सरकारी संस्थाओं की 177 मनोनीत नियुक्तियां रद्द, AAP पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप!
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (09 अप्रैल 2025): दिल्ली की रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने सत्ता में आने के बाद एक बड़ा और सख्त कदम उठाते हुए दिल्ली की 17 से अधिक सरकारी संस्थाओं में की गई 177 मनोनीत नियुक्तियों को रद्द कर दिया है। ये सभी नियुक्तियां आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार के कार्यकाल में की गई थीं, जिन्हें वर्तमान सरकार ने ‘राजनीतिक लाभ’ पहुंचाने के उद्देश्य से की गई नियुक्तियां करार दिया है। इस फैसले ने दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, जहां सत्ता परिवर्तन के साथ संस्थागत पुनर्संरचना की कवायद तेज होती दिख रही है।
रेखा गुप्ता सरकार द्वारा रद्द की गई नियुक्तियों में दिल्ली जल बोर्ड, हज समिति, उर्दू अकादमी, हिंदी अकादमी, साहित्य कला परिषद, पंजाबी अकादमी, संस्कृत अकादमी, पशु कल्याण बोर्ड, तीर्थ यात्रा विकास समिति और उर्स समिति जैसे महत्वपूर्ण निकाय शामिल हैं। इन संस्थाओं में आम आदमी पार्टी के विधायकों, पूर्व विधायकों और उनके नजदीकी नेताओं को नियुक्त किया गया था। सरकार का कहना है कि इन नियुक्तियों के जरिए ‘राजनीतिक वफादारी’ को तरजीह दी गई थी न कि योग्यता और संस्थागत ज़रूरतों को।
बीजेपी ने आप सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने दिल्ली की संस्थाओं को अपने राजनीतिक कैडर के लिए इनाम की तरह इस्तेमाल किया। उदाहरण के तौर पर आप विधायक पवन राणा को दिल्ली जल बोर्ड का चेयरमैन, विनय मिश्रा को वाइस चेयरमैन और पूर्व मंत्री जितेंद्र तोमर की पत्नी प्रीति तोमर को सदस्य नियुक्त किया गया था। हज समिति में अब्दुल रहमान और हाजी यूनुस जैसे नेताओं को मनोनीत किया गया, जबकि पंजाबी अकादमी में जरनैल सिंह को उपाध्यक्ष बनाया गया था।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा सरकार का मानना है कि इन संस्थाओं में राजनीतिक आधार पर की गई नियुक्तियों से संस्थागत निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं। इसलिए इन सभी नियुक्तियों को रद्द कर नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया गया है। इसके साथ ही अब सरकार एक नई और पारदर्शी चयन प्रणाली के तहत योग्य व्यक्तियों की नियुक्ति की तैयारी कर रही है।
आम आदमी पार्टी की ओर से इस फैसले पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पार्टी के भीतर इसे बदले की कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। आप के कुछ नेताओं ने बंद कमरों में इसे ‘लोकतांत्रिक मर्यादा के खिलाफ़’ बताया है, जबकि बीजेपी इसे संस्थागत सुधार और राजनीति से प्रशासन को अलग करने की दिशा में कदम मान रही है।
इस निर्णय के बाद अब दिल्ली की राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ने के आसार हैं। सवाल ये भी है कि क्या रेखा गुप्ता सरकार भविष्य में इन संस्थाओं में नये नियुक्तियों को लेकर भी उतनी ही पारदर्शिता बरतेगी, जितनी का दावा किया जा रहा है, या फिर सत्ता बदलने का यह चक्र एक और ‘नवीन राजनीतिक नियुक्तियों’ की कहानी लिखेगा? फिलहाल, दिल्ली की सत्ता के गलियारों में यह फैसला चर्चा का बड़ा विषय बन गया है।
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