26/11 केस में नया मोड़: तहव्वुर राणा से पूछताछ शुरू, NIA ने कसी कमर

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (12 अप्रैल 2025): 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए भीषण आतंकी हमले की साजिश में शामिल रहे तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। यह कदम न केवल भारत की कूटनीतिक और खुफिया सफलता को दर्शाता है, बल्कि इस हमले से जुड़ी अब तक की कई अनसुलझी परतों को खोलने की संभावनाएं भी बढ़ा रहा है। राणा को दिल्ली स्थित एनआईए मुख्यालय लाने के साथ ही उससे पूछताछ शुरू हो गई है। इस उच्चस्तरीय जांच की अगुवाई डीआईजी जया राय कर रही हैं और उनके साथ 12 अधिकारियों की एक विशेष टीम लगातार उससे सवाल-जवाब कर रही है। एनआईए ने उससे पूछताछ के लिए 50 से अधिक सवालों की सूची तैयार की है।

सघन जांच की तैयारी में NIA

पूछताछ का फोकस राणा की पृष्ठभूमि से लेकर 26/11 हमले की योजना, लश्कर-ए-तैयबा के साथ उसके रिश्ते, डेविड कोलमैन हेडली से संबंध और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की भूमिका तक फैला हुआ है। पहले दिन की पूछताछ में राणा ने एजेंसी को अपेक्षित सहयोग नहीं दिया, लेकिन सीसीटीवी निगरानी और कड़ी सुरक्षा के बीच यह प्रक्रिया जारी है। राणा से यह पूछा गया कि उसने हेडली से कब और कैसे मुलाकात की, भारत भेजने का मकसद क्या था, फर्जी वीजा कैसे दिलवाया गया और भारत में दोनों किन-किन जगहों पर ठहरे। साथ ही यह भी कि लश्कर से उसे क्या समर्थन मिला, वह हाफिज सईद से कैसे जुड़ा और उसे पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के लिए फंडिंग और हथियारों की आपूर्ति की जानकारी कैसे थी।

कड़ी सुरक्षा में है राणा

राणा को एनआईए मुख्यालय के भूतल पर स्थित एक हाईटेक सेल में रखा गया है, जिसका आकार 14×14 फीट है और इसमें मल्टी लेयर सिक्योरिटी व्यवस्था मौजूद है। सेल में जमीन पर बिस्तर, अंदर ही वॉशरूम और सीआईएसएफ की 24 घंटे तैनाती है। इस सेल में सिर्फ एनआईए के 12 अधिकारियों को ही जाने की अनुमति है। अदालत ने उसे 18 दिन की एनआईए रिमांड में भेजा है और निर्देश दिया है कि हर 48 घंटे में उसकी मेडिकल जांच हो, साथ ही उसे हर दूसरे दिन अपने अधिवक्ता से मिलने की भी अनुमति दी गई है।

बेहद गोपनीय रही प्रत्यार्पण प्रक्रिया

राणा की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण प्रक्रिया बेहद संवेदनशील और गोपनीय रही। एनआईए और एनएसजी कमांडोज़ की विशेष टीम उसे अमेरिका के लास एंजिलिस से एक विशेष विमान में लेकर रवाना हुई थी। यात्रा के दौरान उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अधिकारी ने लगातार उसका हाथ पकड़े रखा ताकि वह खुद को कोई नुकसान न पहुंचा सके। फ्लाइट की रियल टाइम निगरानी हवाई यातायात नियंत्रण इकाइयों और खुफिया एजेंसियों द्वारा की गई। दिल्ली पहुंचने पर उसे वैकल्पिक गेट से बाहर निकाला गया और मीडिया की नजरों से बचाने के लिए उसे अपारदर्शी जेल वैन में अदालत लाया गया। अदालत परिसर में मोबाइल और कैमरे पर भी सख्त प्रतिबंध लगाए गए।

राणा की नागरिकता की स्थिति

अमेरिकी न्याय विभाग ने इस पूरे मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। उसने पाकिस्तान के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि तहव्वुर राणा पाकिस्तानी नागरिक नहीं है। अमेरिकी न्याय विभाग ने स्पष्ट रूप से कहा कि राणा पाकिस्तानी मूल का नागरिक है और उसके खिलाफ भारत में 10 मामले दर्ज हैं। राणा पहले अमेरिका में डेनमार्क में आतंकी हमले की साजिश में सहयोग के आरोप में 14 साल की सजा भुगत चुका है, जबकि उसका साथी डेविड हेडली 35 साल की सजा काट रहा है।

हेडली के बचपन का दोस्त है राणा

अमेरिकी अधिकारियों द्वारा जारी एक दस्तावेज में बताया गया है कि राणा और डेविड गिलानी उर्फ हेडली बचपन के दोस्त थे और शिकागो में मिलकर लश्कर के लिए काम करते थे। हेडली को भारत में वीजा दिलवाने के लिए राणा ने झूठे दस्तावेज तैयार किए और मुंबई में एक फर्जी इमीग्रेशन ऑफिस खुलवाया। इसके जरिए हेडली को भारत में आतंकी हमले के लिए ज़मीन तैयार करने में मदद मिली। उनके बीच 2 वर्षों में कई बार शिकागो में मुलाकातें हुईं और मुंबई हमले की योजना पर चर्चा की गई। एनआईए के पास राणा और हेडली की टेलीफोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी मौजूद है, जिसमें राणा कहता है कि “भारतीय इस तरह के हमले के लायक हैं।” उसने यह भी कहा था कि मुंबई पर हमला करने वाले आतंकियों को पाकिस्तान का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार “निशान-ए-हैदर” दिया जाना चाहिए।

अन्य एजेंसियां भी कर सकती हैं पूछताछ

अब एनआईए के बाद आठ अन्य एजेंसियां भी राणा से पूछताछ करेंगी। इसमें मुंबई पुलिस, इंटेलिजेंस ब्यूरो और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियां शामिल हैं। राणा से उम्मीद है कि वह उन रहस्यों से पर्दा उठाएगा, जो आज तक 26/11 हमले के पीछे के पूरे नेटवर्क को उजागर नहीं कर पाए। एनआईए की यह कार्रवाई न केवल न्याय के रास्ते को मजबूत करेगी, बल्कि पाकिस्तान और लश्कर के आतंकवादी नेटवर्क को बेनकाब करने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो सकती है। तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी, प्रत्यर्पण और अब जारी पूछताछ भारत के लिए आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मंच पर एक बड़ी कूटनीतिक और खुफिया जीत मानी जा रही है। अब सभी की निगाहें एनआईए पर टिकी हैं कि वह इस ऐतिहासिक पूछताछ से आतंक के कितने चेहरे बेनकाब कर पाती है।।


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