नई दिल्ली (12 अप्रैल 2025): दिल्ली के वसंत कुंज स्थित एक निजी स्कूल में फीस वृद्धि का विरोध कर रहे अभिभावकों पर स्कूल प्रशासन ने कड़ा कदम उठाते हुए सात अभिभावकों के स्कूल परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह मामला तब सामने आया जब इन अभिभावकों ने गैर-मंज़ूर फीस बढ़ोतरी का सार्वजनिक रूप से विरोध किया और शिक्षा निदेशालय को इसकी शिकायत सौंपी। इसके बाद स्कूल प्रशासन ने इन पर ‘शैक्षणिक वातावरण बाधित करने’ का आरोप लगाते हुए नोटिस जारी किया और स्कूल परिसर में प्रवेश से रोकने का आदेश जारी किया।
फीस वृद्धि के विरोध में खड़े इन अभिभावकों का कहना है कि स्कूल मनमाने ढंग से शुल्क बढ़ा रहा है और इसकी जानकारी या स्वीकृति किसी भी नियामक निकाय से नहीं ली गई। उनका आरोप है कि स्कूल लगातार फीस मांग रहा है और ऑनलाइन पोर्टल पर सही विवरण तक उपलब्ध नहीं है। शिकायत के बावजूद न तो समय पर किताबें दी गईं और न ही शिक्षा से जुड़ी अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। अभिभावकों ने स्कूल पर गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों की उपेक्षा का भी आरोप लगाया है।
इस पूरे मामले में शिक्षा निदेशालय को सौंपी गई निरीक्षण रिपोर्ट भी सामने आई है, जिसमें स्कूल द्वारा सात अभिभावकों के नाम सार्वजनिक रूप से नोटिस बोर्ड पर चस्पा किए जाने की बात कही गई है। इस कार्रवाई को अनुचित ठहराते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि इससे छात्रों और उनके परिवारों पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ सकता है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि स्कूल की ओर से फीस बढ़ोतरी के पीछे कोई स्पष्ट औचित्य नहीं दिया गया। कई अभिभावकों को समय पर किताबें नहीं दी गईं, जिससे पढ़ाई प्रभावित हुई।
इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में भाजपा सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था शिक्षा माफिया के शिकंजे में है और निजी स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे हैं। उन्होंने मांग की कि शिक्षा निदेशालय को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और इस तरह के स्कूलों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में दिल्ली के लोगों को न्याय दिलाने के लिए सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।
केजरीवाल ने यह भी कहा कि यदि शिक्षा मंत्री खुद भी बच्चों की फीस नहीं भर पा रही हैं, तो यह दिखाता है कि शिक्षा क्षेत्र किस हद तक महंगा और असंतुलित हो चुका है। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार शिक्षा के अधिकार को प्राथमिकता देगी और स्कूलों को किसी भी तरह की मनमानी करने से रोकेगी। उनका यह बयान अभिभावकों के बीच एक भरोसे की किरण के रूप में देखा जा रहा है।
हालांकि स्कूल प्रशासन का कहना है कि यह प्रतिबंध केवल स्कूल के ‘शैक्षणिक वातावरण’ को बनाए रखने के लिए लगाया गया है। स्कूल का दावा है कि विरोध करने वाले अभिभावक छात्रों के समक्ष अनुशासनहीनता फैला रहे थे और इससे अन्य छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही थी। लेकिन शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का रवैया अभिभावकों की आवाज़ को दबाने का प्रयास है और यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
फिलहाल शिक्षा निदेशालय की रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय को भेजी गई है और आगे की कार्रवाई की प्रतीक्षा की जा रही है। अभिभावकों ने भी दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की तैयारी शुरू कर दी है। इस पूरे घटनाक्रम ने निजी स्कूलों की फीस नीति और अभिभावकों के अधिकारों पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था को लेकर यह विवाद और भी तेज होता जा रहा है।
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