पुलिसवालों को ‘ठुल्ला’ कहने वाले बयान पर सीएम रेखा गुप्ता की सफाई, क्या बोली?
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (10 अप्रैल 2025): दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ‘ठुल्ला’ शब्द को लेकर मचे विवाद पर खुलकर अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि उनका मकसद कभी भी दिल्ली पुलिस या किसी भी सुरक्षाकर्मी का अपमान करना नहीं था। अपने हालिया इंटरव्यू में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अगर कभी कोई ऐसी बात कही, जिससे किसी को ठेस पहुंची हो, तो वह इसे एक अनजानी भूल मानती हैं, जिसका उन्हें पछतावा है। साथ ही उन्होंने स्वीकार किया कि बीते समय में सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर हुई कुछ टिप्पणियां उनकी अपरिपक्वता का प्रतीक थीं।
यह विवाद उस समय उत्पन्न हुई जब बीते महीने 28 मार्च को दिल्ली विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने एक कहानी सुनाते हुए पुलिसकर्मियों के संदर्भ में ‘ठुल्ला’ शब्द का प्रयोग किया था। इस बयान के तुरंत बाद आम आदमी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और मुख्यमंत्री से माफ़ी मांगने की मांग की थी। यह मामला सोशल मीडिया पर भी तूल पकड़ गया था, जहां कई यूज़र्स ने सीएम की भाषा और पुलिस बल के प्रति नजरिए पर सवाल उठाए थे।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इन आलोचनाओं का संज्ञान लेते हुए एक समाचार एजेंसी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, “मैं खुले दिल से स्वीकार करती हूं कि मुझसे भाषण के दौरान एक गलती हुई। ‘ठुल्ला’ शब्द का प्रयोग मैंने किसी को नीचा दिखाने के लिए नहीं किया था। यह शब्द सिर्फ एक प्रसंग के तहत आया था। मैं यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि मेरे मन में पुलिसकर्मियों के लिए अपार सम्मान है। वे 24 घंटे ड्यूटी पर रहते हैं, अपने परिवार और व्यक्तिगत ज़रूरतों को ताक पर रखकर देश की सेवा करते हैं। उनके योगदान को मैं शब्दों में नहीं बाँध सकती।”
अपने साक्षात्कार में सीएम गुप्ता ने यह भी कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहते हुए गलतियां हो जाती हैं, लेकिन जरूरी है कि व्यक्ति उन्हें स्वीकार करे और सुधार करे। उन्होंने कहा, “कभी-कभी हम भावनाओं में बहकर कुछ ऐसा कह जाते हैं, जिसका मकसद वैसा नहीं होता जैसा समझा जाता है। समय के साथ जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो अपने शब्दों की गंभीरता समझ में आती है। मैं अपनी गलतियों को स्वीकार करती हूं और यह सुनिश्चित करूंगी कि भविष्य में ऐसी भूलें न दोहराई जाएं।”
मुख्यमंत्री ने विपक्षी नेताओं पर पूर्व में की गई तीखी टिप्पणियों को लेकर भी आत्ममंथन किया और उसे अनुभव की कमी का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि राजनीति में गरिमा बनाए रखना ज़रूरी है और अब वह अपने शब्दों को लेकर और ज़्यादा सतर्क रहेंगी।
मुख्यमंत्री की इस सफाई के बाद राजनीतिक गलियारों में इस मुद्दे पर गर्मी कुछ कम होती दिख रही है, लेकिन विपक्ष की ओर से अब भी यह मांग उठ रही है कि मुख्यमंत्री विधानसभा में जाकर औपचारिक रूप से पुलिस बल से माफी मांगें। हालांकि सीएम गुप्ता के इस भावनात्मक और स्पष्ट रुख के बाद यह ज़रूर कहा जा सकता है कि उन्होंने नेतृत्व की परिपक्वता का परिचय दिया है।
इस पूरे प्रकरण से यह भी स्पष्ट होता है कि जनप्रतिनिधियों को अपने शब्दों की जिम्मेदारी लेनी होती है, क्योंकि उनके एक-एक बयान का असर न सिर्फ राजनीतिक परिदृश्य पर, बल्कि समाज के अलग-अलग वर्गों पर भी पड़ता है। सीएम रेखा गुप्ता की यह स्वीकारोक्ति कहीं न कहीं यही संकेत देती है कि अब दिल्ली की राजनीति में एक ज़िम्मेदार और संवेदनशील नेतृत्व आकार ले रहा है।
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