचीत जारी है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल इस मुद्दे पर गहन बातचीत कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि यह 10% टैक्स भी या तो हटा दिया जाएगा या इसे घटाकर 5% तक कर दिया जाएगा। उनका मानना है कि अमेरिका में गारमेंट्स नहीं बनते, और यदि बनाए भी जाएं तो लेबर कॉस्ट इतनी अधिक है कि अमेरिकी जनता को दोगुनी कीमत चुकानी पड़ेगी। अतः यह टैरिफ अंततः वहां की जनता पर ही भारी पड़ेगा।

भारत के लिए अवसर: “आपदा में अवसर की तलाश”

ललित ठुकराल का मानना है कि यह टैरिफ भारत के लिए नए व्यापारिक अवसरों के द्वार खोल सकता है। अगर अमेरिका से 5% व्यापार भी डायवर्ट होकर भारत आ गया, तो यहां व्यवसाय की बाढ़ आ जाएगी। सरकार को चाहिए कि वह एमएसएमई क्षेत्र को कैपिटल सब्सिडी दे, ताकि टेक्नोलॉजी में निवेश कर सकें और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर सकें।

वस्त्र उद्योग पर संभावित प्रभाव: ऑर्डर्स में कमी और अनिश्चितता

वस्त्र उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर उन्होंने चिंता जताई। जो ऑर्डर्स हमारे पास पहले थे, वे कम हो गए हैं। आने वाले 6 महीनों में और गिरावट देखने को मिलेगी। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक बायर ने पहले 1 लाख पीस का ऑर्डर दिया था, लेकिन अब उसे घटाकर 50,000 कर दिया है। साथ ही डिलीवरी की रफ्तार भी धीमी हो गई है। इसके पीछे कारण यह है कि अमेरिकी ग्राहक इस बात का मूल्यांकन कर रहे हैं कि बढ़ी हुई ड्यूटी के बाद खरीददारी कितनी संभव होगी। इसका नुकसान दोनों पक्षों को होगा – भारत के निर्यातकों को भी और अमेरिकी आयातकों को भी।

बांग्लादेश से आने वाले टेक्सटाइल इक्विपमेंट पर सरकार की नीति का स्वागत

ठुकराल ने सरकार द्वारा बांग्लादेश से आने वाले टेक्सटाइल इक्विपमेंट पर हाल में लिए गए निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा, मैं सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करना चाहता हूं। पिछले एक वर्ष से मैं यह मांग कर रहा था। बांग्लादेश के रोजाना आने वाले 50 से 100 ट्रकों के कारण हमारा माल लेट होता था, जिससे फ्रेट चार्ज बढ़ते थे और बायर्स को डिस्काउंट देना पड़ता था। अब इससे बांग्लादेश को 17,000 से 18,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, लेकिन भारतीय निर्यातकों को राहत मिलेगी।

उन्होंने कहा कि ट्रंप एक बिजनेस मैन हैं, और वह इस टैरिफ नीति का संतुलन ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। वह भी नहीं चाहेंगे कि उनकी जनता को ज्यादा भुगतान करना पड़े या महंगाई बढ़े। हमें भरोसा है कि हमारी सरकार – खासकर पीयूष गोयल के नेतृत्व में – इस चुनौती को अवसर में बदलने में सफल होगी और हमारी 30 मिलियन डॉलर की योजना को पूरा करने में मदद करेगी।

सरकार से मांग: गारमेंट इंडस्ट्री को अधिक समर्थन

ललित ठुकराल ने केंद्र और राज्य सरकार से अपील की कि वे गारमेंट इंडस्ट्री को और अधिक अवसर प्रदान करें। गारमेंट एक्सपोर्ट इंडस्ट्री सबसे ज्यादा रोजगार देती है, खासकर महिलाओं को। यह सरकार के लिए एक बेहतरीन अवसर है कि वह इस उद्योग को और सशक्त बनाए, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ें।


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